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'शराब नीति से लेकर शीश महल', इन फैक्टर्स से पिछड़ी AAP
Delhi election result: साल 2020 के चुनाव में 62 सीट हासिल करने वाली पार्टी का महज 5 साल में इतना बुरा हश्र कैसे हुआ.
Delhi election results: दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर मतगणना जारी है. हालांकि, रुझानों में बीजेपी भारी जीत की ओर बढ़ रही है. वहीं, चौथी दफा सत्ता में वापसी की कोशिश में लगी आम आदमी पार्टी को इस बार बड़ा झटका लगा है. खुद पार्टी के कई बड़े चेहरे पीछे चल रहे हैं. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि साल 2020 के चुनाव में 62 सीट हासिल करने वाली पार्टी का महज 5 साल में इतना बुरा हश्र कैसे हुआ और क्यों पिछले चुनाव में सिंगल डिजिट में रहने वाली बीजेपी इस बार प्रचंड बहुमत की तरफ बढ़ रही है.
शीश महल
चुनाव के नजदीक आते ही बीजेपी ने अरविंद केजरीवाल पर हमला करते हुए 'शीश महल' शब्द का इस्तेमाल किया. यह शब्द उस समय के मुख्यमंत्री रहे केजरीवाल के आधिकारिका आवास के रेनोवेशन के लिए इस्तेमाल किया गया था. वहीं, भाजपा के आरोप को मजबूती देने वाली एक रिपोर्ट CAG ने भी पेश की थी. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, CAG ने जांच में पाया गया था कि रेनोवेशन के लिए शुरुआती अनुमान 7.91 करोड़ रुपये था. लेकिन बाद में यह 8.62 करोड़ रुपये हो गया. वहीं, जब पीडब्ल्यूडी ने 2022 में काम पूरा किया तो इसकी लागत 33.66 करोड़ रुपये तक पहुंच गई. इसके बाद बीजेपी के लगातार शीशमहल को लेकर किए गए प्रचार ने मतदाताओं को प्रभावित किया.
शराब नीति
आप सरकार के वर्तमान कार्यकाल में दिल्ली की रद्द की गई शराब नीति को लेकर भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण भारी बवाल मच गया. जब नई नीति में शराब की बोतलों पर '1 खरीदो 1 मुफ्त पाओ' जैसी ऑफ़रें दी गईं तो भाजपा ने अरविंद केजरीवाल सरकार पर आरोप लगाया कि उसने 'दिल्ली को शराबियों का शहर बना दिया' है. हालांकि, आप ने शराब नीति में किसी भी आरोप से लगातार इनकार किया था. लेकिन केंद्रीय एजेंसियों की जांच के परिणामस्वरूप अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह की गिरफ्तारी हुई. सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद उन्होंने उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया और आप को अपनी कैबिनेट में फेरबदल करना पड़ा. फिर केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया गया और वह पांच महीने तक जेल में रहे. कई शीर्ष नेताओं की गिरफ्तारी ने आप को उसके तीसरे कार्यकाल में लगातार संकट का सामना करवा दिया, जिससे 2020 के चुनावी वादों को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित नहीं हो सका.
एंटी इनकंबेंसी
आप ने 2015 और 2020 के चुनावों में दिल्ली में बड़ी जीत दर्ज की थी. इसके पहले दो कार्यकालों में स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में प्रभावशाली काम हुआ था. इसके साथ ही बिजली और पानी की सब्सिडी ने भी मतदाताओं को खुश रखा. लेकिन समय के साथ कई ऐसे वादे जो पूरे नहीं हुए, उसने दिल्लीवासियों को परेशान करना शुरू कर दिया. हालांकि, आप सरकार ने यह दावा किया कि केंद्र में भाजपा सरकार उसके कामों में बाधा उत्पन्न कर रही है. लेकिन आप के 10 साल के शासन के बाद मतदाताओं को आप के ये आरोप बहाने के रूप में अधिक लगे. वहीं, आप के केंद्र सरकार से लगातार टकराव के बीच दिल्ली के लोगों को बीजेपी की 'डबल इंजन' सरकार का वादा अधिक फायदेमंद लगा. जिसका नतीजा रुझानों में दिख रहा है.