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मोबाइल टॉवर के नाम पर ठगी करने वाले दो गिरफ्तार, 50 से ज्यादा वेबसाइट थी सक्रीय
दिल्ली के उत्तरी बाहरी जिला पुलिस के साइबर थाना पुलिस ने धोखाधड़ी के इस रैकेट का भंडाफोड़ किया है. ये लोग मोबाइल टावर के नाम पर ठगी करते थे.
Mobile Tower Scam: नई दिल्ली: साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन बाहरी उत्तर जिले की टीम ने एक बड़े साइबर फ्रॉड रैकेट का भंडाफोड़ किया, जिसमें मोबाइल टॉवर लगाने का झांसा देकर लोगों से ठगी की जा रही थी। पुलिस ने इस मामले में दो फर्जी वेबसाइट डेवलपर्स को गिरफ्तार किया है।
घोटाले का तरीका
आरोपियों ने फर्जी वेबसाइट बनाकर और गूगल पर विज्ञापन देकर लोगों को लुभाया। वे झूठा दावा करते थे कि उनकी संपत्ति पर मोबाइल टॉवर लगाए जाएंगे। पीड़ितों से "पंजीकरण शुल्क" के रूप में बड़ी रकम ली जाती थी, जिसके बाद उनसे संपर्क समाप्त कर दिया जाता था।
मामला और पुलिस कार्रवाई
जिले के डीसीपी निधीन वाल्सन के अनुसार दिल्ली निवासी सोनू (पुत्र दयानंद) ने साइबर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई कि उसे मोबाइल टॉवर लगाने के नाम पर ₹1,85,650 की ठगी का शिकार बनाया गया। मामले की जांच के बाद एफआईआर संख्या 43/2024 को भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 की धारा 318(4) के तहत दर्ज किया गया।
पुलिस टीम, जिसका नेतृत्व इंस्पेक्टर रमन कुमार सिंह (SHO/साइबर क्राइम, बाहरी उत्तर जिला) कर रहे थे, ने तकनीकी निगरानी और बैंक खातों के विश्लेषण के आधार पर 21 फरवरी 2025 को दिल्ली के समालखा इलाके में छापेमारी की।
गिरफ्तार आरोपी
- सरफराज (36 वर्ष) – समालखा, दिल्ली निवासी। बिहार से स्नातक, दिल्ली में वेबसाइट डिजाइनिंग सीखी। टॉवर घोटाले के लिए फर्जी वेबसाइट बनाता था।
- मुन्ना सिंह (37 वर्ष) – महावीर एन्क्लेव, दिल्ली निवासी। बीसीए करने के बाद आईटी सेक्टर में काम किया। वह गूगल विज्ञापनों के जरिए वेबसाइटों पर ट्रैफिक बढ़ाता था।
बरामदगी
- 2 मोबाइल फोन
- 4 लैपटॉप (50 से अधिक फर्जी वेबसाइटों के डेटा सहित)
पुलिस की अपील
पुलिस के अनुसार TRAI ने बार-बार चेतावनी जारी की है कि मोबाइल टॉवर लगाने के नाम पर ठगी हो रही है। किसी भी अनजान कॉल या मैसेज पर विश्वास न करें और आधिकारिक टेलीकॉम कंपनियों से ही संपर्क करें। यदि धोखाधड़ी हो जाए, तो तुरंत 1930 पर शिकायत दर्ज कराएं।