दिल्ली हाई कोर्ट ने ख़ारिज की मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका
आप ने कहा कि हम सम्मानपूर्वक दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले से असहमत' हाई कोर्ट ने कहा मनीष सिसोदिया दिल्ली सरकार के ताकतवर और प्रभावशाली मंत्री सबूतों और गवाहों को कर सकते हैं प्रभावित
दिल्ली सरकार के कथित शराब घोटाला मामले में आम आदमी पार्टी और मनीष सिसोदिया को दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका ख़ारिज कर दी है. इतना ही नहीं हाई कोर्ट ने ये भी कहा कि इस मामले के ट्रायल के शुरू होने में ईडी या सीबीआई की ओर से देरी नहीं की गयी है. इसके अलावा ये भी कहा कि मनीष सिसोदिया दिल्ली सरकार के बहुत प्रभावशाली मंत्री रहे हैं, जिनके पास आबकारी विभाग के साथ साथ 18 पोर्टफोलियो थे. इस मामले से ऐसा लगता है कि शक्तियों का दुरूपयोग किया गया है. उन्होंने सबूत नष्ट कराये हैं.
हाईकोर्ट ने कहा कि शराब नीति बनाने से पहले जनता से भी सुझाव मांगे गए, लेकिन जनता के विश्वास को तोड़ते हुए पहले से तय नीति जारी कर दी गई. इसके पीछे का उद्देश्य यही था कि ऐसी नीति बनायी जाए जो कुछ विशेष लोगों के लिए फायदेमंद हो और उसके बदले में रिश्वत मिल सके. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इस निति को लागु करते हुए ऐसे दर्शाया गया कि जैसे ये नीति जनता के सुझाव से बनी है. जो स्पष्ट दर्शाता है कि ये धोखा है और जनतांत्रिक मूल्यों को भी चोट है.
जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने शाम लगभग 6:28 बजे आदेश सुनाना शुरू किया. उन्होंने कहा कि सिसोदिया कथित तौर पर इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस सहित कई अन्य महत्वपूर्ण सबूतों को नष्ट करने में शामिल रहे हैं. उच्च न्यायालय ने कहा कि सिसोदिया दिल्ली सरकार के सत्ता गलियारे में एक बहुत शक्तिशाली और प्रभावशाली व्यक्ति हैं. वो इस केस को प्रभवित कर सकते हैं.
दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले पर आप ने जताई सम्मानपूर्वक असहमति
दिल्ली सरकार की मंत्री और आम आदमी पार्टी की प्रवक्ता आतिशी ने मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका ख़ारिज होने पर कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट ने मनीष सिसोदिया जी की ज़मानत याचिका ख़ारिज कर दी है। हम इस फ़ैसले से सम्मानपूर्वक असहमत हैं। यह तथाकथित शराब घोटाला सिर्फ़ और सिर्फ़ एक राजनैतिक षड्यंत्र है, जिसका मक़सद है आम आदमी पार्टी को कुचलना.
ये पूरा केस दबाव में लिए गए बयानों के आधार पर बना हुआ है. गवाहों पर आम आदमी पार्टी और हमारे नेताओं के खिलाफ बयान देने का दबाव बनाया जाता है. जैसे ही गवाह ईडी के मुताबिक़ आप नेताओं के ख़िलाफ़ बयान दे देते हैं, उन्हें जमानत मिल जाती है. एक गवाह ने तो कोर्ट में बताया कि आप नेताओं के ख़िलाफ़ बयान देने के लिए मारपीट की गई. इसमें उसे चोट लगी.