आई4सी ने कहा डिजिटल अरेस्ट का कॉल आये तो घबराये नहीं, इस नम्बर दें सूचना
x

आई4सी ने कहा डिजिटल अरेस्ट का कॉल आये तो घबराये नहीं, इस नम्बर दें सूचना

एडवाइजरी में व्हाट्सएप और स्काइप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लोगो का इस्तेमाल करके यह दर्शाया गया है कि इस तरह के घोटाले के लिए कॉल ऐसे प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करके किए जाते हैं।


Don't Afraid Of Digital Arrest: देश में डिजिटल अरेस्ट के नाम पर ठगी के केस आये दिन बढ़ते जा रहे हैं. आलम ये है कि लोग अपनी गाढ़ी कमाई और जमा पूंजी का काफी बढ़ा हिस्सा या फिर पूरी की पूरी रकम गवां बैठे हैं. अलग अलग राज्यों की पुलिस ऐसे कई जालसाजों को गिरफ्तार भी कर चुकी है, जो डिजिटल अरेस्ट के नाम पर लोगों को ठग चुके हैं लेकिन इसके बाद भी इस तरीके से होने वाली ठगी रुक नहीं पा रही है. इन सब बातों पर गौर करते हुए भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) ने देश में ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ अपराधों के बढ़ते मामलों के मद्देनजर जारी एक एडवाइजरी जारी करते हुए कहा कि सीबीआई, पुलिस, सीमा शुल्क, ईडी या न्यायाधीश वीडियो कॉल के जरिए लोगों को गिरफ्तार नहीं करते हैं. इसलिए अगर कोई ऐसी कॉल आये तो उससे डरने की कोई जरुरत नहीं है और न ही उनके चंगुल में फंसने की.


आई4सी की एडवाइजरी में क्या कहा गया है
शनिवार को जारी की गयी एडवाइजरी में कहा गया है कि "घबराएं नहीं, सतर्क रहें. सीबीआई/पुलिस/कस्टम/ईडी/न्यायाधीश आपको वीडियो कॉल पर गिरफ्तार नहीं करते हैं." इसके अलावा ये भी गौर करने वाली बात है कि डिजिटल अरेस्ट की जो भी कॉल होती हैं, वो सोशल मीडिया के माध्यम से की जाती हैं, जैसे व्हाट्सएप और स्काइप. ये भी गौर करने वाली बात है कि ऐसी कॉल कोई भी जाँच एजेंसी या फिर न्यायिक अधिकारी किसी को अरेस्ट करने के लिए नहीं करता. तमाम जाँच एजेंसियों ने इन सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के साथ समन्वय तैयार करने के लिए भी काम कर रहे हैं.

अगर कोई डिजिटल अरेस्ट की कॉल आये तो यहाँ सूचना दें
आई4सी ने लोगों से ऐसे अपराधों की सूचना केंद्रीय हेल्पलाइन नंबर 1930 या वेबसाइट www.cybercrime.gov.in पर देने का आग्रह किया है.

ये होती है मोडस ओपरेंडाई
एडवाइजरी में बताया गया है कि कानून में कुछ नहीं होता डिजिटल अरेस्ट. डिजिटल अरेस्ट एक साइबर अपराध तकनीक को दिया गया नाम है, जिसमें धोखेबाज कानून प्रवर्तन एजेंसी के अधिकारी बनकर किसी व्यक्ति को एसएमएस भेजते हैं या वीडियो कॉल करते हैं, तथा धोखाधड़ी से दावा करते हैं कि उस व्यक्ति या उसके करीबी परिवार के सदस्यों को किसी सरकारी जांच एजेंसी ने मादक पदार्थों की तस्करी या धन शोधन जैसी आपराधिक गतिविधि में पकड़ा है.
इसके बाद साइबर अपराधी व्यक्ति को 'डिजिटल अरेस्ट' के तहत अपने मोबाइल फोन के कैमरे को चालू रखने के लिए कहकर उसे अपने परिसर में ही सीमित कर लेते हैं, तथा फिर पीड़ित को इस स्थिति से बाहर निकालने के लिए ऑनलाइन हस्तांतरण के माध्यम से धन की मांग करते हैं.


Read More
Next Story