कोचिंग सेंटर हादसे का शिकार हुए छात्र, क्या एसयूवी कार ही है असली ज़िम्मेदार?
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कोचिंग सेंटर हादसे का शिकार हुए छात्र, क्या एसयूवी कार ही है असली ज़िम्मेदार?

एक विडियो वायरल हुआ जिसमें जल भराव के बीच एक एसयूवी कार निकलती दिख रही है. उसकी लहरों की वजह से कोचिंग सेंटर का गेट टूटता दिख रहा है और इसी बिनाह पर पुलिस ने थार कार चालक को गिरफ्तार कर लिया गया.


Old Rajendra Nagar Coaching Centre: क्या आप यक़ीन करेंगे कि एक एसयूवी कार की वजह से उठी लहरों ने राजेन्द्र नगर के अवैध कोचिंग सेंटर में पढ़ रहे तीन मासूमों की जान ली थी? लेकिन ज़िले की पुलिस यही मानती है कि जल भराव के गुनहगारों और नगर निगम के भ्रष्ट अफ़सरों से ज़्यादा दोषी वो युवक है, जिसमें सिविक एजेंसियों की लापरवाही के बावजूद सड़क से गुजरने की हिमाक़त की. इसी कारण उस पर मुक़दमा दर्ज किया गया और न्यायपालिका ने सजगता दिखाते हुए इस “गुनहगार” को जेल भेज दिया है.


सांप निकल गया लकीर पिटते रह गए
अधिवक्ता रवि दराल का कहना है कि ओल्ड राजेंद्र नगर में राउस आईएएस स्टडी सर्किल के बेसमेंट में पानी भरने के चलते हुई तीन छात्र/छात्रों की मौत के मामले में राजनीती जितनी गर्म है, उतनी ही पुलिस की कार्रवाई भी. आलम ये है कि पुलिस ने भी ''सांप निकलने के बाद लकीर पीटने'' जैसी कार्रवाई करते हुए एक एसयूवी फोर्स गुर्खा कार चालक मनुज कथूरिया को भी इस हादसे के ज़िम्मेदार आरोपियों की श्रेणी में शामिल करते हुए उसे गिरफ्तार कर लिया और अदालत ने उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया. ये बिलकुल ऐसा है जैसे किसी को बलि का बकरा बनाना.
अब उसका कसूर भी जान लेना जरुरी है कि आखिर वो सड़क पर बनी कृत्रिम नदी ( भारी बारिश के बाद हुए जल भराव ) में से अपनी एसयूवी कार को क्यों लेकर निकला? उसकी कार से उठी लहरों की वजह से मानों सड़क पर बह रही कृत्रिम नदि में सैलाब आ गया और इसी वजह से कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में बाढ़ आ गयी. लेकिन सवाल ये भी उठते हैं कि जिन सरकारी एजेंसियों ( सिविक एजेंसी ) की वजह से जल भराव हुआ और जिनकी ( पुलिस और एमसीडी ) अनदेखी की वजह से कोचिंग सेंटर वाले बेसमेंट में सालों से अवैध तौर पर लाइब्रेरी चला रहे थे, बच्चों को पढ़ा रहे थे, क्या उनकी गिरफ्तारी नहीं बनती. उन पर कोई मुकदमा दर्ज नहीं होना चाहिए.

एक विडियो में दिखा थार चालक और पुलिस ने कर दी त्वरित कार्रवाई
दरअसल इस घटना के कम से कम दो दिन बाद एक विडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें एसयूवी कार जल भराव में बीच सड़क से निकलती दिख रही है, जैसे ही वो कार अवैध तरह से चल रहे इंस्टिट्यूट के सामने से गुजरती है तो तेज लहरें उठती हैं और पानी तेजी से कोचिंग सेंटर के दरवाजे से टकराता है और दरवाजा टूट जाता है. इसी विडियो को आधार मानते हुए पुलिस ने कार चालक मनुज कथूरिया को गिरफ्तार किया है. उसे भी गैर इरादतन हत्या के आरोप में आरोपी बनाया गया है.

पुलिस पर उठते हैं ये सवाल
थार के पानी से गुजरने पर सवाल यहीं से शुरू होते हैं कि क्या इतने जल भराव के बावजूद पुलिस ने उस सड़क पर वाहनों की आवाजाही को बंद किया था? क्या कानून में जल भराव के बीच किसी वाहन से गुजरना अपराध है? क्या जल भराव के पीछे जिन लोगों की लापरवाही है, वो कानून के दायरे से बाहर हैं? सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि ऐसा दावा किया जा रहा है कि बेसमेंट में पानी भरने की कॉल मिलने के बाद भी दो से तीन घंटे की देरी के बाद बचाव कार्य शुरू किया गया.

पुलिस ने गलत फंसाया
मनुज कथूरिया के वकील राकेश मल्होत्रा और भरत मल्होत्रा का कहना है जिस तरह से पुलिस ने मनोज के खिलाफ कार्रवाई की है, वो गलत है. पुलिस ने उसके खिलाफ BNS की धारा 105,106(1), 115(2), 290 /3(5) के तहत मामला दर्ज किया है. धारा 105 गैर इरादतन हत्या के लिए लगायी जाती है, जिसके लिए इंटेंट यानी इरादा होना बहुत आवश्यक है. अब मनोज के मामले में देखे तो सड़क से जा रहा था कार चलते हुए. न तो उसके मन में ये था कि किसी बिल्डिंग के अंदर मौजूद किसी व्यक्ति को नुक्सान पहुंचाए जिससे उस व्यक्ति की जान चली जाए और न ही उसे ये मालूम था कि किस बिल्डिंग का स्ट्रक्चर कितना कमजोर या कितना मजबूत है. पुलिस की कार्रवाई समझ से परे है.

अब एमसीडी की कार्रवाई पर गौर करते हैं
तीन बेगुनहा की मौत के बाद बेहोशी से जागा दिल्ली एमसीडी के सिस्टम ने बेसमेंट में चल रहे कोचिंग सेंटर सील करने शुरू कर दिए हैं. सवाल ये है कि अवैध तरीक़े से बेसमेंट में कोचिंग सेंटर चल रहे थे तो अब तक क्या अफ़सर भांग खा कर सो रहे थे कि उन्हें कुछ नज़र नहीं आ रहा था?

खुद को “मिस्टर-क्लीन” जताने में जुटे निगमायुक्त
दिल्ली के कई इलाकों में बड़े पैमाने पर कोचिंग सेंटर चल रहे हैं और बेसमेंट में बच्चों को पढ़ा भी रहे हैं. जिस Rau's IAS स्टडी सर्किल में हादसा हुआ उस परिसर को लेकर 26 जून को शिकायत दर्ज हुई थी, जो एग्जीक्यूटिव इंजिनियर को दी गई थी. अब ऐसे में ये बात हजम करना मुश्किल है कि करोल बाग़ जोन को इस शिकायत की कोई जानकारी न हो. अब जब इतना बड़ा हादसा हो गया तो कार्रवाई के नाम पर किन्हें हलाल किया गया? जूनियर इंजिनियर को बर्खास्त किया गया, जो कॉन्ट्रैक्ट पर था. सहायक इंजिनियर को निलंबित कर दिया गया. सूत्रों का कहना है कि लेकिन एमसीडी के बिल्डिंग डिपार्टमेंट के किसी भी अधिकारी पर कोई आंच क्यों नहीं आई?


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