दिल्ली में जाति लगाएगी नैया पार, आप, BJP या कांग्रेस परहेज किसी को नहीं
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दिल्ली में जाति लगाएगी नैया पार, आप, BJP या कांग्रेस परहेज किसी को नहीं

दिल्ली में तीनों दलों के नेताओं ने कहा था कि जाति के आधार पर टिकट नहीं बांटेंगे। लेकिन हकीकत कुछ और ही है। सवाल पूछे जाने पर जाति की जगह समाज का हवाला देते हैं।


Delhi Assembly Election 2025: हम सब अक्सर कहते और सुनते हैं कि देश को और सशक्त बनाने के लिए जात पात से ऊपर उठना होगा। नेता भी तकरीरें करते हैं लेकिन चुनावी राजनीति का तकाजा ही कुछ और है। बिजली, सड़क पानी की बात उठाते उठाते बात जात पर ही आकर सिमट जाती है। राजनीति के विद्वान कहते रहे हैं कि जाति की सबसे अधिक राजनीति यूपी और बिहार में होती है। लेकिन कॉस्मोपोलिटन चरित्र धारण किए हुए दिल्ली का चुनावी मिजाज अलग नहीं है। यहां पर आप कह सकते हैं कि समाज तो जाति से ही बना है, अगर चुनावी परीक्षा में राजनीतिक दल जाति को आधार बनाते हैं तो गलत क्या है। यहां हम दिल्ली विधानसभा चुनाव की बात करेंगे जहां सभी राजनीतिक दलों को जाति से परहेज नहीं है। जब उनसे आप सवाल करिए तो जवाब बेहद स्पष्ट कि कुछ गलत नहीं है।

पहले एक नजर डालते है कि आप, बीजेपी और कांग्रेस ने टिकटों का बंटवारा किस तरह किया है।

  • एससी वर्ग को आप ने 13, बीजेपी ने 15 और कांग्रेस ने 13 टिकट दिए हैं।
  • जाट समाज को आप ने 7, बीजेपी ने 11 और कांग्रेस ने 11 टिकट दिए
  • वैश्य समाज को आप ने 8, बीजेपी ने 10 और कांग्रेस ने 5
  • ब्राह्मण वर्ग को आप ने 4, बीजेपी ने 9 और कांग्रेस ने 8
  • गुर्जर समाज को आप ने 7, बीजेपी ने 5 और कांग्रेस ने 7
  • पूर्वांचली समाज को आप ने 12, बीजेपी ने 6 और कांग्रेस ने 3
  • पंजाबी वर्ग को आप ने 2, बीजेपी ने 5 और कांग्रेस ने सात टिकट दिए हैं।
  • मुस्लिम समाज का आप ने पांच बीजेपी ने शून्य और कांग्रेस ने सात टिकट दिए हैं।
  • राजपूत समाज को आप में पांच, बीजेपी ने दो और कांग्रेस की तरफ से एक टिकट
  • आप ने यादव समाज के तीन उम्मीदवार, बीजेपी ने 2 और कांग्रेस ने तीन उम्मीदवार दिये हैं
  • त्यागी समाज को आप ने दो और कांग्रेस ने एक टिकट
  • उत्तराखंडी समाज को बीजेपी ने दो टिकट दिए हैं।
    आप का चुनावी फंडा

अगर आम आदमी पार्टी की टिकट बंटवारे पर ध्यान दें तो वैश्य और पूर्वांचली उम्मीदवारों पर ज्यादा यकीन किया है। इसके साथ ही जाट और गुर्जर नेताओं को भी प्राथमिकता दी है। इसके जरिए बीडेपी के परंपरागत वोट बैंक को अपने पाले में लाने की कोशिश की है। इस तरह से आप ने सियासी माहौल को और दिलचस्प बना दिया है।

बीजेपी की रणनीति

बीजेपी ने अपने मजबूत गढ़ जाट, पंजाबी, ब्राह्मण समाज पर भरोसा जताया है। इसके साथ ही पूर्वांचली समाज, उत्तराखंडी समाज से आने वाले नेताओं को टिकट देकर सामाजिक दायरा बढ़ाने का काम किया है। बीजेपी की लिस्ट की खास बात यह है कि मुस्लिम समाज को टिकट देने से परहेज किया है।

कांग्रेस का फंडा
अगर बात कांग्रेस की करें तो पार्टी ने अल्पसंख्यक और परंपरागत वोट बैंक पर फोकस किया है। जाट और ब्राह्मण समाज से कैंडिडेट देकर अपने कोर वोटर बैंक को सहेजने की कोशिश की है। पार्टी ने मुस्लिम समाज को रिझाने का दांव चला है। इसके अलावा पंजाबी और गुर्जर समाज को भी मायूस नहीं किया है।

अगर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के कैंडिडेट को देखें तो आप ने पांच और कांग्रेस ने सात मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है। ऐसे में इस समाज के वोटबैंक को हासिल करने के लिए फील्डिंग सजाई गई है। एससी की आरक्षित सीटों पर बीजेपी ने 15, कांग्रेस और आप ने 13-13 उम्मीदवार दिए हैं।

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