
अलफलाहा वाले जवाद सिद्दीकी का पुराना कारनामा : मृतकों के नाम पर जमीन हड़पने का आरोप
FIR 2021 में अदालत के आदेश के बाद दर्ज की गयी थी, आरोप है कि जो लोग काफी पहले मर चुके थे, उनके फर्जी दस्तखत और अंगूठे के निशान लेकर जमीन की रजिस्ट्री करायी गयी
Alfalaha Trust Jawad Siddiqui : अल्फलाह मेडिकल कॉलेज और ट्रस्ट के चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी का नाम विवादों से पहले भी जुड़ा रहा है। दिल्ली बम धमाके के बाद जिस तरह से तमाम एजेंसियों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और एक के बाद एक मामले दर्ज किये जा रहे हैं, लेकिन 2021 में भी उनके खिलाफ दिल्ली के ही कालिंदी कुंज थाने में FIR दर्ज की गयी थी, जो जमीन की खरीद फरोख्त में धान्धली से जुड़ी थी। दरअसल तर्बिया एजुकेशन फाउंडेशन नामक एक कंपनी ने मदनपुर खादर और आसपास के इलाकों में स्थित कृषि भूमि खरीदी थी। तर्बिया फाउंडेशन नमक कंपनी के डायरेक्टर जवाद अहमद सिद्दीकी हैं। आरोप है कि जवाद ने कुछ लोगों के साथ मिली भगत कर फर्जी दस्तावेज़ और बैकडेटेड GPA (General Power of Attorney) तैयार करके ज़मीन पर अवैध कब्ज़ा कर मालिकाना हक़ जमा लिया।
सबसे गंभीर आरोप जवाद अहमद सिद्दीकी पर है, जो अल्फल्हा मेडिकल कॉलेज चलाने वाले अल्फल्हा ट्रस्ट के चेयरमैन हैं। शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि जवाद ने अपने पद और प्रभाव का इस्तेमाल करके जमीन विवाद में सक्रिय भूमिका निभाई और दस्तावेज़ों में उन लोगों के नाम के फर्जी हस्ताक्षर करवाए, जो पहले ही मर चुके थे।
क्या है मामला
शिकायतकर्ताओं में से एक कुलदीप सिंह बिधूड़ी और उनके परिवार का आरोप है कि जमीन के कई हिस्सों के दस्तावेज़ों में मृत व्यक्तियों के नाम से फर्जी हस्ताक्षर किए गए। GPA और अन्य कागज़ 2004 से पहले तैयार होने का दिखाया गया, जबकि हस्ताक्षरकर्ता उस समय मृत थे। दबाव, धमकियाँ और समझौते के प्रयास किए गए ताकि परिवार विवाद से पीछे हट जाए। शिकायतों के बावजूद स्थानीय अधिकारियों द्वारा संतोषजनक कार्रवाई नहीं की गई।
(पीड़ित पक्ष का दावा है कि नारंगी रंग से हाईलाइट किये गए नाम वो हैं, जिनकी काफी पहले मृत्यु हो गयी थी और फिर बाद में उन्हीं के फर्जी हस्ताक्षर और दस्तखत करके रजिस्ट्री करवाई गयी।)
कुलदीप ने बताया कि जवाद और कुछ अन्य लोगों ने कई बार परिवार पर दबाव बनाया और धमकियाँ दी, जिससे मामला उलझता गया। जमीन की कीमत करोड़ों में होने के कारण इसे “बड़ी साजिश” माना गया। कुलदीप सिंह बिधूड़ी के वकील दीपक बिधूड़ी का कहना है कि कुल 9 बीघा 14 बिस्वा जमीन में से 5 बीघा 5 बिस्वे जमीन की रजिस्ट्री करवाई गयी, इसमें अंगूठे और हस्ताक्षर ऐसे लोगों के नाम पर लगवाए गए, जो कई साल पहले ही मर चुके थे। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि ये सब फर्जीवाड़ा किया गया।
एफआईआर में क्या लिखा है
13 फरवरी 2021 को कालिंदी कुंज थाना में दर्ज FIR No. 0099/2021 के अनुसार:
आरोप है कि दस्तावेज़ों की बैक डेटिंग करके जमीन हड़पने की कोशिश की गई। मृत व्यक्तियों के नाम का गलत इस्तेमाल किया गया। उनके फर्जी हस्ताक्षर या फिर अंगूठे के निशान लगवाए गए। परिवार को धमकाने, बदनाम करने और समझौता करवाने के प्रयास किए गए।
