पुणे पॉर्श केस में अब जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड की भूमिका पर भी उठे सवाल
जाँच समिति ने कहा जिस तरह से जमानत दी गयी वो दर्शाता है कि प्रक्रियात्मक लापरवाही अपनाई गयी है. बोर्ड के अन्य सदाओं ने भी कुछ नहीं किया
Pune Porsche Case: पुणे के पोर्शे दुर्घटना मामले जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के सदस्यों की भूमिका को लेकर गठित की गयी एक रिपोर्ट ने फिर से हंगामा खड़ा कर दिया है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नाबालिग आरोपी को जमानत देने में प्रक्रियात्मक खामियां रहीं. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जेजेबी के सदस्य डॉ एलएन दानवाड़े ने बाइक सवार दो लोगों को दुर्घटना में मौत के घाट उतारने वाले नाबालिग को महज 300 शब्दों का निबंध लिखवा कर जमानत दे दी गयी. समिति की तरफ से सामाजिक न्याय विभाग को 100 पन्नों की रिपोर्ट सौंप दी गयी है, जिसमें कहा गया है कि जिस तरह से डॉ. दानवाडे़ ने मामले को संभाला, उसमें कई खामियां हैं. उन्होंने ब्लड रिपोर्ट की खामियों पर भी विचार नहीं किया.
क्या कहा है रिपोर्ट में
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड(जेजेबी) ने तय मानकों के अनुसार रोस्टर नहीं बनाया. डॉ दानवाडे ने आरोपी किशोर को जमानत देने में काफी जल्दबाजी दिखाई. समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि ऐसे संवेदनशील मामले में कोई भी निर्णय एक से ज्यादा सदस्यों की उपस्थिति में लिया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. डॉ दानवाड़े ने अकेले ही नाबालिग को जमानत देने का निर्णय ले लिया. रिपोर्ट में जमानत की शर्तों पर भी हैरानी जताई गयी है, जिसमें सड़क सुरक्षा पर 300 शब्दों का निबंध लिखना और महज 15,000 रुपये के बांड शामिल थे.
रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है कि जनआक्रोश को देखते हुए इन शर्तों को बाद में संशोधित किया गया. पुलिस ने भी इस मामले में आरोपी चालक के खिलाफ नाबालिग की जगह वयस्क के तौर पर क़ानूनी कार्यवाही की गयी और उसे रिमांड होम भेज दिया गया.
रिपोर्ट में जेजेबी के अन्य सदस्यों पर भी उँगलियाँ उठाई गयीं है, जिसमें ये कहा गया है कि अगर जेजेबी के अन्य सदस्य चाहते तो अपने एक सदस्य द्वारा दिए गए जमानत के आदेश को अगले ही दिन पलट सकते थे, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. यहीं वजह है कि जेजेबी के अन्य सदस्यों के खिलाफ भी नोटिस जारी किया गया है.
इस रिपोर्ट के बाद जेजेबी के सभी सदस्यों(गैर न्यायिक सहित) के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. सभी से कथित खामियों पर जवाब देने का आदेश दिया है. ज्ञात रहे कि 19 मई को पुणे में तेज रफ़्तार पोर्शे कार ने मोटरसाइकिल पर जा रहे एक युवक युवती को जोरदार टक्कर मारते हुए मौत के घात उतार दिया था. युवक-युवती पेशे से सॉफ्टवेयर इंजिनियर थे. इस घटना के बाद जनता में काफी आक्रोश देखने को मिला था क्योंकि पुलिस ने जिस तरह से शुरुआत में कार्रवाई की थी, उससे ये स्पष्ट हो चुका था कि आरोपी को फायदा पहुँचाने में पुलिस व प्रशासन ने मदद की है. लेकिन जब मामले ने तूल पकड़ा तो पुलिस ने गंभीरता से मामले की जाँच शुरू की और नाबालिग के खिलाफ बालिग के तहत मुकदमा चलाना शुरू किया और कुछ पुलिस कर्मियों को निलंबित किया गया. फॉरेंसिक डॉक्टरों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया, उन्हें गिरफ्तार किया गया. नाबालिग के माता पिता को खून के नमूने बदलने की साजिश के सरोप में गिरफ्तार किया गया है.