मुकेश केस का आरोपी कभी था बावर्ची, काली कमाई कर बना 500 करोड़ का आसामी
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मुकेश केस का आरोपी कभी था बावर्ची, काली कमाई कर बना 500 करोड़ का आसामी

छत्तीसगढ़ के पत्रकार मुकेश चंद्राकर की अस्थियों के साथ अब छेड़छाड़ हुई है। वहीं मुख्य आरोपी सुरेश चंद्राकर के मामले में सनसनीखेज जानकारी भी सामने आई है।


छत्तीसगढ़ के पत्रकार मुकेश चंद्राकर केस में हर दिन सनसनीखेज जानकारी सामने आ रही है। हत्याकांड का मुख्य आरोपी सुरेश चंद्राकर पुलिस के कब्जे में है। यहां पर द फेडरल देश दो घटना के बारे में जिक्र करेगा। पहला तो ये कि मुकेश चंद्राकर के अस्थि वाले कलश से छेड़छाड़ हुई है और दूसकी जानकारी आरोपी सुरेश चंद्राकर के बारे में है कि वो महज एक दशक में कैसे करोड़ों का आसामी बन गया।

उस शख्स यानी छत्तीसगढ़ के पत्रकार मुकेश चंद्राकर की गलती सिर्फ इतनी सी थी उसने एक खबर प्रकाशित की। अब खबरनवीस लोगों को खबर नहीं देगा तो काम क्या करेगा। लेकिन वो भ्रष्टाचार की बलि चढ़ गया। मुकेश चंद्राकर अब इस दुनिया में नहीं हैं। पहले तो हत्या के आरोपियों ने उसे लोहे की रॉड से पीटा था। इतना मारा था कि लीवर के चार हिस्सों में फट गया। मुकेश की बॉडी के पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर ने बताया था कि पिछले 12 साल में उसने इस तरह की मृत शरीर को नहीं देखा था। आप डॉक्टर की इन बातों से मुकेश चंद्राकर के साथ हुई हैवानियत की कल्पना भर कर सकते हैं। इन सबके बीच एक और हैरान करने वाली खबर आई है। मुकेश चंद्राकर की अस्थियों वाला कलश मुक्तिधाम से करीब 50 मीटर दूर टूटी अवस्था में मिला।

मृतक मुकेश का अंतिम संस्कार चार जनवरी को बीजापुर के मुक्तिधाम में किया गया था। 13 जनवरी को जब मुकेश का परिवार अस्थि कलश लेने के लिए मुक्तिधाम पहुंचा तो कलश नहीं मिला। परिजनों ने तलाश किया और करीब 50 मीटर दूर अस्थि कलश टूटी अवस्था में और अस्थियां बिखरी थीं। इस पर पुलिस प्रशासन का कहना है कि जो भी कृत्य को अंजाम दिया है वो निंदनीय हैं । सीसीटीवी की जांच करायी जा रही है और जो आरोपी होंगे उनके खिलाफ कार्रवाई भी होगी। इन सबके बीच हम उस शख्स सुरेश चंद्राकर की भी बात करेंगे जो हत्याकांड का मुख्य आरोपी है। पेशे से ठेकेदार जिसके काले कारनामो को मुकेश चंद्राकर उजागर कर रहे थे।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक आरोपी सुरेश चंद्राकर 1500 रुपए की पगार पर पुलिस विभाग में बावर्ची का काम करता था। धीरे धीरे वो बड़े लोगों के संपर्क में आता गया। पुलिस और प्रशासन में गहरी पैंठ बनाई और साल 2012 से सड़क बनाने का ठेका लेने लगा। ठेका भी लाखों में नहीं करोड़ों में। पैसे के दम पर वो प्रशासन में पैंठ बनाता गया और दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की होती गई। कुछ ही साल में ए ग्रेड का ठेकेदार बन गया। लेकिन वो क्या कुछ काम कर रहा था वो सड़कों की गुणवत्ता में नजर आ रही थी।

मुकेश चंद्राकर ने जिस सड़क में भ्रष्टाचार की बात को छापा था वो सड़क गंगालूर से नेलसनार जाती है। इस सड़क को बनाने के लिए 56 करोड़ आवंटित थे। लेकिन लागत बढ़कर 112 करोड़ हो गई। एक तरह से यह सड़क सुरेश चंद्राकर के लिए सोने का अंडा देने वाली मशीन बन गई। 2016 में नक्सल प्रभावित इलाकों में सड़क परियोजना की शुरुआत हुई। साल 2020 की एक रिपोर्ट के मुताबिक बस्तर के इलाके में 245 सड़कें बननी थीं लेकिन सिर्फ 2 सड़क ही बन सकी।

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