Delhi Chunav: सरकार के 10वें साल में केजरीवाल को आई ऑटो ड्राइवरों की याद
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Delhi Chunav: सरकार के 10वें साल में केजरीवाल को आई ऑटो ड्राइवरों की याद

दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार ने ऑटो डाइवर के लिए ऐलान पर ऐलान किए हैं। लेकिन सवाल भी उठ रहे हैं चुनावी बेला में ही क्यों याद आ रही है।


Arvind Kejriwal Promise to Auto Drivers: अगर आप 10 साल पहले दिल्ली की सड़कों को याद करें तो शायद ही कोई ऐसा ऑटो वाला रहा हो जिसने आम आदमी पार्टी के झंडे को ना लगाया हो। ऑटो ड्राइवरों को उम्मीद थी कि अब उनकी सुधि लेने वाला कोई पार्टी सरकार में आई है। लेकिन बीते 10 वर्षों में उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया। ऑटो वाले(Delhi Auto Drivers) कहते हैं कि केजरीवाल सरकार ने खाक भला किया। अब तो वो सवारियों के लिए तरसते हैं। दरअसल इशारा वो डीटीसी (DTC Bus) की बसों में महिलाओं की मुफ्त यात्रा करते हैं। ऑटो ड्राइवर कहते हैं कि केजरीवाल जी ने तो बड़े बड़े सपने दिखाए। लेकिन महंगी सीएनजी के लिए मजबूर हैं। उनके हालात में बदलाव नहीं आया। लेकिन चुनाव के ऐन पहले केजरीवाल सरकार लग रहा है जाग चुकी है। ऐसा कहने के पीछे ठोस वजह है।

चुनावी माहौल में वादों की झड़ी
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार 2014 से लगातार है। आम आदमी पार्टी का दावा है कि दिल्ली में ऑटो ड्राइवर के लिए उन्होंने जितना याद किया उतना ना तो बीजेपी(BJP) ना ही कांग्रेस (Congress)ने किया। हालांकि ये दोनों दल कहते हैं कि केजरीवाल के वादों और दावों को आप कूड़े के पहाड़ और यमुना की गंदगी से देख सकते हैं। दिल्ली में रोड की तस्वीर से देख सकते हैं। इन सबके बीच केजरीवाल ने वादा किया है कि अगर वो सरकार में तीसरी बार आएंगे तो 10 लाख की जीवन बीमा देंगे, एक्सीडेंट में होने वाले हादसों में पांच लाख का बीमा, ऑटो ड्राइवरों के बच्चों के लिए फ्री कोचिंग की व्यवस्था करेंगे।

दिल्ली में इतने हैं ऑटो वाले
एक अनुमान के मुताबिक दिल्ली में कुल 970 हजार ऑटो, 12 हजार काली पीली टैक्सियां हैं। अगर एक ऑटो वाले के परिवार में औसत चार से पांच लोह हों तो यह संख्या लाखों में जाती है। ऑटो वाले दिल्ली के सभी इलाकों में चक्कर लगाते हैं, लिहाजा इन्हें प्रचार तंत्र का बेहतर साधन माना जाता है। चूंकि इनकी ज्यादातर रिहाइश अवैध कालोनियों और जेजे क्लस्टर में होती है। लिहाजा समाज के दूसरे वर्ग को भी प्रभावित करते हैं। अगर दिल्ली चुनाव को देखें तो आमतौर पर ऑटो ड्राइवर्स को आम आदमी पार्टी का वोट बैंक (Auto Drivers AAP Core Voters) माना जाता रहा है। लेकिन जिस तरह से दिल्ली की सड़कों पर ऑटो रजिस्ट्रेशन (Autorikshaw Regstration) की फी में बढ़ोतरी हुई उससे यह वर्ग आम आदमी पार्टी से खफा भी रहता है।

अब दिल्ली का चुनाव (Delhi Assembly Elections 2025) जब 2025 में होने जा रहा है और जिस तरह से अरविंद केजरीवाल सड़कों पर उतर कर जनता मिजाज भांप रहे हैं वैसी सूरत में उन्हें भी अंदेशा है कि तस्वीर इस दफा कुछ अच्छी नहीं है। इसका उदाहरण आप कैंडिडेट की लिस्ट में भी देखी जा सकती है, जिसमें 17 उम्मीदवारों के टिकट को काटा गया है और कद्दावर चेहरों की सीटों को भी बदला गया है। दिल्ली की सियासत पर नजर रखने वाले कहते हैं कि भले ही ऑटो ड्राइवर्स आम आदमी पार्टी के कोर वोट बैंक रहे हों। यह सच है कि उनके लिए जमीनी स्तर पर आप की सरकार ने कुछ खास नहीं किया। जब ऑटो ड्राइवर(Auto Drivers in Delhi) अपनी शिकायत लेकर सरकार के पास जाते थे तो उनका जवाब होता था कि क्या करें एलजी साहब (LG V K Saxena )ने रोक लगा रही है। यह विषय तो हमारे दायरे में नहीं आता है। यानी कि ऑटो रिक्शा वालों को लगने लगा कि उनके साथ छलावा हो रहा है। अब जब जमीन पर उतर कर आम आदमी की तरह केजरीवाल लोगों के रूबरू हो रहे हैं तो उन्हें लग रहा है नाराजगी का स्तर बहुत अधिक है, लिहाजा वादों की झड़ी लगा दी।

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