2015-2020 वाली बात नहीं, नई दिल्ली में मुकाबला इस वजह से होगा रोचक
New Delhi Seat के लिए दो उम्मीदवारों के नाम सामने आ चुके हैं। AAP की तरफ से अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस ने संदीप दीक्षित को उतारा है। BJP ने पत्ते नहीं खोले हैं।
Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के लिए कम से कम आम आदमी पार्टी ने उम्मीदवारों के संबंध में बाजी मार ली है। सभी 70 सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम सामने आ चुके हैं। पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल की सीट को लेकर सस्पेंस खत्म हो चुका है। केजरीवाल (Arvind Kejriwal) नई दिल्ली सीट से ही एक बार फिर चुनावी मैदान में हैं। बता दें कि इस सीट ()New Delhi Assembly Seat) से कांग्रेस ने संदीप दीक्षित का नाम उम्मीदवार के तौर पर घोषित कर दिया था। बीजेपी ने हालांकि किसी नाम का ऐलान नहीं किया है। लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि पार्टी प्रवेश वर्मा को यहां से उतार सकती है। अगर ऐसा होता है तो लड़ाई बेहद दिलचस्प होगी। मुकाबला एक पूर्व सीएम और दो पूर्व सीएम के बेटों से होगा। बता दें कि संदीप दीक्षित, भूतपूर्व सीएम शीला दीक्षित (Sheila Dixit) और प्रवेश वर्मा, भूतपूर्व सीएम साहिब सिंह वर्मा (Sahib Singh Verma) के बेटे हैं।
नई दिल्ली विधानसभा (New Delhi Assembly Seat) में इंडिया गेट, मंडी हाउस, लुटियंस जोन, राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, खान मार्केट, सरोजनी नगर आते हैं। अगर बात अरविंद केजरीवाल की करें तो चौथी दफा वो यहां से किस्मत आजमां रहे हैं। तीन बार इस सीट से जीत भी दर्ज कर चुके हैं। 2013 में उन्होंने शीला दीक्षित को हरा दिया था। उस समय वो दिल्ली की सीएम थीं। यानी की सीएम के दावेदार ने पूर्व सीएम को मात दी थी। 2015 और 2020 में भी जनता ने उन्हें भारी मतों से जिता कर विधानसभा में भेजा। 2015 में 64 फीसद और 2020 में 61 फीसद मत मिले थे। अगर मत प्रतिशत तो देखें तो 2020 में थोड़ी कमी आई। लेकिन दूसरे नंबर पर रहने वाले उम्मीदवार से अंतर दो गुने का था। बीजेपी के उम्मीदवार को करीब 32 फीसद मत मिले थे। लेकिन यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि बीजेपी ने नुपुर शर्मा (Nupur Sharma) को 2015 और 2020 में सुनील यादव (BJP Candidate Sunil Yadav) को चुनावी मैदान में उतारा था। ये दोनों उम्मीदवार उनकी तुलना में कमजोर थे। लेकिन इस दफा तस्वीर अलग है।
2025 के चुनाव में कांग्रेस की तरफ से संदीप दीक्षित (Sandeep Dixit)चुनावी मैदान में हैं। ना सिर्फ शीला दीक्षित के बेटे हैं बल्कि पूर्वी दिल्ली से सांसद भी रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि 2013 में जब केजरीवाल ने कद्दावर नेता शीला दीक्षित को मात दी तो संदीप दीक्षित नहीं टिकेंगे। लेकिन जानकार कहते हैं कि 2013 (Delhi Assembly Election 2013) में माहौल अलग था। कांग्रेस के खिलाफ माहौल बन गया था। शीला दीक्षित (Sheila Dixit 15 Years Rule) खुद 15 साल तक शासन कर चुकी थीं। जनता ने बदलाव का मन बना लिया था। इस दफा केजरीवाल भले ही सीएम ना हों। लेकिन उनकी सरकार पिछले 10 साल से दिल्ली की सत्ता पर काबिज है। लिहाजा उनके सामने चुनौती अधिक है।
यही नहीं अगर बीजेपी की तरफ से प्रवेश वर्मा (Parvesh Verma) को मौका मिलता है तो उनके पास भी ना सिर्फ राजनीतिक विरासत है बल्कि वो खुद दो दफा पश्चिमी दिल्ली से सांसद भी रह चुके हैं। वो युवा है, दिल्ली की जनता पर अच्छी पकड़ है। यही नहीं नई दिल्ली संसदीय सीट (New Delhi Parliamentary Seat) पर बीजेपी का कब्जा है। उस सीट की अगुवाई बांसुरी स्वराज (Bansuri Swraj) कर रही हैं जो ना सिर्फ बेहतरीन वक्ता हैं बल्कि युवाओं से सीधा कनेक्ट भी रखती हैं। इसके साथ ही दिल्ली की सियासत पर नजर रखने वाले कहते हैं कि दरअसल कांग्रेस (Congress) का वोटबैंक ही तो आप का है। अगर संदीप दीक्षित अपने वोटबैंक को सहेजने में कामयाब हुए तो अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के लिए चुनावी मुकाबला एकतरफा नहीं रह जाएगा।