करावल नगर में जीत की चाबी इनके हाथ, जिसने साधा उसकी हुई जीत
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करावल नगर में जीत की चाबी इनके हाथ, जिसने साधा उसकी हुई जीत

Karawal Nagar Constituency उत्तर पूर्व दिल्ली संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है। यहां पर हम सीट के इतिहास और सियासी समीकरण के बारे में बताएंगे।


Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली की 70 विधानसभाओं में करावल नगर भी आता है। इस सीट की खास बात यह है कि 1993 से 2020 कालखंड में बीजेपी को सिर्फ एक बार हार का सामना करना पड़ा है। 2013 तक बीजेपी इस सीट को लगातार जीतती आई है। हालांकि 2013 में आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के कपिल मिश्रा (Kapil Mishra ने बीजेपी उम्मीदवार को हराया था। हालांकि कपिल मिश्रा अब बीजेपी के हिस्सा हैं। बीजेपी की तरफ से मोहन सिंह बिष्ट (Mohan Singh Bisht)) ने 1998, 2003, 2008, 2013 और 2020 में जीत दर्ज की। इस विधानसभा के बारे में कहा जाता है कि जिसने उत्तरांचल और पूर्वांचल के वोटर को साध लिया उसकी जीत पक्की है। अगर 2025 की बात करें तो बीजेपी का उम्मीदवार तय नहीं है, हालांकि आम आदमी पार्टी ने मनोज त्यागी (AAP Candidate Manoj Tyagi) और कांग्रेस ने डॉ पी के मिश्रा (Congress Candidate Dr P K Mishra) को चुनावी समर में उतारा है।

2020 के चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या करी 298000 थी जिसमें 165000 पुरुष और 13300 के करीब महिला मतदाता थीं। अगर भौगोलिक तौर पर देखें तो इस विधानसभा का ज्यादातर हिस्सा यूपी से और पश्चिमी हिस्सा यमुना खादर का है। इस विधानसभा में सादतपुर, सभापुर, चौहारन बांगर जैसे इलाकों के साथ साथ अवैध कॉलोनियां भी है। सोनिया विहार, अणुव्रत विहार, मुकुंद विहार, तुकमीरपुर एक्सटेंशन, दयालपुर एक्सटेंशन और श्रीराम कॉलोनी बड़ी बसावट है।

करावल नगर विधानसभा (Karawal Nagar Assembly) के बारे में कहा जाता है कि जीत का मूल मंत्र उत्तरांचल और यूपी को साधने में छिपा हुआ है। सियासी जानकार भी कहते हैं कि यहां के लोगों की समस्या पिछले 31 साल से सड़क सफाई और साफ पानी है, जैसे जैसे थोड़ा बहुत विकास हुआ तो लोगों के सामने ट्रैफिक जाम की परेशानी आने लगी। सियासी दल चुनावी मौके पर सूरत और सीरत बदलने की बात जरूर करते हैं। लेकिन हकीकत किसी से छिपी नहीं है। जन प्रतिधियों से बात करने पर वो अपनी पार्टी की सरकार ना होने का रोना रोते हैं। मसलन अगर 1993 से 2020 की तस्वीर देखें तो 2015 में पहला ऐसा मौका था कि विधायक और सरकार दोनों ही एक पार्टी से थे। लेकिन 2015 के तत्कालीन विधायक का अपनी पार्टी यानी आप से नाता लंबे समय तक नहीं चला। 2020 में भी विधायक बीजेपी (BJP MLA Mohan Bisht) के चुने गए। लेकिन सरकार आप की बनी। कांग्रेस के 15 साल के शासन के दौरान विधायक बीजेपी का रहा।

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