Delhi Assembly Election 2025: आज से करीब 12-13 साल पहले दिल्ली का वो दृश्य याद होगा जब अरविंद केजरीवाल नाम का एक शख्स व्यवस्था बदलने की बात कर रहा था। दिल्ली और देश की जनता को भरोसा दिया कि उनके पास देश को बदलने का विजन है। अगर मौका मिला तो तस्वीर कुछ अलग होगी। जन आंदोलन से जिस पार्टी का उदय हुआ उसका नाम आम आदमी पार्टी रखा गया। अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने साल 2013 में दिल्ली विधानसभा का चुनाव लड़ा। उन लोगों को चुनावी समर में उतारा जिन्होंने कांधे से कांधा मिलाकर आंदोलन में हिस्सा लिया था।
केजरीवाल के राजनीतिक सफर में लोग जुड़ते गए और पार्टी का दायरा बढ़ता गया। 2013 के चुनाव में आम आदमी पार्टी (Aam Admi Party) को स्पष्ट बहुमत तो नहीं मिला था। लेकिन जनता ने सबसे बड़े दल के तौर पर उन्हें समर्थन दिया। राजनीति की सड़क पर आम आदमी पार्टी ने 2015 में अब तक का सर्वोत्तम प्रदर्शन किया जिसमें 67 सीटें जीतने में कामयाब ही। 2020 के चुनाव में सीटों की संख्या में 5 की कमी आई। लेकिन प्रचंड बहुमत बरकरार रहा। इन सबके बीच अरविंद केजरीवाल ने सभी 70 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है। जिसमें 14 ऐसे चेहरे हैं जिन्हें चौथी दफा चुनाव (Delhi Assembly Election 2025) लड़ने का मौका मिला है।
इन्हें मिला चौथी दफा मौका
पहले नजर उन चेहरों पर डालेंगे जिन्हें चौथी बार चुनाव लड़ने का मौका मिल रहा है। अरविंद केजरीवाल खुद नई दिल्ली सीट (Arvind Kejriwal New Delhi से किस्मत आजमा रहे हैं, वहीं मनीष सिसोदिया जंगपुरा (Manish Sisodia Jangpura), सत्येंद्र जैन शकूरबस्ती, राखी बिड़लान मादीपुर (Rakhi Bidlan), अखिलेश पति त्रिपाठी म़ॉडल टाउन (Akhilesh Pati Tripathi), सोमनाथ भारती मालवीय नगर (Somnath Bharti Malviya Nagar, सोमदत्त सदर पहाड़गंज, बंदना कुमारी शालीमार बाग, जरनैन सिंह तिलकनगर , दिनेश मोहनिया संगम विहार, सौरभ भारद्वाज ग्रेटर कैलाश (Saurabh Bhardwaj Greater Kailash, विशेष रवि करोलबाग, संजीव झा बुराड़ी (Sanjeev Jha Burari)।
2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव को आम आदमी पार्टी के लिए किस तरह से चुनौती बनी है उसे आप अरविंद केजरीवाल के बयान से समझ सकते हैं। केजरीवाल का कहना है कि अगर हम 55 सीट से कम हासिल किए तो आगे की लड़ाई कठिन होने वाली है। बीजेपी (BJP) उनकी सरकार नहीं बनने देगी। लेकिन उनकी आशंका के पीछे कोई तर्क है या सिर्फ कार्यकर्ताओं को संदेश दे रहे हैं कि इस दफा लड़ाई कठिन है लिहाजा किसी तरह की चूक ना रहे।
अगर दिल्ली विधानसभा (Delhi Assembly Seat Equation) को देखें तो कुल 70 सीट है। यानी कि किसी भी दल को सरकार बनाने के लिए 36 विधायकों (Delhi Assembly Magic Figure) का समर्थन चाहिए। अगर आम आदमी पार्टी को आभास है कि वो अधिकतम 55 सीट जीत सकते हैं उस सूरत में भी आम आदमी पार्टी की मजबूत सरकार बन जाएगी। अगर बीजेपी 15 सीट हासिल करती है उस केस में भी जादुई आंकड़े से 21 सीट पीछे रहेगी। अगर दल बदल की आशंका या संभावना की बात करें उस केस में बीजेपी को कम से कम 36 विधायकों की जरूरत होगी और वो संख्या हासिल करना व्यवहारिक तौर पर संभव नजर नहीं आता।
दिल्ली की सियासत (Delhi Assembly Election 2025) पर नजर रखने वाले कहते हैं कि आरोप लगाने की राजनीति जब तक आप विपक्ष में रहते हैं तब तक सूट करती है लेकिन जैसे ही आप सरकार का हिस्सा बनते हैं वो भी तीन दफा कमान संभालने का मौका मिलता है तो सिर्फ आरोप लगाने से बात नहीं बनने वाली। लोगों में सामान्य सी समझ बनती है कि केंद्र सरकार की तरफ से अधिक बाधाएं नहीं खड़ी की जा सकती हैं कि क्यों उस दल को भी चुनावी मैदान में उतरना है। आखिर वो अपने इस तरह की तोहमत क्यों लगाएंगे।
दरअसल दिल्ली की जनता से बड़े बड़े वायदे। कम समय में दिल्ली से बाहर आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party)के फैलाव की महत्वाकांक्षा ने अरविंद केजरीवाल को उसी राजनीति का हिस्सा बना दिया है जिसका वो विरोध किया करते थे। लिहाजा वो उन चेहरों पर अधिक भरोसा कर रहे हैं जो संघर्ष के दिनों में कांधे से कांधा मिलाकर सड़कों पर संघर्ष कर रहे थे।