यूपी में 'हाथ' दिल्ली में 'झाड़ू' पसंद, अखिलेश यादव ने क्या कोई संदेश दिया
Delhi Assembly Election 2025: इंडिया गठबंधन में सब एक साथ भी हैं और खिलाफ भी। दिल्ली में आप- कांग्रेस आमने सामने हैं। इन सबके बीच एसपी ने आप को समर्थन का फैसला किया है।
Delhi Assembly Election 2025: यह रिश्ता क्या कहलाता है. दरअसल इंडिया गठबंधन पर यह सटीक बैठता है। नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और बीजेपी (BJP) की सियासत के खिलाफ हैं। लेकिन सीटों के मुद्दे पर तनातनी, असहमति। दरअसल दिल्ली में अगले साल फरवरी में विधानसभा चुनाव होना है। यह चुनाव आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के सामने अपनी सत्ता को बचाए रखने की चुनौती है तो बीजेपी और कांग्रेस के सामने हार का सूखा खत्म करने की कोशिश। इन सबके बीच अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने दिल्ली के पूर्व सीएम और आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल के साथ मंच साझा किया और ऐलान किया कि उनकी पार्टी का समर्थन आम आदमी पार्टी को है। यानी कि कम से कम दिल्ली में अखिलेश यादव, कांग्रेस (Congress) के खिलाफ हैं। जब इंडिया गठबंधन (India Alliance) के नेताओं से इस बेमेल रिश्ते के बारे में सवाल होता है तो उनका जवाब दार्शनिक अंदाज वाला होता है। यानी कि वो कहते हैं कि वैचारिक तौर पर एका नहीं लेकिन। अब यह लेकिन शब्द ही तरह तरह के सवालों और विचारों को जन्म देता है।
सवाल यह है कि अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के समर्थन देने के पीछे हरियाणा (Haryana Election Results 2024) और महाराष्ट्र चुनाव तो नहीं। दरअसल अगर आप ध्यान से देखें तो जवाब हां में है। आपको हरियाणा चुनाव से पहले की कवायद और नतीजे याद होंगे। हरियाणा में कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी का जनाधार ना होने का हवाला देकर टिकट देने से इनकार कर दिया था। जब चुनावी नतीजों में कांग्रेस की करारी हार हुई तो यूपी विधानसभा (UP Assembly Bypolls 2024) की10 सीटों में से सात पर समाजवादी पार्टी ने अपने उम्मीदवारों का एकतरफा ऐलान कर दिया था। खास बात यह कि फूलपुर और मझवा की सीट भी शामिल थी जिस पर कांग्रेस की नजर थी। यानी जो तर्क हरियाणा में कांग्रेस (Haryana Congress) की तरफ से दिया गया था उसी तर्क का सहारा समाजवादी पार्टी ने लिया। यानी कि जवाब जैसे को तैसा। लेकिन सैद्धांतिक तौर पर समर्थन देने का राग वो मीडिया में अलापते रहे।
इसी तरह महाराष्ट्र (Maharashtra Election Results 2024) के चुनाव में भी समाजवादी पार्टी और कांग्रेस में तनातनी बनी रही। समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party)को कांग्रेस तीन सीट से अधिक देना नहीं चाहती थी। लेकिन समाजवादी पार्टी 25 सीट पर अड़ी रही। जब चुनावी नतीजे सामने आए तो महाराष्ट्र से कांग्रेस एक तरह से साफ हो गई। अब सियासत में जनआधार ही किसी पार्टी की सबसे बड़ी ताकत मानी जाती है। हरियाणा और महाराष्ट्र के नतीजों ने कांग्रेस की पोल खोल दी। क्योंकि इन दोनों सूबों के बारे में कहा जाता था कि सत्ता विरोधी लहर है और विपक्ष को फायदा मिल सकता है। यानी कि सियासत में उसी के साथ आगे बढ़ो जिसकी ताकत हो। इसके अलावा जिस जरह से कांग्रेस के नेता उत्तर प्रदेश में मुस्लिम दलित राजनीति के जरिए पैंठ बनाने की कोशिश कर रहे हैं वो समाजवादी पार्टी को असहज करने वाली है।
यूपी में कांग्रेस के सक्रिय और मजबूत होने का अर्थ है समाजवादी पार्टी का कमजोर होना। व्यवहारिक तौर पर अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की पहचान यूपी से है। अगर इस सूबे में ही समाजवादी पार्टी की सियासी जमीन दरक गई या उसके सियासी फसल को कोई और काट ले गया तो उस विरासत का क्या होगा जिसे मुलायम सिंह यादव ने अपने खून पसीने से सींचा था। लिहाजा दिल्ली में आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi party) को समर्थन देकर कांग्रेस को यह संदेश देने की कोशिश हो सकती है कि यूपी में आप हमारे पीछे चलिए। इसमें समाजवादी पार्टी और कांग्रेस (Congress) दोनों का भला होगा>
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