हाथरस भगदड़ में साजिश एंगल, साकार हरि बोला जांच के लिए तैयार
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हाथरस भगदड़ में साजिश एंगल, 'साकार हरि' बोला जांच के लिए तैयार

हाथरस भगड़ के संबंध में नारायण साकार हरि ने साजिश का आरोप लगाया है, उसका कहना है कि वो किसी भी तरह की जांच के लिए तैयार है.


Hathras Stampede Latest News: हाथरस भगदड़ की जांच के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार ने न्यायिक आयोग का गठन कर दिया है। हालांकि इसकी प्रारंभिक जांच में फिसलन भरी दीवाल को जिम्मेदार बताया गया है, इस मामले में जो एफआईआर दर्ज की गई है उसमें मुख्य आयोजक को आरोपी बनाया गया है। हालांकि प्रवचन करने वाले बाबा साकार हरि का नाम नहीं है। उसके पीछे यह तर्क दिया गया है कि जिस समय भगदड़ मची उस वक्त साकार हरि मौके पर मौजूद नहीं थे। मंगलवार 2 जुलाई को हुई घटना के बाद साकार हरि लापता हो गए थे.हालांकि वीडियो संदेश के जरिए कहा वो घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं और अपने वकील के जरिए संदेश दिया कि वो कहीं फरार नहीं है. जांच में पूरी तरह सहयोग करेगा।

रची गई है साजिश

सत्संग के प्रचारक भोले बाबा के वकील ए पी सिंह ने कहा कि प्रचारक मंगलवार की भगदड़ की जांच कर रहे राज्य प्रशासन और पुलिस के साथ सहयोग करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने दावा किया कि कुछ असामाजिक तत्वों ने साजिश रची है। 2 जुलाई की रात सिकंदरा राऊ थाने में दर्ज एफआईआर में मुख्य सेवादार देवप्रकाश मधुकर और अन्य आयोजकों को आरोपी बनाया गया है। प्रचारक जगत गुरु नारायण साकार हरि भोले बाबा का नाम सूची में नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि न्यायिक जांच दल में सेवानिवृत्त पुलिस और प्रशासन के अधिकारी शामिल होंगे।
आखिर किसने रची साजिश
हाथरस दौरे पर उन्होंने घायलों से मुलाकात की और पत्रकारों से कहा कि अगर यह दुर्घटना नहीं है, तो यह किसकी साजिश है? इन सबकी जांच की जाएगी। अदालतों में दो याचिकाएं दायर की गईं इस त्रासदी को लेकर बुधवार को अदालतों में कम से कम दो याचिकाएं दायर की गईं। एक अधिवक्ता ने घटना की जांच के लिए सेवानिवृत्त शीर्ष अदालत के न्यायाधीश की निगरानी में पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति की नियुक्ति की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक अन्य जनहित याचिका में केंद्रीय जांच ब्यूरो से जांच की मांग की गई। लेकिन आदित्यनाथ और एफआईआर स्थानीय प्रशासन को क्लीन चिट देते हुए 'सत्संग' की व्यवस्था देख रहे 'सेवादारों' पर दोष मढ़ते हुए प्रतीत हुए। एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि आयोजकों ने साक्ष्य छिपाकर और भक्तों की चप्पलें और अन्य सामान पास के खेतों में फेंककर कार्यक्रम में आने वाले लोगों की वास्तविक संख्या को छिपाने की कोशिश की। एफआईआर में कहा गया है कि पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने उपलब्ध संसाधनों के साथ हर संभव प्रयास किया और घायलों को अस्पताल पहुंचाया। लेकिन आयोजकों और सेवादारों ने सहयोग नहीं किया।

सीबीआई जांच की मांग
एफआईआर और सिकंदरा राऊ सब डिविजनल मजिस्ट्रेट की प्रारंभिक रिपोर्ट के मुताबिक भगदड़ तब हुई जब प्रवचनकर्ता कार्यक्रम स्थल से चले गए। लोग उनकी ओर दौड़े - दर्शन करने के लिए दौड़े और उस जगह से कुछ मिट्टी इकट्ठा करने के लिए, जिस पर वे साकार हरि चले थे लेकिन सेवादारों ने उन्हें दूर धकेल दिया। एसडीएम की रिपोर्ट में कहा गया है कि राजमार्ग के बगल में ढलान से उतरते समय कई लोग फिसल गए। एफआईआर में बाबा का नाम क्यों नहीं है? सीएम ने कहा कि सेवादारों को पीड़ितों को अस्पताल ले जाना चाहिए था। उन्होंने दावा किया कि लोग मर रहे थे और सेवादार भाग गए। यह पूछे जाने पर कि एफआईआर में धर्मगुरु का नाम आरोपी के तौर पर क्यों नहीं है, आदित्यनाथ ने कहा कि पहली नजर में इस कार्यक्रम की अनुमति के लिए आवेदन करने वालों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।

दम घुटने से ज्यादा सत्संगियों की मौत
एटा के एक अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि दबाव के कारण दम घुटना मौत का प्रमुख कारण था।एक अधिकारी ने बताया कि एफआईआर भारतीय न्याय संहिता की धारा 105 (गैर इरादतन हत्या), 110 (गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास), 126 (2) (गलत तरीके से रोकना), 223 (लोक सेवक द्वारा जारी आदेश की अवज्ञा), 238 (साक्ष्यों को गायब करना) के तहत दर्ज की गई है।दुखद घटना के एक दिन बाद, परिवार के सदस्यों ने अपने नुकसान को स्वीकार करने की कोशिश की।

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