
सबूत के नाम पर सिर्फ टूथ कैप- चाबी सेट, किलर को पुणे पुलिस ने दबोच ही लिया
Pune Crime News: महाराष्ट्र की पुणे पुलिस के सामने चुनौती बड़ी थी। सुराग के नाम पर दो टूथ कैप और चाबी का सेट था। पुलिस उन सबूतों के आधार पर अपराधियों तक पहुंच गई
Pune Crime News: अपराधी कितना भी शातिर क्यों ना हो कुछ ऐसे सुराग छोड़ जाता है जो उसे पकड़ने के लिए पर्याप्त होता है। जिस क्राइम का जिक्र करेंगे वो बेहद उलझी कहानी है। पुणे पुलिस के पास सबूत के नाम सिर्फ दो टूथ कैप चाबी का एक सेट और खून के धब्बे मिले थे। इसके अलावा कुछ भी नहीं जिसकी मदद से पुलिस अपराधियों तक पहुंच सके। लेकिन पुणे पुलिस ने भी इस ब्लाइंड केस को सॉल्व करने का बीड़ा उठा लिया था। पुणे ग्रामीण पुलिस ने 74 साल के आर्मी के रिटायर्ड फौजी हत्याकांड की सच्चाई सामने लाकर रखी। पुलिस के मुताबित मृतक ने किसी महिला के साथ बदसलूकी की और उसकी वजह से उसे मारा गया था।
टूथ कैप से हत्यारों तक पहुंची पुलिस
16 नवंबर की सुबह जब पूरी पुलिस मशीनरी 20 नवंबर को होने वाले मतदान की तैयारी कर रही थी। पुणे ग्रामीण पुलिस को इंदापुर के तवाशी गांव में एक श्मशान में संदिग्ध तरीके से एक शव के जलने की सूचना मिली। शव के बगल में खून के धब्बों के साथ मिट्टी पर घसीटने के निशान थे। आसपास के इलाके में किसी की मौत के बारे में कोई जानकारी जब नहीं मिली तो पुलिस ने इस केस को संदिग्ध केस माना। खून के नमूने एकत्र किए गए और फोरेंसिक जांच के लिए भेजे गए। एक जांच अधिकारी ने कहा कि शरीर पूरी तरह से जल चुका था। शरीर पर केवल दो दांतों के कैप और तीन चाबियों का एक सेट बचा था। कुछ बिना जले लकड़ी के लट्ठे थे। जांच में पता चला कि वो करंजा नामक एक विशेष पेड़ के थे।
जांच में जानकारी सामने आई कि तवाशी के स्थानीय लोगों ने श्मशान के पास एक पिकअप ट्रक देखा था । हमने वालचंदनगर पुलिस स्टेशन और पुणे ग्रामीण पुलिस की स्थानीय अपराध शाखा द्वारा एक संयुक्त जांच शुरू की। हमारी टीम के सदस्य इंदापुर और सोलापुर के पड़ोसी तालुका मालशिरस और सतारा के फलटन में दर्जनों आरा मिलों में गए। आखिरकार पुलिस को पता चला कि दो व्यक्ति जो एक ही तरह के पिकअप ट्रक में आए थे उन्होंने फलटन तालुका के गुनावारे गांव में एक आरा मिल से उस खास पेड़ की लकड़ी खरीदी थी। पुलिस ने दो संदिग्धों दादासाहेब मारुति हरिहर और विशाल सदाशिव खिलारे को हिरासत में लिया।
बदसलूकी की वजह से हत्या
जांच आगे बढ़ी तो पता चला कि नवंबर के शुरुआती दिनों में हरिहर और उनकी पत्नी परभणी जिले के गंगाखेड़ निवासी हरिभाऊ धूराजी जगताप के घर गए थे। जगताप ने हरिहर की पत्नी के साथ दुर्व्यवहार किया, जिसके बाद हरिहर जगताप से रंजिश रखने लगा। 15 नवंबर को हरिहर और उसके सहयोगी खिलारे ने जगताप को सतारा के मान तालुका में सतोबाची यात्रा में उनके साथ चलने के लिए कहा। बाद में वे उसे तवाशी ले आए, जहाँ उन्होंने लकड़ी के लट्ठे से उसे पीट-पीटकर मार डाला और फलटन से लकड़ियां खरीदकर श्मशान घाट में उसका शव जला दिया।
फौजी था मृतक
जगताप बहुत पहले सेना से सेवानिवृत्त हो चुका था और लगभग 10 साल पहले उसकी पत्नी की मृत्यु हो गई थी, और वह गंगाखेड़ में अकेला रहता था। कोल्हापुर में रहने वाले उसके बेटे ने दांत की टोपी और चाबियों के सेट की पहचान की। हमने हरिहर से एक सोने का लॉकेट भी जब्त किया है जिसे जगताप ने पहना था और जिसे हत्या के समय ले जाया गया था। मामले की जाँच चल रही है। जबकि हरिहर और खिलारे को अवशेषों की खोज के तीन दिनों के भीतर गिरफ्तार कर लिया गया था।
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