30 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट रहा वो शख्स, जानें- कैसे रकम गंवाने से बचा
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30 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट रहा वो शख्स, जानें- कैसे रकम गंवाने से बचा

तकनीक के मामले में हम आधुनिक हो रहे हैं। लेकिन उसका नकारात्मक पक्ष भी सामने आ रहा है। डिजिटल अरेस्ट उनमें से एक है। हाल ही में पीएम मोदी ने बचाव के सुझाव दिए।


Digital Arrest News: अरे, वो तो डिजिटल अरेस्ट हो गया। डिजिटल अरेस्ट, भला ये क्या आफत आन पड़ी। अभी तक को अरेस्ट करने का काम पुलिस करती थी। हाजत में बंद करती थी। अब यह कौन सा अरेस्ट होता है। ग्रेटर नोएडा वेस्ट के रहने वाले दो शख्स ऐसे ही बात कर रहे थे। दूसरों की बात से तब तक किसी को भी फर्क नहीं पड़ता जब तक वो खुद शिकार ना हो। जालसाजी, ठगी के आपने बहुत से मामले आपने सुने होंगे। डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest Cases in India) उनमें से ही एक है। खुद पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi on Digital Arrest) ने मन की बात कार्यक्रम में इसका जिक्र करते हुए कहा कि यह फरेब है, जालसाजों का गिरोह है, कोई भी एजेंसी फोन या वीडियो कॉल पर कभी पूछताछ नहीं करती। अगर आपके पास फोन आए तो शांत रहिए, सोचिए और फिर एक्शन लीजिए। इस तरह की सलाह के बीच हैदराबाद का एक शख्स 30 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट रहा। हालांकि अच्छी बात यह हुई कि वो जालसाजों का शिकार होने से बच गया। लेकिन यह कैसे संभव हुआ उसके बारे में बताएंगे।

कॉल ड्रॉप से बच गया वो शख्स
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक हैदराबाद का रहने वाले एक शख्स (आईटी फर्म में काम करने वाला) साइबर अपराधियों के चंगुल से बाल-बाल बच गया। हालांकि 30 घंटे तक वो डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest Kya Hota Hai) में रहा। शुक्रवार यानी 25 अक्टूबर की रात से यह कहानी शुरू होती है। इस वारदात के दौरान पीड़ित अपने घर मियापुर से 15 किलोमीटर की दूरी तय कर अमीरपेट तक का सफर तय करता है। अमीरपेट में एक लॉज में रुका और सफर के दौरान जालसाज लगातार वीडियो काल के जरिए संपर्क में थे। यह घटना रविवार सुबह तब खत्म हुई जब पीड़ित का कॉल अचानक बंद हो गया और वह मदद के लिए साइबर अपराध पुलिस (Hyderabad Cyber Police) से संपर्क करने में कामयाब रहा।

इस वजह से डर गया
पीड़ित शख्स बताता है कि पहले उसे कई संदिग्ध टेक्स्ट मैसेज मिले जिन्हें उसने स्पैम समझकर अनदेखा कर दिया। परेशानी शनिवार सुबह करीब 3 बजे शुरू हुई जब उसके फ्रॉड करने वालों की तरफ से कॉल आया। पहले फेडएक्स कूरियर एजेंट (Fed ex Courier Agent) और फिर मुंबई पुलिस अधिकारी बनकर उ्न्होंने दावा किया कि उसका आधार नंबर मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) मामले से जुड़ा हुआ है। इस दफा पीड़ित ने इसे असली मान लिया। जाल में फंसने के बाद धोखेबाजों ने उसे व्हाट्सएप वीडियो कॉल पर आने और तब तक उस पर बने रहने के लिए मजबूर किया, जब तक कि उसका अकाउंट सत्यापित नहीं हो जाता। उन्होंने उसे तब तक खुद को परिवार से अलग रखने का भी निर्देश दिया ताकि जानकारी लीक न हो और उसका परिवार इसमें न घसीटा जाए।

परिवार का नाम सामने आने के बाद वो परेशान हो गया। उसने अपनी पत्नी और नाबालिग बेटे से कहा कि वह एक होटल में अपने बॉस के साथ एक आपातकालीन बैठक में भाग लेने जा रहा है और वह अगले कुछ घंटों तक व्यस्त रहेगा। उसने उनसे यह भी कहा कि जब तक वह घर वापस नहीं आ जाता, तब तक उसे परेशान न करें। साइबर पुलिस के अनुसार, पीड़ित अमीरपेट में लॉज की सवारी करते समय भी वीडियो कॉल पर था क्योंकि स्कैमर्स ने कहा कि अगर उसने बात नहीं मानी तो उसे गिरफ्तार किया जाएगा और उसके परिवार को भी कानूनी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।

पुलिस के मुताबिक जालसाजों ने पीड़ित से कहा कि यह प्रक्रिया सोमवार यानी 28 अक्टूबर तक चलेगी। वह सत्यापन के लिए अपने खाते से आरटीजीएस भुगतान कर रिहा हो सकता है। उन्होंने कोई खास राशि नहीं बताई थी। यह सब कुछ 27 अक्टूबर की सुबह तक चला। लेकिन पीड़ित का कॉल अचानक बंद हो गया और उसने हैदराबाद साइबर अपराध हेल्पलाइन पर कॉल किया जहां अधिकारियों को एहसास हुआ कि उसके साथ धोखाधड़ी हुई है।

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