कुछ ऐसा है बाबरपुर का मिजाज, क्या गोपाल राय लगा पाएंगे हैट्रिक?
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कुछ ऐसा है बाबरपुर का मिजाज, क्या गोपाल राय लगा पाएंगे हैट्रिक?

Babarpur Assembly constituency: इस सीट पर आम आदमी पार्टी का कब्जा है। गोपाल राय इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और आप सरकार में मंत्री भी हैं।


Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों में से एक है बाबरपुर विधानसभा (Babarpur Assembly Constituency)। भौगौलिक तौर पर यह यमुना पार इलाके में है और उत्तर पूर्व दिल्ली संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है। इस सीट की गिनती वीवीआईपी सीट के तौर पर की जाती है। मौजूदा विधायक गोपाल राय दिल्ली सरकार में मंत्री हैं। यहां पर हम सीट के इतिहास के साथ साथ वोटर्स की संख्या, मतदाताओं के मिजाज और राजनीतिक समीकरण के बारे में बताएंगे।

बाबरपुर विधानसभा में ज्योति कॉलोनी, गोरख पार्क, बलबीर नगर अधिकृत कॉलोनियां हैं। इसके अलावा कबीर नगर अनधिकृत कॉलोनी होने के साथ साथ जे जे क्लस्टर भी हैं। यानी कि विधानसभा का स्वरूप मिलाजुला है। इस विधानसभा में 30-40 एज ग्रुप में वोटर्स की संख्या करीब 58 हजार है और 40 से 49 एज ग्रुप में 46 हजार वोटर्स। कुल मतदाताओं की संख्या दो लाख के करीब है, जिसमें एक लाख 10 हजार पुरुष और 90 हजार महिला हैं। अगर चुनावी नतीजों को देखें तो 2013 के चुनाव में गोपाल राय को बीजेपी उम्मीदवार नरेश गौड़ ने हरा दिया था। लेकिन 2015 और 2020 में गोपाल राय की जीत हुई। यानी कि पिछले दो बार से आम आदमी पार्टी का कब्जा है।

अगर 2015 और 2020 के चुनावी नतीजों की बात करें तो बीजेपी और आम आदमी पार्टी में सीधे टक्कर रही है। इन दोनों चुनाव के नतीजे बीजेपी के पक्ष में नहीं रहे। हालांकि 2013 में जब मुकाबला त्रिकोणीय था तो उस समय बीजेपी का उम्मीदवार जीतने में कामयाब रहा। इस सीट पर ब्राह्मण समाज जीत और हार में बड़ी भूमिका अदा करता है। इस सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की तादाद करीब 42 फीसद और 58 फीसद हिंदू वोटर्स हैं। हिंदू मतदाता में ब्राह्मण वोटर्स की संख्या 58 से 60 हजार के करीब है। अगर पिछले सात विधानसभा चुनाव के नतीजों को देखें तो चार दफा यह सीट बीजेपी के कब्जे में रही है। इस लिहाज से आप बीजेपी की परंपरागत सीट मान सकते हैं।

अगर बाबरपुर के चुनावी मुद्दों की बात करें तो सड़कों पर अवैध पार्किंग, ट्रैफिक जाम,बाबरपुर रोड और 100 फुटा रोड पर जाम की वजह से लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। लोगों का कहना है कि पिछले 25 वर्षों से विधायक किसी भी दल का रहा हो, सरकार किसी की भी रही हो सिर्फ आश्वासन मिलता रहा है। लेकिन उम्मीद के नाम पर वो नुमाइंदों को अपना मत देते हैं ताकि एक ना एक दिन हालात में सुधार हो।

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