
चालान जारी होने के बावजूद भरे क्यों नहीं जाते? चार वर्षों से 84 प्रतिशत चालान हैं लंबित
दिल्ली में ट्रैफिक पुलिस द्वारा चालान ऑनलाइन और मैन्युअल दोनों तरह से काटे जाते हैं. लेकिन 4 वर्षों के आंकड़ों पर गौर करें तो 84 प्रतिशत चालान लंबित हैं. क्या है इसकी वजह, जानते हैं.
Traffic Challans Pendency: पिछले चार वर्षों में दिल्ली में जारी किए गए 84% से अधिक ट्रैफिक चालान अब भी अनसुलझे हैं। 2021 से 2024 के बीच कुल तीन करोड़ से अधिक चालान जारी किए गए, लेकिन इनमें से 2.5 करोड़ से ज्यादा चालानों का भुगतान नहीं किया गया।
लंबित चालानों के आंकड़े:
2021: 76.2% चालान बकाया
2022: 80.3% चालान बकाया
2023: 85.3% चालान बकाया
2024: 94.3% चालान बकाया (74.5 लाख में से 70.3 लाख चालान अनसुलझे)
कैमरा बनाम ऑन-द-स्पॉट चालान
2021 से 2024 के बीच 2.3 करोड़ चालान कैमरों से जारी किए गए, जबकि 68 लाख ऑन-द-स्पॉट चालान काटे गए।
2024 में लंबित चालानों में 65% कैमरा-जनित नोटिस थे।
मुख्य कारण:
जटिल भुगतान प्रक्रिया:
स्पीडिंग चालान का भुगतान ऑनलाइन किया जा सकता है, लेकिन सिग्नल जंपिंग जैसे मामलों में पहले शिकायत दर्ज करनी होती है और मामला स्वतः वर्चुअल कोर्ट में चला जाता है।
ऑनलाइन पोर्टल में तकनीकी समस्याओं के कारण कई बार लिंक खुलता नहीं है, जिससे लोग भुगतान छोड़ देते हैं।
चालान की सूचना का अभाव:
चालान की जानकारी एसएमएस के जरिए भेजी जाती है, लेकिन कई लोगों को समय पर या बिल्कुल नहीं मिलती। मोबाइल नंबर या पते बदलने के कारण भी कई लोगों तक जानकारी नहीं पहुंचती।
लोक अदालत का इंतजार:
लोग तुरंत भुगतान करने के बजाय लोक अदालत में चालान निपटाने का इंतजार करते हैं, क्योंकि वहां जुर्माना काफी कम हो जाता है। उदाहरण के लिए, ₹2,000 के चालान को लोक अदालत में ₹200 में निपटा दिया जाता है।
चालान प्रणाली में पारदर्शिता की कमी:
कई बार चालान में गलत वाहन नंबर दर्ज हो जाता है। कुछ मामलों में लोग चालान पोर्टल पर जाकर ही पता लगाते हैं कि उनके नाम पर कई चालान लंबित हैं।
विशेषज्ञों और अधिकारियों की राय:
एस. वेलमुरुगन (CSIR-CRRI प्रमुख, ट्रैफिक इंजीनियरिंग और सुरक्षा): मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम, 2019 के बाद चालान की राशि बढ़ी है, जिससे लोग भुगतान टाल रहे हैं। चालान को ड्राइविंग लाइसेंस से जोड़ने की आवश्यकता है, जिससे बार-बार उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई हो सके।
ट्रैफिक पुलिस अधिकारी:
चालान वसूलना कठिन काम है, क्योंकि लोग भारी जुर्माने के कारण तुरंत भुगतान से बचते हैं और कानूनी प्रक्रिया अपनाते हैं। हर दिन लाखों चालान जारी होते हैं, लेकिन लोक अदालत सिर्फ कुछ महीनों में एक बार लगती है, जिससे चालान लंबित रह जाते हैं।
समाधान और सुधार के प्रयास:
ट्रैफिक पुलिस नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर (NIC) के साथ मिलकर पोर्टल की कार्यक्षमता सुधारने और सूचना भेजने के लिए नए माध्यम विकसित करने पर काम कर रही है। ड्राइविंग लाइसेंस से चालान लिंक करने की प्रक्रिया को प्रभावी बनाने की सिफारिश की गई है।
दिल्ली में ट्रैफिक चालान बकाया रहने की मुख्य वजह भुगतान प्रक्रिया की जटिलता, तकनीकी खामियां, चालान की सूचना में देरी और लोक अदालत में छूट की मानसिकता है।