
सेंट कोलंबा छात्र की आत्महत्या मामले में FIR के बाद चार शिक्षक सस्पेंड
दिल्ली के सेंट कोलंबा स्कूल के 16 वर्षीय शौर्य की आत्महत्या के बाद चार शिक्षक निलंबित; पिता ने मानसिक प्रताड़ना के गंभीर आरोप लगाए, दिल्ली सरकार ने हाई-लेवल जांच शुरू की।
St. Colamba's School Student Suicide Case : दिल्ली के प्रतिष्ठित सेंट कोलंबा स्कूल में पढ़ने वाले 16 वर्षीय छात्र शौर्य पाटिल की आत्महत्या के बाद मामला गंभीर मोड़ ले चुका है। घटना के दो दिन भीतर स्कूल प्रशासन ने उन चार शिक्षकों हेडमास्टर अपराजिता पाल, जूली वर्गीज, मनु कालरा और युक्ति अग्रवाल महाजन को निलंबित कर दिया गया है, जिनके नाम छात्र के पिता द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर में शामिल हैं।
शौर्य ने मंगलवार दोपहर राजेंद्र प्लेस मेट्रो स्टेशन से कूदकर अपनी जान दे दी थी। उसके पास से एक सुसाइड नोट भी मिला, जिसमें उसने अपनी मां से माफी मांगते हुए लिखा कि स्कूल के कुछ शिक्षक उसे लगातार डांटते और परेशान करते थे। उसने लिखा कि मम्मी, मैंने आपका दिल कई बार तोड़ा। अब आखिरी बार तोड़ूंगा। स्कूल की टीचर्स ऐसी ही हैं, क्या कहूं।
एफआईआर में क्या आरोप लगाए गए?
बुधवार को दर्ज एफआईआर में शौर्य के पिता प्रदीप पाटिल ने दावा किया कि उनके बेटे को बीते कई महीनों से मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा था।
उनके अनुसार जूली वर्गीज पिछले चार दिनों से शौर्य को यह कहकर डरा रही थीं कि उसे स्कूल से निकाल दिया जाएगा और ट्रांसफर सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाएगा।
मनु कालरा ने एक बार शौर्य को धक्का दिया था, जिससे वह बेहद डर गया था।
युक्ति महाजन, जो ड्रामेटिक्स क्लास लेती थीं, ने घटना वाले दिन शौर्य का मज़ाक उड़ाया, यह कहते हुए कि वह ‘ओवरएक्टिंग’ कर रहा है। उसके रोने के बावजूद शिक्षक ने कहा कि वह चाहे जितना रो ले, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
हेडमास्टर अपराजिता पाल उस समय मौजूद थीं, लेकिन उन्होंने हस्तक्षेप नहीं किया।
पिता ने कहा कि यह सिलसिला इतना बढ़ गया था कि शौर्य घर पर बताता था कि उसके मन में आत्महत्या जैसे विचार आने लगे हैं। परिजनों का आरोप है कि स्कूल प्रबंधन ने कभी भी इस मानसिक स्थिति की जानकारी परिवार को नहीं दी।
स्कूल ने क्या कार्रवाई की?
स्कूल के प्रिंसिपल रॉबर्ट फर्नांडिस ने चारों स्टाफ सदस्यों को पत्र भेजकर उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। पत्र में लिखा है कि:
निलंबन जांच पूरी होने तक लागू रहेगा।
चारों शिक्षक स्कूल में प्रवेश नहीं कर सकते।
वे किसी छात्र, अभिभावक या कर्मचारी से बिना लिखित अनुमति बात नहीं कर सकते।
उन्हें जांच के लिए उपलब्ध रहना अनिवार्य है।
स्कूल ने यह भी स्वीकार किया कि एफआईआर गंभीर आरोपों पर आधारित है और निष्पक्ष जांच जरूरी है।
परिवार का दर्द और छात्रों का आक्रोश
प्रदूष पाटिल ने बताया कि उनका बेटा कक्षा 2 से सेंट कोलंबा स्कूल में पढ़ रहा था और पढ़ाई में अच्छा था। उन्होंने कहा कि हमने सोचा था कि प्री-बोर्ड के बाद उसे दूसरे स्कूल में शिफ्ट कर देंगे। वह इस बात से खुश था। लेकिन शिक्षकों का व्यवहार इतना कठोर हो गया कि उसने कहा कि उसे आत्मघाती विचार आने लगे हैं। यह स्कूल का कर्तव्य था कि हमें इसकी सूचना दी जाती।
घटना के बाद कई छात्र और अभिभावक स्कूल के बाहर जमा हुए। उन्होंने शौर्य के लिए कैंडल मार्च निकाला और शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
दिल्ली सरकार की बड़ी कार्रवाई
गुरुवार को दिल्ली सरकार ने इस मामले को "गंभीर प्रशासनिक चूक" बताते हुए उच्चस्तरीय जांच का आदेश दिया। शिक्षा निदेशालय ने संयुक्त निदेशक हरषित जैन की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति बनाई है।
समिति को:
घटना की परिस्थितियों की विस्तृत जांच,
स्कूल प्रबंधन की भूमिका,
छात्र की शिकायतों पर स्कूल ने क्या कदम उठाए,
मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े प्रोटोकॉल के पालन की स्थिति,
इन सभी पहलुओं की 3 दिनों में रिपोर्ट देनी है।
सरकार ने कहा कि किसी भी लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
मामले ने उठाए कई सवाल
शौर्य की मौत ने एक बार फिर स्कूलों में मानसिक स्वास्थ्य, शिक्षकों के व्यवहार, निगरानी तंत्र और शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई जैसे मुद्दों को कठघरे में खड़ा कर दिया है।
परिवार की मांग है कि दोषी शिक्षकों पर सख्त कार्रवाई हो तथा स्कूलों में छात्र सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य सिस्टम को मज़बूत किया जाए।
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