विपक्ष के विरोध के बीच नए कानून के तहत FIR दर्ज, क्या होगा पुराने मामलों पर असर
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विपक्ष के विरोध के बीच नए कानून के तहत FIR दर्ज, क्या होगा पुराने मामलों पर असर

विपक्ष का कहना है कि ये कानून उस समय संसद में पास कराये जब विपक्ष के सांसद सदन से बाहर थे, इस बीच पुलिस ने नए कानून भारतीय न्याय संहिता ( BNS ) के तहत एफआईआर दर्ज करनी भी शुरू कर दी है


Three New Criminal Laws: देश में अपराध से सम्बंधित तीन नए कानून लागू हो चुके हैं, जिसे लेकर विपक्ष ने विरोध भी शुरू कर दिया है. विपक्ष का कहना है कि ये कानून उस समय संसद में पास कराये जब विपक्ष के सांसद सदन से बाहर थे, ऐसे में ये जरुरी है कि इन नए कानूनों पर पुन: विचार विमर्श होना चाहिए. इस बीच पुलिस ने नए कानून भारतीय न्याय संहिता ( BNS ) के तहत एफआईआर दर्ज करनी भी शुरू कर दी है.


दिल्ली में सड़क पर अवैध रेहड़ी लगाने को लेकर दर्ज हुई पहली एफआईआर

दिल्ली के कमला मार्किट थाने नए कानून BNS के तहत पहली एफआईआर दर्ज की. ये एफआईआर रविवार/सोमवार की दरमियानी रात को दर्ज की गयी. एफआईआर के मुताबिक कमला मार्किट थाणे की एक पुलिस टीम देर रात को गश्त पर थी, तभी नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन के पास एक व्यक्ति ने सड़क पर अवैध तरह से रेहड़ी पटरी लगाई हुई थी, जिसकी वजह से सड़क पर व्यवधान पैदा हो रहा था. पुलिस ने इस शख्स के खिलाफ बीएनएस के तहत एफआईआर दर्ज की, जो बीएनएस की धारा 285 के तहत दर्ज की गयी.


दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने क्या कहा

इस विषय पर दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा ने कहा कि 1 जुलाई से लागू हुए तीन नए आपराधिक कानूनों के तहत पुलिस ने एफआईआर दर्ज करनी शुरू कर दी है. दिल्ली पुलिस तीन नए कानूनों को लागू करने के लिए तैयार है. दिल्ली पुलिस ने आज सुबह से नए कानूनों के तहत एफआईआर दर्ज करना शुरू कर दिया है. संजय अरोड़ा ने कहा कि ये दिल्ली पुलिस बल का सौभाग्य है कि आज के दिन नए कानून लागू हुए, क्योंकि आज हमारा ‘कमिश्नरेट दिवस’ है और इसी दिन ये कानून लागू हो रहे हैं.’’

भारतीय न्याय संहिता में क्या है अलग ?

भारतीय न्याय संहिता ( BNS ) ने अब आईपीसी यानी भारतीय दंड संहिता की जगह ले ली है. आईपीसी में जहाँ 511 सेक्शन थे, तो वहीँ बीएनएस में 358 धाराएं हैं. इतना ही नहीं 21 नए तरह के अपरोधों को बीएनएस में शामिल किया गया है. 25 अपराध ऐसे हैं, जिनमें सजा की अवधि को कम किया गया है. जबकि 41 अपराधों के लिए सजा के प्रावधान को बढ़ा दिया गया है, साथ ही 82 अपराधिक धाराओं में जुर्माने की राशी को बढाया गया है. 6 धाराएं ऐसी हैं, जिनमें सजा के तौर पर सामाजिक सेवा करनी होगी.

पुराने दर्ज मामलों में आईपीसी, सीआरपीसी और इंडियन एविडेंस एक्ट के तहत ही होगी कार्रवाई

बेशक तीनों नए कानून 1 जुलाई से प्रभावी हो गए हैं, लेकिन जो केस 30 जून तक आईपीसी के तहत दर्ज किये गए हैं, उनकी आगे की कार्यवाही सीआरपीसी, इंडियन एविडेंस एक्ट के तहत ही अदालत में जारी रहेगी.


कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने की ये मांग

कांग्रेस के सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि ये तीन नए कानून इस देश में पुलिस राज की स्थापना करेंगे. ये आज से दो सामानांतर फौजदारी की प्रणालियों को जन्म देंगे. 30 जून 2024 की रात 12 बजे तक जो आपराधिक मुकदमे दर्ज किये गए हैं, उन पर अदालतों में नए तरीके से कार्यवाही की जाएगी जबकि पहले से अदालतों के संज्ञान में हैं, उन पर पुराने कानूनों के तहत कार्यवाही होगी. भारत की जो न्यायिक प्रणाली है, उसमें 3.4 करोड़ मामले लंबित हैं. जिसमें से अधिकतर आपराधिक मामले हैं. आने वाले दिनों में एक बहुत बड़ा संकट आने वाला है. मेरा यही कहना है कि इन कानूनों को संसद के समक्ष दोबारा रख कर एक जॉइंट पार्लियामेंट्री कमिटी के सामने रखने के बाद, फिर से क्रियान्वयन के लिए भेजा जाना चाहिए."

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