दिल्ली वालों को बिजली बिल से थोड़ी राहत, क्या चुनाव देख AAP सरकार का फैसला
दिल्ली सरकार ने बिजली पर थर्ड क्वार्टर के लिए पीपीएसी चार्ज कम करने का फैसला किया है। इसका फायदा आम लोगों को मिलेगा। लेकिन सियासत भी शुरू हो चुकी है।
Delhi Electricity Bill: चुनाव के समय सरकारें किसी भी राज्य की हों वे जनता पर कुछ अधिक ही मेहरबान हो जाती है। दिल्ली में बिजली पर पीपीएस चार्ज (PPAC) में अगले क्वार्टर के लिये कमी की गई है। यानी कि आम जनता को कम से कम मार्च तक राहत मिलेगी। लेकिन इस विषय पर सियासत भी शुरू हो चुकी है। आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) का कहना है कि उनकी सरकार जनता को राहत देने के मुद्दे पर कितनी फिक्रमंद है उसके बारे में पता चलता है। लेकिन बीजेपी (BJP) का कहना है कि इतनी मोहब्बत चुनाव के समय क्यों। हकीकत तो यह है कि इसके लिए उन्होंने लंबी लड़ाई लड़ी है और उसका फायदा जनता को मिलेगा। इन सबके बीच समझने की कोशिश करेंगे कि यह पूरा मामला क्या है और सियासी तौर पर इस पर दोनों दल एक दूसरे के आमने सामने क्यों हैं।
दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (Delhi Electricity Regulatory Commission) ने पावर परचेज एडजस्टमेंट चार्ज (Power Purchase Adjustment Charge) को 21 दिसंबर से 20 मार्च तक कम करने का फैसला किया है। साउथ, सेंट्रल और वेस्ट दिल्ली में बिजली सप्लाई के लिए जिम्मेदार बीआरपीएल 18.19 फीसद, ट्रांस यमुना एरिया में बीवाईपीएल 13.63 फीसद और आउटर के साथ नॉर्थ दिल्ली के लिए यह चार्च 20.52 फीसद होगी। डीईआरसी ने दूसरे क्वार्टर में 8.75 फीसद की बढ़ोतरी की थी। इस मामले में बीजेपी का विरोध जारी था।
सियासी गुणा गणित के बीच पहले आप समझिए कि फायदा कैसे होगा। मान लीजिए कि आप साउथ या वेस्ट दिल्ली में रहते हैं। अगर आप 510 यूनिट बिजली की खपत करते हैं तो पहले का कैलकुलेशन ऐसे था। पहले 200 यूनिट पर 3 रुपए, अगले 200 यूनिट पर 4.50 रुपए और शेष 110 यूनिट पर 6.50 रुपए का एनर्जी शुल्क लगता था। यानी कि 510 यूनिट की खपत पर करीब 800 रुपए देने पड़ते थे। लेकिन पीपीएसी कम होने के बाद 510 यूनिट पर करीब 406 रुपए अदा करने होंगे।
दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा का कहना है कि पीपीएसी के मुद्दे पर लगातार विरोध के बाद भी बिजली कंपनियों ने चार्ज बढ़ाने के डीईआरसी में अर्जी लगाई थी। अगर आम आदमी पार्टी की सरकार को इतनी ही चिंता रही होती तो वो फैसला पहले ले सकते थे। लेकिन दिल्ली की जनता को राहत देने के लिए जो फैसला आया है वो सिर्फ हमारे विरोध का नतीजा है। सवाल यह है कि इस कवायद का फायदा किसे मिल सकता है। सियासत के जानकार कहते हैं कि इसमें दो मत नहीं कि आम आदमी पार्टी को फायदा नहीं मिला हो। लेकिन इस दफा बीजेपी आक्रामक है। बीजेपी के नेता हर उन खामियों का जिक्र कर जनता को बता रहे हैं कि किस तरह से उनकी जेब ढीली की गई है। अब समय आ गया है कि जब दिल्ली की जनता को फैसला करना है कि कौन सा दल उनकी बेहतरी के बारे में सोचता है।