दलबदलुओं से परहेज नहीं लेकिन डर बगावत का, AAP-BJP की मुश्किल एक जैसी
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दलबदलुओं से परहेज नहीं लेकिन डर बगावत का, AAP-BJP की मुश्किल एक जैसी

दल बदलुओं को टिकट देना अब शाश्वत सत्य बन चुका है,दिल्ली चुनाव में आप, कांग्रेस या बीजेपी किसी ने भी टिकट देने से परहेज नहीं किया है।


Delhi Assembly Election 2025: जब मुद्दा सिर्फ सरकार बनाने का हो तो आदर्श की कल्पना कैसे कर सकते हैं। हकीकत यह है कि सैद्धांतिक राजनीति पर व्यवहारिक जरूरतें हावी होती हैं। अगर ऐसा ना होता तो लीक से हटने का दावा करने वाले दल दल बदलुओं को टिकट ना देते। लेकिन इसके साथ बगावत का भी खतरा बना रहता है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में चाहे आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) हो, कांग्रेस या बीजेपी (BJP) ने सबने दलबदुलओं के लिए प्यार दिखाया है लेकिन चिंता भी अपनों की नाराजगी की बढ़ गई है। यहां कुछ आंकड़ों से समझने की कोशिश करेंगे।

भाजपा को बिजवासन, पटेल नगर, गांधी नगर, मंगोलपुरी, छतरपुर, बदरपुर, कस्तूरबा नगर और कोंडली में बगावत का डर है। बिजवासन से आप नेता रहे कैलाश गहलोत (Kailash Gehlot Bijwasan), पटेल नगर से राजकुमार आनंद, कोंडली से प्रियंका गौतम (Priyanka Gautam Kondli) को टिकट दिया है इनका नाता आप से रहा है, वहीं गांधीनगर सीट से अरविंदर लवली, मंगोलपुरी से राज कुमार चौहान,कस्तुरबा नगर से नीरज बसाोया को टिकट दिया है। इनका नाता कांग्रेस से रहा है। बीजेपी ने 8 सीटों पर दूसरे दलों से आयातित उम्मीदवारों को बीजेपी ने मौका दिया है।

इसके साथ ही अगर आम आदमी पार्टी की बात करें तो 13 सीटों पर अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने दल बदलुओं को मौका दिया है। इनमें से शाहदरा से जीतेंद्र सिंह शंटी, कस्तुरबा नगर से रमेश पहलवान, नजफगढ़ से तरुण यादव, छतरपुर से ब्रह्म सिंह तंवर, किराड़ी से अनिल झा, लक्ष्मी नगर से बी बी त्यागी, सीलमपुर से जुबैर चौधरी, सीमापुरी से वीर सिंह धिंगान, मटियाला से सुमेश शौकीन, तिमारपुर से सुरेंद्र पाल सिंह बिट्टू, त्रिलोकपुरी से अंजना पारचा, पटेल नगर से प्रवेश रतन।

अगर बात कांग्रेस की करें तो 70 में से 48 सीटों पर कैंडिडेट के नाम का ऐलान है। हालांकि 48 सीटों पर जो ऐलान हुए है उसमें किसी तरह का विरोध नजर नहीं आया है। इसके पीछे वजह यह बताया जा रहा है कि आखिर कांग्रेस के पास विरोध के लिए बचा ही क्या है। पिछले दो चुनावों में तो पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली।

बीजेपी में बगावत के खतरे को आप ऐसे समझ सकते हैं, करावल नगर सीट से जब मौजूदा विधायक मोहन सिंह बिष्ट (Mohan Singh Bisht) का टिकट काटा गया तो वो भावुक होकर पार्टी पर छल करने का आरोप लगाए। हालांकि उसके तुरंत बाद पार्टी ने मुस्तफाबाद से टिकट दे दिया। यहां बता दें कि इस सीट पर दलबदल का मसला नहीं है बल्कि सिर्फ उम्मीदवार बदले जाने का विरोध था।

बगावत की वजह से कितना नुकसान हो सकता है आप इसे ऐसे समझ सकते हैं। दिल्ली में किसी भी दल को सरकार बनाने के लिए 36 विधायकों (Delhi Assembly Magic Number 36) की जरूरत होती है। अगर दलबदलुओं को टिकट देने और उससे उपजे असंतोष की वजह से अगर नुकसान होता है तो उसकी भरपाई आसान नहीं। लिहाज आप हो या बीजेपी दोनों अपने अपने कैडर और असंतोषी खेमे को समझाने में जुट गए हैं कि पार्टी के हित में कुछ कठोर फैसले किए गए हैं और उसका सम्मान हर एक को करना चाहिए।

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