जवाद अहमद सिद्दीकी सहित अन्य लोगों की मिलीभगत की संभावना जताई गई।
जमीन और विवाद
विवादित जमीन मदनपुर खादर, तुगलकाबाद और तेहखंड के सीमावर्ती इलाकों में है। जमीन की कीमत करोड़ों में होने के कारण फर्जीवाड़े की संभावना बढ़ जाती है। शिकायतकर्ता पिछले 15 सालों से अधिकारियों और अदालतों के दरवाजे खटखटा रहे हैं, लेकिन अब तक मामला निर्णायक मुकाम तक नहीं पहुंचा। ये FIR भी अदालत में 156(3) के तहत लगायी गयी अर्जी के बा अदालत के आदेश पर दर्ज की गयी थी।
जवाद अहमद सिद्दीकी की भूमिका
जवाद का नाम दस्तावेज़ों और FIR में लगातार सामने आता है। आरोप है कि उन्होंने फर्जी दस्तावेज़ बनवाने, जमीन हड़पने और परिवार पर दबाव डालने में प्रमुख भूमिका निभाई। जवाद अल्फल्हा ट्रस्ट के चेयरमैन होने के नाते आरोप है कि उन्होंने अपने धन बल का दुरुपयोग कर धोखाधड़ी की साजिश रची और उसमें शामिल हुए ।
शिकायतकर्ता ने बताया कि जवाद और अन्य आरोपी परिवार को पीछे हटने के लिए बार-बार दबाव डालते रहे।
पुलिस और जांच की स्थिति
FIR दर्ज होने के बाद पुलिस ने मामला जांच के अंतर्गत लिया। संबंधित भूखंड और दस्तावेज़ों की जांच शुरू कर दी गई, लेकिन इसके बाद इस मामले की जाँच को रोक दिया गया, जिसके पीछे अदालत का एक आदेश बताया गया। इस विषय में पीड़ित पक्ष का कहना है कि इस विषय में दिल्ली हाईकोर्ट में विचाराधीन है।
अल्फलाह की तरफ से कहा गया हमारे खिलाफ कोई मामला नहीं
इस विषय में जब अल्फलाहा ट्रस्ट क चेयरमैन जवाद का पक्ष लेने के लिए उनके लीगल मामलों के जानकार मोहम्मद राज़ी से बात की गयी तो उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों से वो अल्फलाह से सम्बंधित कोई मामला नहीं देख रहे हैं। जब उनसे कालिंदी कुंज थाने में दर्ज FIR को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि ऐसा कोई मामला नहीं है।
ईडी ने मंगलवार को ही किया था जवाद को गिरफ्तार
ज्ञात रहे कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अल फलाह ग्रुप के चेयरमैन जावेद अहमद सिद्दीकी को गिरफ्तार कर लिया है। यह कार्रवाई दिल्ली-एनसीआर में अल फलाह यूनिवर्सिटी के ट्रस्टी और प्रमोटरों के ठिकानों पर की गई व्यापक छापेमारी के बाद हुई। यह वही यूनिवर्सिटी है, जिसका नाम लाल किले के पास कार ब्लास्ट मामले में जांच एजेंसियों के रडार पर है। ED अधिकारियों के अनुसार, अल फलाह ट्रस्ट के तहत संचालित सभी शैक्षणिक संस्थान वास्तविक रूप से सिद्दीकी के नियंत्रण में थे। एजेंसी का कहना है कि 1990 के दशक से अल फलाह ग्रुप का तेज़ी से विस्तार हुआ, लेकिन इसकी वित्तीय वृद्धि “कागजी तौर पर दर्ज वैध आय” से मेल नहीं खाती।
अधिकारियों ने बताया कि कम से कम 9 शेल कंपनियां, जो एक ही पते पर रजिस्टर्ड हैं, जांच के दायरे में हैं। दिल्ली पुलिस की FIR में आरोप है कि अल फलाह यूनिवर्सिटी ने छात्रों और अभिभावकों को गुमराह करने के उद्देश्य से गलत तरीके से NAAC मान्यता का दावा किया। एक अन्य शिकायत में यह आरोप भी है कि यूनिवर्सिटी ने UGC Act 1956 की धारा 12(B) के तहत फर्जी मान्यता का दावा किया ताकि छात्रों और अभिभावकों को धोखे में रखकर नाजायज लाभ कमाया जा सके।
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