क्या है रणवीर और समय रैना पर दर्ज एफआईआर में लगायी धाराओं के तहत सजा का प्रावधान
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क्या है रणवीर और समय रैना पर दर्ज एफआईआर में लगायी धाराओं के तहत सजा का प्रावधान

एक ओर जहाँ मुंबई पुलिस रणवीर और समय रैना के खिलाफ प्राप्त शिकायत की जांच कर रही हा तो वहीँ असं पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है।


Ranveer Allahabadia Controversy: यूट्यूबर और 'बीयर बाइसेप्स' चैनल के संस्थापक, रणवीर इलाहाबदिया, को मुंबई पुलिस द्वारा जांच का सामना करना पड़ रहा है। आरोप है कि उन्होंने हाल ही में यूट्यूब शो 'इंडिया'स गॉट लेटेंट' में एक प्रतियोगी से की गई अपनी आपत्तिजनक टिप्पणी के कारण विवाद खड़ा किया। इसके अलावा, शो के होस्ट और कॉमेडियन समय रैना भी अब इस मामले की जांच के दायरे में हैं।

हालांकि मुंबई पुलिस ने अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं की है, लेकिन असम पुलिस ने सोमवार (10 फरवरी) को दोनों के खिलाफ एक शिकायत दर्ज की। इसमें उन पर भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS) की धारा 296 के तहत "आपत्तिजनक कृत्य" करने का आरोप लगाया गया है।

शिकायत और कानूनी पृष्ठभूमि:
शिकायत में आरोप है कि इलाहाबादिया और रैना ने शो के दौरान अश्लील और असंवेदनशील टिप्पणियां कीं, जो भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 294 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act) की धारा 67 के तहत अपराधों की श्रेणी में आती हैं।
धारा 294 के तहत, उन व्यक्तियों को दंडित किया जाता है जो अश्लील सामग्री को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करते हैं। इसमें किताबों, चित्रों और आर्टवर्क्स के साथ-साथ "इलेक्ट्रॉनिक रूप में" किसी भी सामग्री का प्रदर्शन भी शामिल है। यह कानून इस तरह की सामग्री को "अत्यधिक यौन रूप से आकर्षक" और "भ्रष्ट करने वाली" मानता है।
इसकी सजा दो साल तक की सजा और 5000 रुपये तक जुर्माने के रूप में हो सकती है। वहीं, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 67 के तहत, ऑनलाइन अश्लील सामग्री फैलाने पर तीन साल तक की सजा और 5 लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है।

अश्लीलता के कानूनी पहलू:
अश्लीलता पर कानून भारत में काफी समय से लागू है और डिजिटल स्पेस के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए इन कानूनों को सख्त किया गया है। भारतीय न्यायपालिका ने कई अहम मामलों में अश्लीलता के मामलों पर निर्णय दिए हैं, जिनमें 'लेडी चैटरलीस लवर' का प्रसिद्ध केस भी शामिल है। 1964 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने इस किताब को अश्लील मानते हुए इसे भारतीय दंड संहिता की धारा 292 के तहत प्रतिबंधित किया था।
भारत में 2014 में 'एवीक सरकार बनाम पश्चिम बंगाल सरकार' के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने "समुदाय के मानकों" की परिभाषा दी थी, जो यह तय करती है कि कोई सामग्री अश्लील है या नहीं।
इस केस में, जहां अल्लाहबदिया की टिप्पणी विवाद का कारण बनी, अदालत को यह देखना होगा कि उनकी टिप्पणियां सिर्फ गंदी और अभद्र थीं या फिर उन्हें अश्लील और यौन विचार उत्पन्न करने वाली मानी जा सकती हैं। यह मामला इस बात पर भी निर्भर करेगा कि टिप्पणी के संदर्भ में समाज के मानक क्या थे।
वर्तमान में यह मामला अभी न्यायालय में चल रहा है और इसका परिणाम इस बात पर निर्भर करेगा कि अदालत इसे अश्लीलता के कानून के तहत कैसे देखती है। इस बीच, सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सार्वजनिक व्यक्तित्वों के कृत्यों की कानूनी स्थिति और भी स्पष्ट होती जा रही है।
इस मामले के साथ ही यह भी साबित होता है कि डिजिटल मीडिया में सार्वजनिक बयान और संवाद के दौरान जिम्मेदारी का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, खासकर तब जब वे बड़े पैमाने पर दर्शकों के सामने आते हैं।

विषाक्त मर्दानगी पर प्रभाव:

यह मामला डिजिटल मीडिया और शो के कंटेंट के संदर्भ में समाज की नैतिक सीमाओं को फिर से परिभाषित करने की दिशा में महत्वपूर्ण हो सकता है। खासतौर पर इस समय में जब अमेज़न प्राइम वीडियो पर 'मेहता बॉयज़' जैसी फिल्में समाज में बदलते हुए रिश्तों और विषाक्त मर्दानगी के प्रभावों को उजागर कर रही हैं।

'मेहता बॉयज़' एक फिल्म है जो दो भाइयों और उनके पिता के बीच जटिल रिश्तों की कहानी को दर्शाती है। यह फिल्म विषाक्त मर्दानगी के हानिकारक प्रभावों पर प्रकाश डालते हुए, माताओं और बेटियों की भूमिका को भी महत्वपूर्ण तरीके से सामने लाती है। फिल्म में यह दिखाया गया है कि कैसे भावनात्मक भेद्यता और खुले संवाद के माध्यम से आघात के चक्र को तोड़ा जा सकता है।

समाज पर प्रभाव:

इलाहाबादिया और रैना के खिलाफ चल रही जांच यह दर्शाती है कि आधुनिक डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर सार्वजनिक हस्तियों द्वारा दिए गए बयान अब समाज में न केवल चर्चा का विषय बनते हैं, बल्कि कानूनी दायरे में भी आते हैं। ऐसे मामलों में समाज को यह भी याद रखना होगा कि डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर बयान और कंटेंट की जिम्मेदारी केवल निर्माताओं और प्रस्तुतकर्ताओं की नहीं, बल्कि उन दर्शकों की भी होती है जो इसे स्वीकार करते हैं और साझा करते हैं।


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