दिल्ली एनसीआर के बड़े अस्पतालों में किडनी रैकेट मामले में मुख्यारोपी को जमानत
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दिल्ली एनसीआर के बड़े अस्पतालों में किडनी रैकेट मामले में मुख्यारोपी को जमानत

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने इस मामले में दावा किया था कि बांग्लादेश से गरीब लोगों को लाया जा रहा था और बांग्लादेश के लोगों की किडनी ट्रांसप्लांट की जा रही थी.


Kidney Transplant Racket: हाल ही में दिल्ली और नॉएडा में बड़े अस्पतालों में पकड़े गये किडनी रैकेट के मामले में कथित मुख्य सरगना को दिल्ली की साकेत कोर्ट से जमानत मिल गयी है. बचाव पक्ष ने अदालत के सामने कुछ ऐसे तथ्य पेश किये जिससे दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की जांच पर सवाल उठते हैं और उसी ग्राउंड को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने मुख्यारोपी रसेल को जमानत दी है.

बचाव पक्ष के वकील हितेश सोलंकी के अनुसार अदालत में रसेल की जमानत पर सुनवाई के दौरान हमने कोर्ट को इस बात से अवगत करवाया कि दिल्ली पुलिस जो दावा कर रही है कि इसमें जबरन या बहला फुसला कर किडनी ली गयी है, तो वो सरासर गलत है. क्योंकि इसके पीछे के कुछ तथ्य हैं, जिन पर नज़र डालना आवश्यक है. पहला ये कि इस मामले में जो मरीज हैं और जो पीड़ित हैं वो मेडिकल वीसा पर भारत आये थे.
- कोर्ट को इस बात से अवगत करवाया गया कि पुलिस ने आरोपी रसेल के खिलाफ सभी आरोप जानबूझकर, दुर्भावनापूर्ण इरादे और गुप्त उद्देश्य से लगाए हैं, इतना ही नहीं आरोपी के खिलाफ झूठे सबूत तैयार किए जा रहे हैं, क्योंकि पीड़ित ने अपनी किडनी दान करने के लिए अपनी सहमति दी है और इस संबंध में वीडियो रिकॉर्ड है, जिसे आईओ ने चार्जशीट में पहले ही दाखिल कर दिया है.
- यह उल्लेख करना उचित है कि पीड़ित ने मेडिकल वीजा पर भारत की यात्रा की थी. हालांकि, उनकी शिकायत में आरोप लगाया गया है कि वह रोजगार के उद्देश्य से भारत आए थे. ये दोनों ही बातें विरोधाभासी हैं.
वहीँ अगर आरोपी रसेल की बात करें तो वो अपोलो अस्पताल में बांग्लादेशी अनुवादक/दुभाषिया के रूप में काम कर रहा था, जो बांग्लादेशी मरीजों के साथ संवाद करने का माध्यम था.
इन्हीं सब ग्राउंड पर रसेल की जमानत मांगी गयी.

बचाव पक्ष की इस दलील पर दिल्ली पुलिस की तरफ से सरकारी वकील ने ये दलील दी कि रसेल को जमानत देने पर केस पर प्रभाव पड़ सकता है. इस मामले के गवाहों को प्रभावित कर सकता है.
अदालत ने दोनों ही पक्षों को सुनने के बाद रसेल को एक लाख के मुचलके पर जमानत दे दी है. उसका पासपोर्ट आदि पुलिस के पास जब्त है. अदालत ने रसेल को ये हिदायत भी दी है कि वो अदालत के बुलाने पर हर तारीख पर उपस्थित हो और इस केस से जुड़े किसी भी पीड़ित या गवाह से किसी तरह का कोई संपर्क न करें.

क्या था मामला
ज्ञात रहे कि जुलाई महीने में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने ये दावा किया था कि दिल्ली-एनसीआर के बड़े निजी अस्पतालों में चल रहे अंतरराष्ट्रीय किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का भंडाफोड़ किया है. इस मामले में पुलिस ने सरिता विहार स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल की महिला किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन डॉक्टर डी विजया राजकुमारी व रैकेट का सरगना रसेल समेत सात आरोपितों को गिरफ्तार किया था. सरगना रसेल समेत तीन आरोपित बांग्लादेश के रहने वाले हैं.
गिरफ्तार आरोपितों में से दो डॉक्टर विजया के नर्सिंग कर्मचारी भी थे. पुलिस ने दावा किया था कि विजया को जाली कागजात के आधार पर आरोपितों द्वारा किए जा रहे अवैध कार्य के बारे में पूरी जानकारी रहती थी. इस मामले में आरोपी डॉक्टर को दिल्ली हाई कोर्ट ने अगस्त महीने में ही जमानत दे दी है.


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