
गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़ में फूट, दोनों ने साथ काम करना बंद किया
कहा जा रहा है कि लॉरेंस और गोल्डी के अलग होने के चलते उन्हें ट्रैक कर रही राज्यों की पुलिस की चिंता बढ़ सकती है। इसके अलावा नए सिंडिकेट केंद्रीय खुफिया एजेंसियों की परेशानी भी बढ़ा सकते हैं।
गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़ के रास्ते अब जुदा हो चुके हैं। रिपोर्टों के अनुसार, दोनों ने अब साथ काम नहीं करने का फैसला किया है। हालांकि, पुलिस की ओर से इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन इस घटनाक्रम ने राज्यों की पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों की चिंता जरूर बढ़ा दी है, जो इन दोनों बड़े गैंगस्टर्स की गतिविधियों पर निगरानी रखे हुए थीं।
बिश्नोई और बराड़ दोनों के नाम पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या समेत कई बड़े अपराधों में आ चुके हैं। मीडिया रिपोर्ट में केंद्रीय एजेंसियों के सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि बिश्नोई और बराड़ के कई करीबियों से पूछताछ के बाद यह निष्कर्ष निकाला गया है कि अब दोनों ने साथ काम करना बंद कर दिया है।
एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि “दोनों ने अलग-अलग राह पकड़ ली है। गोल्डी बराड़ अब अजरबैजान में बैठे रोहित गोदारा के साथ काम कर रहा है, जबकि लॉरेंस बिश्नोई अब कनाडा में रह रहे नोनी राणा के साथ जुड़ा हुआ है। यह दरार और नए सिंडिकेट राज्यों की पुलिस के लिए नई चुनौती बन सकते हैं।”
सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि इस बदलाव को लेकर हाल ही में पंजाब, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने NIA (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) के साथ बैठक की है।
कौन है नोनी राणा?
पुलिस को जानकारी मिली है कि नोनी राणा, जो हरियाणा के यमुनानगर के कुख्यात गैंगस्टर काला राणा का छोटा भाई है, अमेरिका से लॉरेंस बिश्नोई के नाम पर लोगों से वसूली कर रहा है।
अलग होने की वजह क्या है?
रिपोर्ट के अनुसार, लॉरेंस बिश्नोई अमेरिका में अपने भाई अनमोल बिश्नोई के केस को ठीक से न संभालने को लेकर गोल्डी बराड़ और रोहित गोदारा से नाराज है।
सूत्रों ने बताया कि बराड़ और गोदारा ने अनमोल के लिए जरूरी बेल बॉन्ड दाखिल करने में मदद नहीं की। भले ही अनमोल को बाद में रिहा कर दिया गया, लेकिन उसके पैर में इलेक्ट्रॉनिक ट्रैकर लगा दिया गया है। इससे लॉरेंस बिश्नोई काफी नाखुश है।
कैसे बनी थी अपराध की यह जोड़ी?
शुरुआती अपराध के दिनों में लॉरेंस बिश्नोई ने गोल्डी बराड़, काला राणा और अन्य गैंगस्टरों के साथ मिलकर एक टीम बनाई थी। बाद में बिश्नोई ने एक तरह का क्राइम बिजनेस मॉडल तैयार किया, जिसमें उत्तर प्रदेश (धनंजय सिंह), पंजाब (जग्गू भगवानपुरिया), हरियाणा (काला जठेड़ी), राजस्थान (रोहित गोदारा) और दिल्ली (रोहित मोई व हाशिम बाबा) के गैंगस्टर्स को शामिल किया गया।
यह गैंगवार और बदलती लॉयल्टी की कहानी आने वाले दिनों में भारत की आंतरिक सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ा सिरदर्द बन सकती है।