विकास को तरसता बुराड़ी विधानसभा क्षेत्र, पूर्वांचली-उत्तराखंडी निभाते हैं चुनाव में अहम भूमिका
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विकास को तरसता बुराड़ी विधानसभा क्षेत्र, पूर्वांचली-उत्तराखंडी निभाते हैं चुनाव में अहम भूमिका

Burari assembly seat: बुराड़ी विधानसभा सीट साल 2008 में अस्तित्व में आई थी. यह इलाका फिलहाल मिक्स आबादी वाला क्षेत्र है.


Delhi Assembly Election: नये साल 2025 के आगमन के साथ ही दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने कमर कस ली है. पार्टियां एक तरफ तो एक-दूसरे पर हमला करने का कोई मौका छोड़ नहीं रही है. वहीं, दूसरी तरफ विधानसभा सीटों का समीकरण देखकर कैंडिडेट्स उतार रही हैं. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि किस सीट के जातीय समीकरण और मुद्दे क्या हैं. आइए इस लेख में उत्तरी-पूर्व लोकसभा सीट का हिस्सा बुराड़ी विधानसभा क्षेत्र (Burari assembly constituency) की बात करते हैं.

सामाजिक समीकरण

बुराड़ी विधानसभा सीट (Burari assembly seat) साल 2008 में अस्तित्व में आई थी. यह इलाका फिलहाल मिक्स आबादी वाला क्षेत्र है. पहले जहां यहां त्यागी और जाट समाज का वर्चस्व अधिक था. लेकिन अब यहां पूर्वांचलियों का दबदबा अधिक है. वहीं, दूसरे नंबर पर उत्तराखंडियों की जनसंख्या है.

विधानसभा सीट

यहां एक तरफ अथॉराइज्ड़ और अनअथॉराइज्ड कालोनियां हैं तो दूसरी तरफ गांवों की भी बसावट है. गांवों की बात करें तो बुराड़ी (Burari) में कादीपुर, इब्राहिमपुर, मुखमेलपुर, नगली पुणे, झरोदा, जगतपुर जैसे गांव हैं तो वहीं अधिकृत और अनधिकृत कालोनियां भी है. इनमें कॉलोनियों में खासकर पूर्वांचली और उत्तराखंडी लोगों की तादाद ज्यादा है. यही वजह है कि इन लोगों के वोट यहां की राजनीतिक समीकरण बनाती और बिगाड़ती हैं.

चुनावी इतिहास

साल 2008 से अब तक हुए विधानसभा चुनाव में यहां से तीन बार आम आदमी पार्टी की तरफ से संजीव झा इलेक्शन जीतते आ रहे हैं. उनसे पहले यहां साल 2008 में बीजेपी के कृष्ण त्यागी ने विधायक के तौर पर जीत हासिल की थी. वहीं, जब यह इलाका भलस्वा जहांगीरपुरी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता था, तब लगातार 10 साल तक कांग्रेस के जिले सिंह चौहान यहां से विधायक रहे थे.

स्थानीय मुद्दे

इस विधानसभा क्षेत्र में लगातार बढ़ती आबादी से संसाधन कम पड़ते जा रहे हैं. आउटर रिंग रोड से बुराड़ी के लिए आने वाली मुख्य सड़क पर अधिकतर ट्रैफिक जाम की स्थिति बने रहती है. क्योंकि इस सड़क पर अतिक्रमण की भरमार है. इसके साथ ही संत नगर जैसी बड़ी कॉलोनी में संकरी गलियां परेशानी खड़ी करती है. वहीं, अधिकांश कॉलोनियों में गंदे पानी की निकासी की व्यवस्था का न होना भी बड़ी समस्या है.

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