दिल्ली के दिल में आप या बीजेपी, जानें- क्या है जमीन पर मिजाज?
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दिल्ली के दिल में आप या बीजेपी, जानें- क्या है जमीन पर मिजाज?

Delhi Election 2025: यह चुनाव आप, बीजेपी - कांग्रेस तीनों के लिए अहम है। 5 फरवरी को 1.5 करोड़ वोटर्स 699 उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद करेंगे।


Delhi Election 2025: दिल्ली का चुनावी माहौल गर्म है। हर गली, हर नुक्कड़ पर बहसें चल रही हैं। लोग अपने-अपने तर्क रख रहे हैं—कुछ अरविंद केजरीवाल की तारीफ कर रहे हैं, तो कुछ नरेंद्र मोदी की एक मौका मांगने वाली अपील पर गौर कर रहे हैं। लेकिन असल सवाल यह है कि इस बार दिल्ली की सत्ता किसके हाथ जाएगी?

आम आदमी पार्टी (AAP) या भारतीय जनता पार्टी (BJP)?

चुनाव कोई एक मुद्दे पर नहीं लड़े जाते, और दिल्ली में तो बिल्कुल भी नहीं। यहां की सियासत जटिल है, मतदाता समझदार हैं, और हर चुनाव अपने साथ नए समीकरण लेकर आता है। इस बार पांच ऐसे अहम फैक्टर हैं जो तय करेंगे कि 8 फरवरी को जब EVM खुलेंगी, तो किसकी सरकार बनेगी। आइए, इन्हें एक-एक करके समझते हैं।

झुग्गी बस्तियों की गणित – AAP का गढ़ या BJP की सेंध?

दिल्ली में झुग्गी-बस्तियां सिर्फ गरीबों की बस्ती नहीं, बल्कि सियासी रूप से अहम इलाके हैं। इन इलाकों में रहने वाले करीब 20% दलित वोटर चुनावी समीकरण का सबसे बड़ा हिस्सा हैं। ये मतदाता सालों से AAP के साथ रहे हैं, क्योंकि इस पार्टी ने उन्हें मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी, मोहल्ला क्लीनिक और अच्छी सरकारी स्कूलों जैसी सुविधाएं दी हैं। केजरीवाल की सरकार ने इन्हें सबसे ज्यादा तवज्जो दी है, और यही वजह है कि अब तक इन इलाकों से उन्हें भरपूर समर्थन मिला है।

लेकिन इस बार BJP ने झुग्गी इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत करने की पूरी कोशिश की है। उसने वादा किया है कि अगर उसकी सरकार आई तो हर झुग्गीवाले को पक्का मकान मिलेगा। साथ ही, वह मुफ्त बिजली-पानी की योजनाएं जारी रखने की भी बात कर रही है। इससे कई गरीब मतदाताओं में भ्रम की स्थिति बनी हुई है—क्या BJP सच में उनकी भलाई के लिए काम करेगी, या यह सिर्फ चुनावी वादे हैं?

क्या दलित वोट बंटेगा?

BJP को उम्मीद है कि इस बार झुग्गी इलाकों के कुछ मतदाता उसकी ओर भी झुक सकते हैं। अगर ऐसा होता है, तो AAP के लिए खतरे की घंटी बज सकती है।

मुस्लिम वोट – क्या कांग्रेस BJP की मदद कर सकती है?

दिल्ली में 13% मुस्लिम वोटर हैं, और ये नौ सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। पिछले दो चुनावों में ये वोटर पूरी तरह AAP के पक्ष में गए, जिससे पार्टी को बड़ी जीत मिली। इस बार BJP को उम्मीद थी कि कांग्रेस अगर आक्रामक प्रचार करे, तो मुस्लिम वोटर बंट सकते हैं, जिससे उसका फायदा होगा।

द फेडरल देश की ग्राउंड रिपोर्टिंग में यह बात स्पष्ट दिखी कि कांग्रेस ने इस बार मुस्लिम इलाकों में उतनी सक्रियता नहीं दिखाई। जबकि समाजवादी पार्टी (SP) और अन्य क्षेत्रीय दलों ने AAP का समर्थन किया है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि मुस्लिम वोट इस बार भी AAP के पक्ष में रहेगा। यदि मुस्लिम वोट बंटता, तो बीजेपी की स्थिति बहुत मजबूत होती।

मध्यवर्गीय नाराजगी – क्या BJP इसका फायदा उठा पाएगी?

