
लूथरा विदेश भाग गए, पार्टनर गोवा से भागा : नाइटक्लब अग्निकांड के बाद क्या हुआ?
पुलिस जांच में पता चला है कि बिर्च बाय रोमियो लेन के मालिकों ने जानलेवा अरपोरा आग लगने से पहले भारत छोड़ दिया, शहर बदल लिए और सुरक्षा नियमों को नज़रअंदाज़ किया।
Goa Fire Incident : गोवा के अर्पोरा स्थित नाइटक्लब ‘Birch By Romeo Lane’ में लगी भीषण आग की जांच में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। पुलिस जांच से सामने आया है कि क्लब के तीन मालिक सौरभ लूथरा, गौरव लूथरा और अजय गुप्ता ने हादसे के तुरंत बाद गिरफ्तारी से बचने के लिए सुनियोजित तरीके से कदम उठाए। इस हादसे में 25 लोगों की जान चली गई।
आग की खबर मिलते ही शादी से एयरपोर्ट तक
जांच के मुताबिक, लूथरा बंधु एक शादी समारोह में मौजूद थे, तभी उन्हें क्लब में आग और संभावित मौतों की सूचना मिली। इसके कुछ ही मिनटों के भीतर उन्होंने दिल्ली के मॉडल टाउन स्थित ऑफिस में फोन कर थाईलैंड के टिकट बुक कराने को कहा।
उन्होंने अपने सहयोगी भरत कोहली को ऑफिस भेजकर जरूरी दस्तावेज मंगवाने और उन्हें मुखर्जी नगर स्थित घर पर पहुंचाने का निर्देश दिया। इसके बाद शादी से सीधे घर पहुंचे और कुछ ही घंटों में इंडिगो फ्लाइट से फुकेत (थाईलैंड) रवाना हो गए।
थाईलैंड क्यों? जांच एजेंसियों के सामने बड़ा सवाल
पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि लूथरा बंधुओं ने थाईलैंड को ही क्यों चुना?
जांच में यह भी सामने आया है कि एक लूथरा भाई के पास लंबी अवधि का यूके वीज़ा भी था। अधिकारियों को उम्मीद है कि प्रत्यर्पण के बाद इन सवालों के जवाब मिल सकेंगे।
अजय गुप्ता की अलग रणनीति: गोवा से दिल्ली
क्लब के तीसरे मालिक और खुद को “साइलेंट पार्टनर” बताने वाले अजय गुप्ता, जांच में सबसे सक्रिय भूमिका निभाने वाले शख्स निकले।
आग लगने के वक्त गुप्ता गोवा में ही थे। उन्हें क्लब मैनेजर प्रियांशु (अब गिरफ्तार) का फोन आया, जिसके बाद वे तुरंत डाबोलिम एयरपोर्ट से दिल्ली के लिए उड़ान भर गए।
दिल्ली पहुंचकर वे गुरुग्राम स्थित घर गए और बाद में टोयोटा इनोवा से बाहर निकले।
अस्पताल में छिपने की कोशिश, लेकिन नाकाम
गुप्ता ने अपना मोबाइल फोन बंद कर दिया, लेकिन पुलिस ने उनके ड्राइवर का फोन ट्रैक कर लिया।
ड्राइवर की लोकेशन लाजपत नगर स्थित ‘इंस्टीट्यूट ऑफ ब्रेन एंड स्पाइन’ में मिली। जांच में सामने आया कि गुप्ता के अस्पताल प्रबंधन से संपर्क थे और उन्होंने गिरफ्तारी से बचने के लिए खुद को भर्ती करा लिया।
हालांकि पुलिस ने उनकी बीमारी के दावे को खारिज कर दिया और अस्पताल से ही हिरासत में ले लिया।
सुरक्षा नियमों की खुली अनदेखी
जांच में यह भी सामने आया कि नाइटक्लब कई गंभीर सुरक्षा खामियों से घिरा हुआ था :
काम करने वाले फायर एक्सटिंग्विशर नहीं
फायर अलार्म सिस्टम नदारद
फायर ब्रिगेड के लिए बेहद संकरी सड़क
कोई इमरजेंसी एग्जिट नहीं
FIR के मुताबिक, क्लब बिना जरूरी लाइसेंस और अनुमति के चल रहा था। बार-बार चेतावनियों के बावजूद प्रबंधन ने सुधार नहीं किए।
पूर्व IPS अधिकारी की भूमिका भी जांच के घेरे में
अधिकारियों का दावा है कि पहले एक पूर्व IPS अधिकारी के हस्तक्षेप से क्लब के खिलाफ मामला बंद हो गया था। इससे मालिकों को यह भरोसा मिला कि वे नियमों को नजरअंदाज कर सकते हैं।
यही लापरवाही अंततः 25 लोगों की मौत का कारण बनी—एक ऐसी त्रासदी, जिसे टाला जा सकता था।
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