तारीख पर तारीख: यमुना तेरी यही कहानी, कूड़ा-कचरा और गंदा पानी
Delhi Election 2025: दिल्ली चुनाव में यमुना नदी के प्रदूषण को विपक्षियों ने बड़ा मुद्दा बनाया है। लेकिन आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल कहते हैं इससे वोट नहीं मिलता।
Yamuna River Pollution: यमुना, दिल्ली वालों के लिए सिर्फ नदी नही्ं बल्कि जीवनधारा है। लेकिन यह दम तोड़ रही है। यमुना की तस्वीर देख आप खुद ब खुद अंदाजा लगाएंगे कि ऐसी सूरत क्यों और जब बात सूरत की करेंगे तो एक शख्स का वो बयान याद आएगा जो उन्होंने 10 साल पहले दिल्ली की जनता से कही थी। उस शख्स का नाम अरविंद केजरीवाल है। अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) दिल्ली के सीएम हुआ करते थे। लेकिन मौजूदा समय में पूर्व सीएम है। वो दिल्ली सरकार का हिस्सा नहीं हैं लेकिन सरकारी घोषणाओं के ऐलान में पीछे नहीं रहते।
आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) दूसर दलों के वादों को वोट पाने की कवायद बताते हैं तो दूसरी तरफ उनके दावों को हवा हवाई कर देते हैं। उन्हें दूसरे दलों के वादों और दावों में वोट की राजनीति नजर आती है। लेकिन खुद के वादे और दावों में दिल्ली की सूरत-सीरत बदलने की कोशिश। बीजेपी-कांग्रेस (BJP) के नेता यमुना (Yamuna River Cleanliness) की तस्वीर पर सवाल करते हैं तो अरविंद केजरीवाल की तरफ से जवाब आता है कि इससे वोट नहीं मिलता। ऐसी सूरत में क्या वो उन्हीं मुद्दों की बात करेंगे जहां से वोट मिलता है।
दिल्ली में आम आदमी पार्टी पिछले 10 साल से लगातार सरकार में है। यमुना की हालत देख अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) कहा करते थे कि आखिर पिछली सरकारों ने क्या किया। पानी की तरह पैसे बहाए। लेकिन यमुना की तस्वीर नहीं बदली। लेकिन दिल्ली वालों आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। अब हम आ गए हैं, सब कुछ ठीक कर देंगे। लेकिन अगर आप दिल्ली से गाजियाबाद नोएडा की तरफ आएं तो केजरीवाल के वादों की पोल और उनके दावों की सच्चाई से रूबरू होंगे।
साल 2020 में केजरीवाल ने वादा किया कि पांच साल में यमुना नदी के पानी को पीने लायक तो नहीं आचमन के लायक बना देंगे। लेकिन इसी साल छठ के मौके पर नदी में जहरीले केमिकल ने आप के दावों की पोल खोल दी। जब इस मामले पर हल्ला मचा तो केजरीवाल ने पड़ोसी राज्यों को दोष दिया। कोविड काल को जिम्मेदार ठहरा दिया। लेकिन अपने आपको जिम्मेदार मानने से इनकार कर दिया।
- दिल्ली में 3500 मिलियन लीटर सीवेज नदी में बहाया जाता है।
- बड़े-बड़े दावों के बावजूद 50 प्रतिशत से ज्यादा सीवेज अनट्रीटेड है जो सीधे यमुना में बहता है।
- नदी में कम प्रवाह यमुना के प्रदूषण का एक और बड़ा कारण है।
- यमुना पर कई फार्महाउस और उद्योग नदी में प्रदूषक छोड़ रहे हैं।
- करीब 92 नाले हैं जो सीधे यमुना में खुलते हैं, जिनमें से 62 का इस्तेमाल नहीं किया जाता।
यमुना एक्शन प्लान का आगाज
1993 में यमुना नदी को साफ करने के लिए अभियान का आगाज हुआ। भारत और जापान की सरकारों के बीच एक द्विपक्षीय परियोजना थी। जापान ने YAP को लागू करने के लिए ऋण सहायता की पेशकश की थी। 2004 और 2008 में दो चरण (YAP II और YAP III) शुरू किए गए। यमुना नदी को साफ करने के लिए, YAP पर 1500 करोड़ रुपए और 1174 करोड़ रुपए की योजना को फिर से तैयार किया गया। केंद्र सरकार द्वारा फ्लैगशिप कार्यक्रम के रूप में स्वीकृत एक एकीकृत संरक्षण मिशन ‘नमामि गंगे कार्यक्रम’ के तहत यमुना की सफाई के लिए 460 करोड़ रुपए (US$4.6 बिलियन) दिए गए थे। लेकिन रिपोर्टों के अनुसार, यमुना की स्थिति जस की तस बनी हुई है बल्कि वास्तव में बदतर हो गई है। भारत सरकार की पर्यावरण एवं वन संबंधी संसदीय समिति ने भी माना है कि गंगा और यमुना (Yamuna Action Plan) को स्वच्छ करने का मिशन विफल हो गया है।
अब वजह और उपाय के जिक्र के साथ यह बताएंगे कि आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल जिस तरह से बीजेपी या कांग्रेस पर आरोप लगा रहे हैं उनमें कितना दम है। अगर आप वजह की बात करें तो नालों के मुद्दे पर आप सरकार ने कुछ खास नहीं किया। इसके साथ ही अगर यमुना एक्शन की प्लान करें तो साल 1993 से लेकर अब तक 31 साल बीच चुके हैं। इसमें पांच साल बीजेपी का शाासन, 15 साल कांग्रेस का शासन और करीब 11 साल आप का शासन रहा है। ऐसे में क्या आप आदमी पार्टी को कांग्रेस (Congress 15 years rule in Delhi) या बीजेपी को दोष देना चाहिए। सामान्य समझ तो यही कहेगी कि यमुना की बदहाली के लिए आप आदमी पार्टी सिर्फ दूसरों पर ठीकरा नहीं फोड़ सकती।
यही नहीं सवाल यह भी है कि यह कहां तक उचित है कि दिल्ली के लोग यमुना के दूषित पानी को पीकर बीमार पड़ें और फ्री में या अपने खर्च पर इलाज कराएं। इससे तो दोहरा नुकसान हो रहा है। एक तरफ आप दिल्ली में सफाई के नाम पर हजारों करोड़ खर्च कर रहे हैं तो दूसरी तरफ फ्री इलाज के नाम पर संसाधनों को जाया कर रहे हैं। यानी कि आम आदमी पार्टी अपनी नीति से आम आदमी को राहत कम परेशानी अधिक पैदा कर रही है। बीजेपी-कांग्रेस के नेता कहते हैं कि रेवड़ियों के जरिए राजनीति की संस्कृति दिल्ली को खोखला बना रही है और उसके लिए आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) ही पूरी तरह जिम्मेदार है।