दिल्ली का मिडिल क्लास, यानी करीब 40% वोटर, इस बार बड़ा रोल निभा सकता है। इस तबके की सबसे बड़ी शिकायत यह है कि AAP ने सिर्फ गरीबों को फायदा दिया, लेकिन मिडिल क्लास की कोई सुध नहीं ली। सड़कों की हालत खराब है।यमुना की सफाई के वादे पूरे नहीं हुए।कूड़े के पहाड़ वैसे ही खड़े हैं।ट्रैफिक जाम और प्रदूषण की समस्या जस की तस है।

BJP ने इस बार मिडिल क्लास वोटर्स को साधने के लिए RWA (रेज़िडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन), बाजार संघों और व्यापारियों के साथ गहरे संपर्क बनाए हैं। इसके अलावा, केंद्र सरकार की तरफ से हाल ही में टैक्स में छूट और 8वें वेतन आयोग की घोषणा की गई है, जिससे सरकारी कर्मचारियों को राहत मिली है।

क्या मिडिल क्लास BJP की तरफ जाएगा?

अगर हां, तो AAP के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है, क्योंकि यही वोटर कई अहम सीटों पर चुनावी नतीजे बदल सकते हैं।

मुफ्त योजनाओं की लड़ाई – कौन दे रहा है ज्यादा?

दिल्ली चुनाव में मुफ्त सुविधाओं (Freebies) का मुद्दा हर बार चर्चा में रहता है, लेकिन इस बार तो इसे चुनावी रणनीति का केंद्र ही बना दिया गया है।2020 में BJP ने AAP की मुफ्त योजनाओं को "रेवड़ी कल्चर" कहा था, लेकिन इस बार उसने रणनीति बदली है।BJP कह रही है कि अगर वह सत्ता में आई तो मुफ्त बिजली-पानी जारी रहेगा।BJP ने ₹2,500 महीना महिलाओं को देने का वादा किया है, जबकि AAP ने ₹2,100 महीना देने का ऐलान किया है।

AAP इसे अपना बड़ा हथियार मान रही है। केजरीवाल खुद घरों में जाकर बता रहे हैं कि उनकी सरकार की योजनाओं से लोगों को हर महीने ₹25,000 तक की बचत हो रही है, और आगे यह ₹35,000 तक पहुंच सकती है।लोगों के लिए यह बड़ा सवाल नहीं कि सरकार पर आर्थिक बोझ कितना बढ़ेगा, बल्कि यह है कि कौन उन्हें ज्यादा फायदा देगा?

कौन बनेगा मुख्यमंत्री – केजरीवाल की पकड़ मजबूत, लेकिन...

चुनाव सिर्फ पार्टियों के बीच नहीं, नेताओं के बीच भी होते हैं।AAP के पास अरविंद केजरीवाल का मजबूत चेहरा है। BJP के पास कोई घोषित CM कैंडिडेट नहीं है। लेकिन पार्टी इस चुनाव को पूरी तरह नरेंद्र मोदी के नाम पर लड़ रही है।

क्या केजरीवाल की छवि को नुकसान हुआ है?

कुछ मतदाता मानते हैं कि केजरीवाल की लोकप्रियता पहले जैसी नहीं रही, क्योंकिउन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। 'शीशमहल' विवाद उनकी सादा जीवन, उच्च विचार वाली छवि को नुकसान पहुंचा सकता है। शराब घोटाले में जेल जाने के बाद कुछ मतदाता उन पर सवाल उठा रहे हैं। लेकिन उनके समर्थकों का कहना है कि "घोटाले तो सब करते हैं" और केजरीवाल को झूठे केस में फंसाया गया।

BJP की रणनीति

PM मोदी "डबल इंजन सरकार" की अपील कर रहे हैं। वे मतदाताओं से कह रहे हैं कि दिल्ली में 27 साल बाद BJP को एक मौका मिलना चाहिए।

क्या नतीजे होंगे?

अगर झुग्गी बस्तियों और मुस्लिम वोटर पूरी तरह AAP के साथ बने रहते हैं, तो पार्टी आसानी से काफ़ी सीटें जीत सकती है। लेकिन अगर दलित वोटर बंटते हैं और मिडिल क्लास BJP के साथ जाता है, तो दिल्ली में हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे नतीजे आ सकते हैं, जहां BJP को फायदा हुआ था।

दिल्ली का चुनाव कांटे का मुकाबला बन चुका है। कौन जीतेगा, यह 8 फरवरी को ही पता चलेगा, लेकिन इतना तय है कि इस बार खेल आसान नहीं होने वाला!

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