500 सीसीटीवी और एक जैसा जूता, इस तरह पकड़ में आया सैफ का हमलावर
Saif Ali Khan: सैफ अली खान अटैक केस में पुलिस ने बेहद दिलचस्प जानकारी दी है। मुंबई पुलिस ने बताया कि आरोपी शरीफुल कितना शातिर है।
Saif Ali Khan Attack Case News: सैफ अली खान का हमलावर पांच दिन की पुलिस कस्टडी में है। मुंबई पुलिस की करीब 30 टीमें उसे पकड़ने के लिए लगाई गई थीं। तीन दिन की कड़ी मशक्कत के बाद 19 जनवरी को वो ठाणे के एक लेबर कैंप के करीब झाड़ियों से गिरफ्तार किया गया था। पुलिस से पूछताछ में आरोपी शरीफुल (Accused Shariful) ने कबूला है कि वो चोरी करने के मकसद से ही सैफ के घर में घुसा था। वो सैफ के घर को पहले से जानता था या अनजाने में घुसा इसे लेकर सस्पेंस है। हालांकि हम बात करेंगे कि आखिर वो कैसे पकड़ा गया। पुलिस को कितनी मशक्कत करनी पड़ी।
500 फुटेज और जूते से मिला सुराग
मुंबई पुलिस के डिप्टी कमिश्नर दीक्षित गेदाम (Dixit Gedam DCP) जो पूरी टीम की अगुवाई कर रहे थे। उन्होंने बताया कि करीब 500 कैमरों से मिले फुटेज की गहराई से पड़ताल की गई। सभी फुटेज में आरोपी के पहले गए जूते और उसके रंग पर खास ध्यान दिया गया। कैमरों की जांच की शुरुआत सैफ अली खान की बिल्डिंग से लेकर लिंकिंग रोड, बांद्रा स्टेशन, दादर, वर्ली और ठाणे पर जाकर रुकी पुलिस के मुताबिक सैफ के घर से बाहर निकलने के बाद आरोपी शरीफुल करीब पांच या साढ़े पांच घंटे तक बांद्रा और खार के इलाके में घुमता रहा। उसके बाद बांद्रा से दादर जाने वाली ट्रेन को पकड़ा। उस दौरान उसने अपने दाढ़ी बाल बना लिए थे, नहा चुका था और कपड़े भी बदल लिए थे। यानी कि हुलिया बदल लिया।
सीसीटीवी की जांच में वो बांद्रा वेस्ट में साधु वासवानी पेट्रोल पंप के पास देखा गया जहां वो अपनी शर्ट बदल रहा था। जब उसे पता चला की वो सीसीटीवी की जद में आ चुका है तो उसने सड़क पार की।लेकिन वह खार के एक होटल के सीसीटीवी में कैद हो गया। करीब डेढ़ घंटे तक चलने के बाद वह सुबह 4 बजे खार स्टेशन पर सो गया और फिर सुबह बांद्रा लौट आया और 8 बजे दादर के लिए ट्रेन पकड़ी।'
पैर और जूते पर खास नजर
पुलिस ने बताया कि हम तीन घंटे तक पैर और जूते पर नजर रखते रहे और आखिरकार खार में नेशनल कॉलेज के पास सीसीटीवी में व्यक्ति को ढूंढ निकाला। यह अभिनेता की बिल्डिंग में कैद सीसीटीवी इमेज से मिलता जुलता था। फिर हमने उसे बांद्रा रेलवे स्टेशन और फिर दादर के बाहर पाया, जहां उसने 16 जनवरी को वर्ली के लिए बस में सवार होने से पहले कुछ मोबाइल एक्सेसरीज खरीदीं। वहां वह वर्ली-कोलीवाड़ा पहुंचने तक पैदल चला और एक कमरे में रुका, जहां पांडे द्वारा रखे गए पब के कर्मचारी रुके थे।पुलिस ने बताया, ''17 जनवरी को दोपहर में वह वर्ली से निकलकर ठाणे पहुंचा और गिरफ्तार होने से पहले एक लेबर कैंप में छिप गया।
6 महीने पहले मुंबई आया था आरोपी
डीसीपी (जोन IX) दीक्षित गेदाम ने कहा कि मुंबई पहुंचने से पहले वह अवैध रूप से देश में घुसा था। वह पिछले छह महीनों से मुंबई और ठाणे में था और उसने अलग-अलग नामों का इस्तेमाल किया था। हम उसके द्वारा
बनाए गए दस्तावेजों के बारे में जानकारी जुटा रहे हैं। वह कुछ महीने पहले ठाणे चला गया था और अपराध को अंजाम देने से 15 दिन पहले मुंबई लौटा था। अपराध करने से पहले वह ठाणे में किसी हाउसकीपिंग एजेंसी में काम कर रहा था और 72 घंटों के भीतर पकड़ा गया।
ठाणे की झाड़ियों में छिपा था आरोपी
एक दूसरे पुलिस अधिकारी ने कहा कि उसे पैसों की तत्काल जरूरत थी और वह किसी को भी लूटकर तुरंत बांग्लादेश भागने की योजना बना रहा था। ठाणे में तलाशी के दौरान पुलिस टीम ने शनिवार और रविवार की दरम्यानी रात शहर के बाहरी इलाकों में तलाशी लेने के बाद लगभग उम्मीद छोड़ दी थी। 2 बजे तक, उन्होंने नालों और कंटीली झाड़ियों वाली 30-40 एकड़ जमीन को छान मारा था। वरिष्ठ अपने कनिष्ठों को उकसाते रहे। आखिरकार, सफलता तब मिली जब उनमें से एक ने कुछ झाड़ियों पर टॉर्च की रोशनी डाली और आरोपी को वहां पड़ा हुआ पाया।