Delhi election: 26 साल बाद दिल्ली फतह की तैयारी, बीजेपी ने बनाई खास रणनीति
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Delhi election: 26 साल बाद दिल्ली फतह की तैयारी, बीजेपी ने बनाई खास रणनीति

Delhi Assembly election: बीजेपी पिछले 26 साल से दिल्ली की सत्ता से बाहर है. ऐसे में इस बार जीत की संभावनाओं के बीच पार्टी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है.


Delhi Assembly election 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए महज कुछ ही दिन बाकी रह गए हैं. नई विधानसभा के लिए 5 फरवरी को वोट डाले जाएंगे. जबकि, मतों की गणना 8 फरवरी को होगी. ऐसे में हर राजनीतिक पार्टी कोई मौका नहीं छोड़ रही है. फिर चाहे वह वादों की झडी लगाना हो या फिर मुफ्त की रेवड़ियां बांटना. मकसद केवल दिल्ली की सत्ता पर काबिज होना है. देश की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी की बात करें तो वह पिछले 26 साल से दिल्ली की सत्ता से बाहर है. ऐसे में इस बार जीत की संभावनाओं के बीच पार्टी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है. इसलिए बीजेपी ने एक खास माइक्रो मैनेजमेंट रणनीति बनाई है, ताकि दिल्ली की सत्ता में वापसी की जा सके.

इस रणनीति के तहत पार्टी ने पिछले चुनाव की तुलना में हर विधानसभा सीट पर 20 हजार वोट बढ़ाना, हर बूथ पर ज़्यादा वोट हासिल करना और हर बूथ पर 50 फीसदी वोट हासिल करने का लक्ष्य रखा है. इतना ही नहीं, पार्टी ने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए बूथ-दर-बूथ, मतदाता सूची-दर-मतदाता सूची की रणनीति तैयार की है. दिल्ली के लिए खासतौर पर न केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने प्रचार अभियान की कमान संभाली है, बल्कि दर्जनों केंद्रीय मंत्री, राष्ट्रीय पार्टी पदाधिकारी, मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और पड़ोसी राज्यों के मंत्रियो के साथ ही सांसद और विधायक भी दिल्ली में तैनात किए गए हैं.

हर बूथ अहम

कई महीनों से भाजपा मतदाता सूचियों की जांच कर रही है. हर बूथ पर मतदाताओं का डेटा तैयार किया गया है, नए मतदाताओं को जोड़ा गया है और फर्जी मतदाताओं को हटाया गया है. ऐसे मतदाताओं की सूची तैयार की गई है, जो अब बूथ क्षेत्र में नहीं रहते हैं. लेकिन अभी भी मतदाता सूची में हैं. कोविड-19 के दौरान कई मतदाता दिल्ली छोड़कर चले गए और वापस नहीं लौटे. जबकि अन्य नौकरी या अन्य कारणों से चले गए. लेकिन मतदाता सूची में बने हुए हैं. पार्टी ने इन सभी मतदाताओं से संपर्क किया है और उन्हें 5 फरवरी को मतदान करने के लिए दिल्ली लौटने के लिए प्रोत्साहित किया है.

इसके अलावा हर बूथ पर मतदाताओं के सामाजिक प्रोफाइल की जांच की गई है. उदाहरण के लिए, यह निर्धारित किया गया कि कोई मतदाता मूलरूप से दिल्ली का है या किसी अन्य राज्य से राजधानी में आया है. अगर वे किसी अन्य राज्य से आए हैं तो उनके गृह राज्य के स्थानीय भाजपा नेताओं को स्थानीय कनेक्शन का लाभ उठाने और उन्हें पार्टी के लिए वोट देने के लिए मनाने के लिए मतदाताओं से व्यक्तिगत संपर्क स्थापित करने के लिए कहा गया था.

भाजपा ने उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के पूर्वांचलियों और उत्तराखंड के पहाड़ी लोगों पर भी ध्यान केंद्रित किया है. पूर्वांचल के भाजपा नेताओं को पूर्वांचली मतदाताओं के बीच प्रचार करने का काम सौंपा गया है, जिसका समन्वय पूर्व सांसद हरीश द्विवेदी कर रहे हैं. भाजपा का लक्ष्य पूर्वांचलियों का दिल जीतना और आप के इस दावे का मुकाबला करना है कि भाजपा ने समुदाय के लोगों को ज्यादा टिकट नहीं दिए. इसी तरह उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और गुजरात के भाजपा नेताओं को अपने-अपने राज्यों के मतदाताओं को लुभाने के लिए दिल्ली बुलाया गया है.

भाजपा ने सरकारी मकानों में रहने वाले लोगों की सूचियों की भी छानबीन की है, न केवल वहां रहने वाले सरकारी कर्मचारियों से बल्कि उनके घरों में काम करने वालों से भी संपर्क किया है. उन्होंने जांच की कि क्या उनके नाम मतदाता सूची में हैं और अगर नहीं थे तो उन्हें जोड़ा. यह अभियान विशेष रूप से नई दिल्ली, सरोजिनी नगर, आरके पुरम और नेताजी नगर जैसे क्षेत्रों पर केंद्रित था. नतीजतन, लुटियंस ज़ोन में मंत्रियों और सांसदों के बंगलों में काम करने वाले माली, रसोइए, घरेलू सहायकों और अन्य लोगों के नाम भी मतदाता सूची में जोड़े गए हैं.

केंद्रीय मंत्रियों, राष्ट्रीय पार्टी पदाधिकारियों और पड़ोसी राज्यों के नेताओं को विशिष्ट जिम्मेदारियां दी गई हैं. हर केंद्रीय मंत्री को चुनाव प्रचार और संगठन के हर पहलू की देखरेख के लिए दो विधानसभा क्षेत्र सौंपे गए हैं. यह कोर ग्रुप रोजाना बैठक करता है और केंद्रीय नेतृत्व के साथ रिपोर्ट शेयर करता है. उनके पास किसी भी मुद्दे को हल करने और तुरंत निर्णय लेने का अधिकार है.

भाजपा ने दिल्ली के अलग-अलग इलाकों के लिए क्लस्टर बनाए हैं और हर इलाके में नेताओं को नियुक्त किया है. इनमें झुग्गी-झोपड़ी, अनाधिकृत कॉलोनियां और रेहड़ी-पटरी वालों के लिए क्लस्टर शामिल हैं. नेताओं को मतदाता सूचियों की निगरानी करने और सभी से संपर्क करने का निर्देश दिया गया है. इसके तहत आरएसएस के नेता भी भाजपा नेताओं के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.

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