आंध्र प्रदेश में मुठभेड़ में माओवादी कमांडर मादवी हिडमा मारा गया
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आंध्र प्रदेश में मुठभेड़ में माओवादी कमांडर मादवी हिडमा मारा गया

आंध्र प्रदेश में मुठभेड़ में ढेर हुआ टॉप माओवादी कमांडर मादवी हिडमा दंडकारण्य में माओवादी नेटवर्क को बड़ा झटका


Top Maoist Commander Hidma Killed : दक्षिण भारत के दंडकारण्य इलाके में दो दशकों से सुरक्षा बलों के लिए सबसे बड़ी चुनौती माने जाने वाले माओवादी कमांडर मादवी हिडमा को आखिरकार सुरक्षा बलों ने ढेर कर दिया। आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीताराम राजू जिले के मारेडुमल्ली जंगल में मंगलवार 18 नवंबर को हुई मुठभेड़ में हिडमा, उसकी पत्नी राजे और चार अन्य नक्सली मारे गए। छत्तीसगढ़ पुलिस ने इस कार्रवाई को माओवाद की कमर तोड़ देने वाला कदम बताया है।

छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने रायपुर में बताया कि उन्हें जानकारी मिली है कि मारे गए नक्सलियों में हिडमा भी शामिल है। उन्होंने इसे बेहद अहम सफलता कहा।

दंडकारण्य का सबसे ताकतवर माओवादी कमांडर

हिडमा मूल रूप से छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के पुवर्ती गांव का रहने वाला था। इस साल उसकी एक तस्वीर सामने आई थी, जिसके बाद से वह ज्यादा चर्चा में आने लगा। हिडमा पीपल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी के बटालियन नंबर एक का मुखिया था। यह माओवादियों की सबसे घातक और मजबूत सैन्य इकाई मानी जाती है, जो आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना, महाराष्ट्र और बस्तर के घने जंगलों में सक्रिय है। पिछले साल ही उसे माओवादी केंद्रीय समिति का सदस्य बनाया गया था।
नब्बे के दशक के अंत में संगठन के निचले स्तर पर काम करते हुए उसने नक्सल गतिविधियों में कदम रखा था। दो हजार दस में ताडमेतला हमले में छिहत्तर सुरक्षा जवानों की शहादत के बाद हिडमा पहली बार सुरक्षा एजेंसियों के निशाने पर आया। उस हमले में वह शीर्ष माओवादी नेता पापा राव के साथ काम कर रहा था।
उसके बाद बस्तर में हुए लगभग हर बड़े हमले में उसका नाम सामने आता रहा। वह दंडकारण्य विशेष ज़ोनल कमेटी का सदस्य भी रहा, जिसने दक्षिण बस्तर में कई घातक हमलों की योजना बनाई।

गुरिल्ला युद्धकला में माहिर

हिडमा को गुरिल्ला युद्धकला का विशेषज्ञ माना जाता था। वह हमेशा एके - 47 से लैस रहता था और उसकी टुकड़ी भी आधुनिक हथियारों से लैस होती थी। जंगलों के भीतर उसकी चार स्तरीय सुरक्षा घेरा लंबे समय तक उसे पकड़ से बाहर रखता रहा। लेकिन पिछले दो वर्षों से तेज हुई सुरक्षा बलों की कार्रवाई से उसकी सुरक्षा कमजोर होती गई और उसे सीमा के और भी अंदरूनी हिस्सों में भागना पड़ा।
सुरक्षा बलों का सतत दबाव बढ़ने से हिडमा सहित कई वरिष्ठ नेताओं को ठिकाने बदलने पड़े।

कई बड़े हमलों का मास्टरमाइंड

हिडमा उन माओवादियों में शामिल था जिन्होंने 2013 में दरभा के झीरम घाटी में हुए हमले की योजना बनाई थी। इस हमले में छत्तीसगढ़ कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व मारा गया था। वह 2017 के बुरकापाल हमले का भी आरोपी था, जिसमें 24 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए थे। उसकी पत्नी राजे भी उसी बटालियन में सक्रिय थी और कई बड़े हमलों में शामिल रही।
छत्तीसगढ़ पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि हिडमा को अपनी टुकड़ी में एक नायक की तरह देखा जाता था और उसका मारा जाना बस्तर में माओवाद की समाप्ति की दिशा में बेहद महत्वपूर्ण कदम है।

केंद्रीय समिति के नौ सदस्य ढेर

इस साल आंध्र प्रदेश, झारखंड और छत्तीसगढ़ में हुई कार्रवाइयों में अब तक माओवादियों की केंद्रीय समिति के नौ सदस्य मारे जा चुके हैं। इनमें सबसे बड़ा नाम नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजु का है, जो निषिद्ध सीपीआई माओवादी का जनरल सेक्रेटरी था। इसी तरह पांच अन्य केंद्रीय समिति सदस्यों को भी छत्तीसगढ़ में ही ढेर किया जा चुका है। दो को झारखंड और बाकी को आंध्र प्रदेश में मारा गया।


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