दिल्ली में केजरीवाल की हार, पंजाब के विधायकों संग बैठक, सियासत भी गर्म
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दिल्ली में केजरीवाल की हार, पंजाब के विधायकों संग बैठक, सियासत भी गर्म

दिल्ली में आप की हार हुई है। लेकिन संयोजक अरविंद केजरीवाल, पंजाब के विधायकों की बैठक दिल्ली में करने जा रहे हैं। इसे लेकर तरह तरह के सवाल विपक्षी दल पूछ रहे हैं।


Delhi Election Result: 8 फरवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों पर नजर सबकी टिकी थी। चुनावी नतीजे आम आदमी पार्टी,बीजेपी और कांग्रेस तीनों के लिए अहम थे। आम आदमी पार्टी की हैट्रिक लगाने का सपना टूट गया। अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) चौथी दफा सीएम बनते बनते रह गए। दिल्ली की जनता ने कमल के 48 फूल खिला दिए। यानी कि बीजेपी (BJP) के पास शानदार जनादेश है।इन सबके बीच अब चर्चा इस बात पर है कि अरविंद केजरीवाल अब किस सूबे की राजनीति करेंगे।

दिल्ली में हार, पंजाब के विधायकों संग बैठक
आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) आज भी समीक्षा बैठक करने वाली है। लेकिन पंजाब के सीएम भगवंत मान( Bhagwant Mann), मंत्रियों और विधायकों दिल्ली बुलाया गया है। आम लोग या खास चर्चा इस बात पर कर रहे हैं कि हार दिल्ली में हुई तो पंजाब के आप विधायकों के साथ बैठक क्यों हो रही है। क्या अरविंद केजरीवाल दिल्ली की जगह अब पंजाब की तरफ रुख करेंगे या बीजेपी और कांग्रेस (Congress) उनके विधायकों में सेंधमारी ना कर सकें। इसके लिए बैठक की जरूरत पड़ी।

भगवंत मान सरकार पर संकट!
दिल्ली के नतीजों के आने के बाद पंजाब कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि अब भगवंत मान पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। पंजाब आप के विधायकों में भगदड़ मचेगी और वो विधायक कहीं और नहीं उनके संग आ जाएंगे। इन सबके बीच इस तरह की खबरें आने लगीं कि अरविंद केजरीवाल पंजाब की तरफ रुख कर सकते हैं। अब पंजाब की तरफ रुख करने के अर्थ को समझा जा सकता है। भगवंत मान की छुट्टी हो सकती है। दरअसल दिल्ली चुनाव से बहुत पहले इस तरह की खबरें आती थीं कि केजरीवाल और मान के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। केजरीवाल चाहते हैं कि पंजाब की कमान खुद संभालें। यहां बता दें कि स्पष्ट तौर पर कभी इस तरह की खबरों का खंडन नहीं हुआ। खंडन के तरीके में भी कयास लगाने के कई बिंदु छोड़ दिए गए थे।

क्या केजरीवाल जाएंगे पंजाब?
अब जब दिल्ली में आम आदमी पार्टी की करारी हार हुई है तो क्या केजरीवाल पंजाब जाएंगे। इस संबंध में जानकार कहते हैं कि सियासत में कुछ भी असंभव नहीं है। लेकिन सच यह भी है कि तात्कालिक लाभ के दूरगामी नुकसान झेलने पड़ते हैं। फर्ज करिए कि केजरीवाल को पंजाब की कमान संभालने का मौका मिलता है, वो सरकार भी चलाते हैं तो क्या पंजाब का सिख समाज इस तस्वीर को स्वीकार कर सकेगा। अगर भगवंत मान को वो पद से हटाते हैं उस सूरत में विपक्षी दल इस बात का जोर शोर से प्रचार करेंगे कि सिख समाज पर केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को भरोसा नहीं है, सिर्फ फायदे की राजनीति और खुद की वो सियासत करते हैं।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट
सियासी जानकार कहते हैं कि दिल्ली (Delhi Election Result 2025) की हार के बाद आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के सामने दो तरह की चुनौती है। पहली चुनौती, दिल्ली में पार्टी को बचा कर रखना है, वहीं पंजाब में सरकार और पार्टी दोनों को बचानी है। अब पंजाब आम आदमी पार्टी के विधायकों से सीधा संवाद स्थापित कर यह बताया जाए कि मौजूदा समय में पार्टी के सामने अस्तित्व बचाए रखने की चुनौती है।

अगर पंजाब से आप किसी भी तरह से सत्ता से बाहर होती है तो पार्टी को बड़े पैमाने पर चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। 2012-13, 2015 और 2020 में जनता खुद कांधे से कांधा मिलाकर आप के साथ खड़ी थी। हाथ में सत्ता थी। यदि पंजाब किसी भी वजह से हाथ से निकलता है तो पार्टी को सही मायने में विपक्ष की भूमिका में रहना होगा जिसका अनुभव किसी भी वरिष्ठ नेता के पास नहीं है।

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