पहले सीएम बदला अब विधायकों की सीट, ताकि ना रहे एंटी इंकंबेंसी का खतरा
x

पहले सीएम बदला अब विधायकों की सीट, ताकि ना रहे एंटी इंकंबेंसी का खतरा

Delhi Assembly Election 2025: आप ने 31 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। इस लिस्ट की खास बात यह है कि विधायकों के टिकट काटने के साथ सीट में बदलाव किया गया है।


Aam Aadmi Party News: दिल्ली की जनता अपने अगले सीएम का चुनाव 2025 में करेगी। इसके लिए सियासी दल चुनावी अखाड़े में कूद पड़े हैं। दिल्ली की जनता किसका राजतिलक करेगी इस सवाल का जवाब भविष्य के गर्भ में छिपा है। लेकिन आम आदमी पार्टी हो या बीजेपी (BJP) या कांग्रेस इन तीनों दलों को यकीन है कि कुछ अलग होने वाला है। कुछ अलग होने का मतलब आप के लिए सरकार (Delhi Assembly Elections 2025 news) की तीसरी दफा वापसी। बीजेपी के लिए 1998 के बाद वनवास का खत्म होना और कांग्रेस (Congress) के लिए 15 साल बाद सत्ता की वापसी। इन सबके बीच हम बात उस दल की करेंगे जो अपने आपको दूसरों से अलग बताती है। उस दल को यकीन है कि दिल्ली में उसने इतने काम किए हैं कि लोग हाथों हाथ ले लेंगे। हालांकि इस चुनाव में आप ने हाथ यानी कांग्रेस से किनारा कर लिया है।

अब सवाल यह है कि क्या अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की पार्टी एक बार फिर सत्ता में वापसी करेगी। इस सवाल का जवाब सामान्य तौर पर ये है कि अगर आप ने अच्छे काम किए होंगे तो वापसी जरूर होगी। हालांकि एक कड़वी सच्चाई यह भी है कि सरकारों को सत्ता विरोध का सामना करना पड़ता है जिसे एंटी इंकंबेंसी (AAP Anti Incumbency) कहते हैं। अब इस सवाल पर अरविंद केजरीवाल दहाड़ कर कहते हैं कि सत्ता विरोध लहर नहीं है। लेकिन जिस तरह से उन्होंने पहले सीएम को बदला यानी मौका किसी और को दिया। अब विधायकों की सीट बदल दी उससे कहानी कुछ सीधी नजर नहीं आती।

सीएम क्यों बदलना पड़ा

बीजेपी के नेता अक्सर सवाल करते हैं कि अगर दिल्ली में सब कुछ अच्छा है, लोगों को सारी सुविधाएं मिल रही हैं। दिल्ली की जनता अपने आपको हर मामले में सौभाग्यशाली मान रही है तो सीएम की कमाव आतिशी के हाथों में क्यों देनी पड़ी। दरअसल इसके पीछे वो उन दिनों को याद दिलाते हैं जब शराब घोटाले ( Delhi Liquor Scam) के सिलसिले में अरविंद केजरीवाल तिहाड़ जेल(Arvind Kejriwal Tihar Jail) में बंद थे। तिहाड़ जेल से ही वो अपने नाम पर सरकार चला रहे थे। जब उनसे सवाल पूछा जाता था कि जेल से सरकार कैसे। वो उस सवाल का जवाब देते हुए कहते थे कि कहीं कोई संवैधानिक अड़चन नहीं। लेकिन जब वो जेल से बाहर आए तो कैसे अड़चन आई। दरअसल जेल से जब वो सियासी जमीन पर घूमे और जनता के मिजाज को भांपा तो उन्हें यह बात समझ में आई कि 2025 में दिल्ली में पार्टी का हाल क्या होने वाला है. लिहाजा अपनी जगह आतिशी को मौका दिया। यानी कि बलि का बकरा बना दिया। या यूं कहें कि सत्ता विरोधी लहर को थामा जा सके उस संदर्भ में खुद को ही सीएम की कुर्सी से उतार दिया।

विधायकों का टिकट कटा, सीट बदली

आम आदमी पार्टी 31 उम्मीदवारों की सूची जारी (AAP Candidate list) कर दावा कर रही है कि देखो हम सबसे आगे हैं। लेकिन अगर आप उम्मीदवारों की सूची देखें तो 17 मौजूदा विधायकों का टिकट कटा है, आयातित उम्मीदवारों यानी दलबदलुओं को मौका मिला है और सबसे बड़ी बात विधायकों की सीट भी बदल दी गई है, जिसमें सबसे बड़ा नाम डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) का है। मनीष सिसोदिया अब पटपड़गंज की जंगपुरा से चुनाव लड़ेंगे। वहीं मंगोलपुरी से मौजूदा विधायक राखी बिड़लान (Rakhi Bidlan)का नाम है, इन्हें मादीपुर से मौका मिला है। सियासत के जानकार कहते हैं कि टिकट काटने और सीट बदलने की कवायद तभी की जाती है जब चुनाव हारने का खतरा बढ़ जाता है। अगर आप बड़े पैमाने पर सीट बदलने सीएम बदलने को देखें तो इस संस्कृति को बीजेपी ने बढ़ावा दिया है। लेकिन केजरीवाल तो बीजेपी के मुखर विरोधी ठहरे। लिहाजा वो बीजेपी की नीति को कैसे अमल में ला सकते हैं। बात यहीं समझने की है। दरअसल चुनावी लड़ाई की कहानी इतनी सीधी नहीं होती। लिहाजा आप को आदर्शों से समझौता करना पड़ा क्योंकि दिल्ली की हवा का रुख अरविंद केजरीवाल को अपने पक्ष में दिखाई नहीं दे रहा।

Read More
Next Story