पूर्वांचल एक्सप्रेसवे CCTV स्कैंडल: प्राइवेट वीडियो से ब्लैकमेलिंग और रंगदारी, 3 गिरफ्तार
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पूर्वांचल एक्सप्रेसवे CCTV स्कैंडल: प्राइवेट वीडियो से ब्लैकमेलिंग और रंगदारी, 3 गिरफ्तार

ATMS footage misuse: इस वारदात का खुलासा तब हुआ, जब CCTV क्लिप्स सोशल मीडिया पर वायरल हुईं, जिनमें जोड़े और नवविवाहित यात्रियों के निजी पलों को दिखाया गया।


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CCTV blackmail racket: उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के निगरानी सिस्टम (Surveillance System) से एक ब्लैकमेल रैकेट का खुलासा हुआ है। खुलासे के तहत कुछ कर्मचारियों ने यात्रियों के निजी पलों का CCTV फूटेज निकालकर उनसे रंगदारी वसूली की। इस मामले ने बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की बर्खास्तगी और गिरफ्तारी हुई है। वहीं, पुलिस जांच भी चल रही है।

ट्रैफिक मैनेजर भी बर्खास्त

गुरुवार को एक्सप्रेसवे के पैकेज-3 पर तैनात ट्रैफिक मैनेजर शशांक शेखर को बर्खास्त कर दिया गया। इससे पहले असिस्टेंट मैनेजर अशुतोष सरकार को भी हटाया गया था। क्योंकि परियोजना प्राधिकरण ने एंटी-ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (ATMS) से “अनधिकृत वीडियो लीक” की जानकारी दी थी। ऑपरेटर कंपनी SCIPL Superwave Communication and Infra Solutions Pvt Ltd ने आंतरिक जांच के बाद चार कर्मचारियों को हटाया। इनमें असिस्टेंट मैनेजर, ट्रैफिक मैनेजर, एक सिस्टम टेक्नीशियन और एक सिस्टम इंजीनियर शामिल हैं।

निजी वीडियो वायरल होने से खुला मामला

गलत कार्य का खुलासा तब हुआ, जब CCTV क्लिप्स सोशल मीडिया पर वायरल हुईं, जिनमें जोड़े और नवविवाहित यात्रियों के निजी पलों को दिखाया गया। ये वीडियो ATMS कैमरों से निकाले गए थे, जो वाहन गति और सड़क सुरक्षा मॉनिटरिंग के लिए लगाए गए थे। शिकायत के अनुसार, कंट्रोल रूम में तैनात कर्मचारियों ने CCTV स्क्रीन पर ज़ूम कर निजी पल रिकॉर्ड किए और वाहनों का पीछा कर रंगदारी वसूली की धमकी दी। कुछ वीडियो को पैसों की मांग पूरी होने के बाद भी ऑनलाइन पोस्ट किया गया। शुरुआती जांच में CCTV लॉग और डिवाइस रिकॉर्ड से पता चला कि ये फुटेज महीनों तक बार-बार एक्सेस किया गया।

पुलिस ने दर्ज की FIR

राज्य प्रशासन तक मामला पहुंचने पर पुलिस ने स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई की। चार कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया और अशुतोष सरकार (असिस्टेंट मैनेजर), अभिषेक तिवारी (टेक्नीशियन), और प्रमोद पटेल (सिस्टम इंजीनियर) को गिरफ्तार कर लिया गया। ट्रैफिक मैनेजर शशांक शेखर, जिन पर वीडियो ऑनलाइन फैलाने का आरोप है, फिलहाल फरार हैं। जांच के दौरान सरकार ने पुलिस को बताया कि पिछले ढाई साल में हजारों बार इस तरह के रिकॉर्डिंग किए गए, लेकिन पहले सार्वजनिक नहीं हुए।

नई शिकायतें बढ़ा रही है चिंता

एक अलग शिकायत में दावा किया गया कि एक्सप्रेसवे के पास खेतों के पास से गुजरने वाली महिलाओं की भी वीडियो बनाई गई और लीक की गई। कंपनी ने इन आरोपों का खंडन किया है, लेकिन जांच जारी रहने के कारण कंट्रोल रूम की निगरानी कड़ी कर दी गई है। स्थानीय लोगों ने भी चिंता जताई है कि सुरक्षात्मक निगरानी कैमरे अब अत्यधिक घुसपैठ और अनियंत्रित महसूस हो रहे हैं।

सिस्टम की चूक पर सवाल

यह घोटाला डेटा प्राइवेसी और निगरानी प्रणाली पर सवाल उठाता है। एक्सप्रेसवे पर हर 10 किमी में स्मार्ट CCTV कैमरे लगे हैं, जो ओवरस्पीडिंग और इमरजेंसी डिटेक्शन के लिए हैं। लेकिन जांचकर्ताओं के अनुसार, उन्हीं कर्मचारियों ने इसका इस्तेमाल रंगदारी के लिए किया। पुलिस यह जांच रही है कि ATMS से बिना अनुमति वीडियो कैसे निकाली जा सकी और क्यों कोई अलार्म पहले सक्रिय नहीं हुआ। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एक्सेस लॉग, डिवाइस बैकअप और आर्काइव फुटेज के संभावित लीक को शामिल किया जाएगा। एक्सप्रेसवे प्राधिकरण ने ऑपरेटिंग कंपनी से कहा है कि आंतरिक नियंत्रणों का पूर्ण ऑडिट किया जाए और सभी कर्मचारियों की निगरानी हो जिनके पास कैमरा एक्सेस है।

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