कुछ ऐसा है शकूर बस्ती का चुनावी इतिहास, क्या सत्येंद्र जैन को मिलेगी जीत
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कुछ ऐसा है शकूर बस्ती का चुनावी इतिहास, क्या सत्येंद्र जैन को मिलेगी जीत

Shakur Basti विधानसभा को क्या सत्येंद्र जैन फिर फतह कर पाएंगे। इससे पहले हम आपको इस विधानसभा से जुड़ी छोटी बड़ी बातों को बताएंगे।


Shakur Basti Assembly Seat: आम आदमी पार्टी के नेता सत्येंद्र जैन आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में शकूर बस्ती से चुनाव लड़ेंगे। Aam Aadmi Party ने फरवरी में होने वाले चुनावों के लिए 38 उम्मीदवारों की अपनी चौथी और अंतिम सूची के हिस्से के रूप में जैन की उम्मीदवारी की घोषणा की। क्या जैन इस दफा चुनावी बैतरणी को पार कर पाएंगे। सत्येंद्र जैन 2013 से इस सीट पर जीत दर्ज करते रहे हैं। वो आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल के करीबी भी हुआ करते थे। लेकिन मनी लॉन्ड्रिंग जैसे मामलों में उन्हें तिहाड़ जेल जाना पड़ा। हालांकि इस समय वो जमानत पर जेल से बाहर हैं। इन सबके बीच हम शकूर बस्ती विधानसभा के चुनावी इतिहास को समझने की कोशिश करेंगे।

दिल्ली की 70 विधानसभाओं (Delhi Assembly Election 2025) में से एक है शकूरबस्ती। यह विधानसभा चांदनी चौक लोकसभा (Chandni Chowk Lok Sabha Seat) का हिस्सा है और इसमें एमसीडी के तीन बड़े वॉर्ड सरस्वती विहार, पश्चिम विहार और रानी बाग आते हैं। यह विधानसभा भी मिक्स्ड वोटर्स की है यानी कि सभी जाति समाज के वोटर्स यहां रहते हैं। झुग्गी झोपड़ी (Shakur Bast JJ Clusters) में रहने वालों की तादाद भी कम नहीं है। इसके साथ ही ज्वालाहेड़ी गांव, पीरागढ़ी की अनधिकृत कॉलोनियां भी इस विधानसभा के दायरे में आती हैं।

शकूरबस्ती विधानसभा (Shakur Bast Assembly) में सरस्वती विहार, पीतमपुरा, पीरागढ़ी कैंप, रानी बाग, ऋषि नगर अवंतिका बड़ी रिहायश वाली कॉलोनी हैं। कुल वोटर्स की संख्या करीब 151684 हजार है जिसमें करीब 77 हजार पुरुष और 73 हजार महिला मतदाता हैं। अगर एज ग्रुप की बात करें तो 30-39 समूह में करीब 32 हजार वोटर्स हैं, वहीं 40-49 में करीब 31 हजार वोटर हैं। अगर 2013 से चुनावी नतीजों की बात करें तो आप का कब्जा रहा है। आप के सत्येंद्र जैन को 2013, 2015 और 2020 में जीत मिली थी।

किस समाज के कितने वोटर्स

  • वैश्य- 13 फीसद
  • पंजाबी- 14 से 15 फीसद
  • पूर्वांचली- करीब 14 से 15 फीसद
  • एससी समाज के वोट की संख्या सबसे अधिक
  • एससी समाज करीब 22-23 फीसद
  • मुस्लिम, जाट और गुर्जर की संख्या करीब 5-6 फीसद
  • पिछले तीन चुनावों में पूर्वांचली मतदाताओं का जोर चला है।

32 साल पहले बनी थी सीट

1993 में पहली बार इस विधानसभा का गठन हुआ था और कब्जा बीजेपी का रहा। 1998-2003 में कांग्रेस ने यह सीट बीजेपी से छीन ली। लेकिन 2008 में बीजेपी के श्याम लाल गर्ग (Shyam Lal Garg BJP Candidate) को जीत का झंडा गाड़ने में कामयाब हुए। लेकिन 2103 के बाद से तस्वीर पूरी तरह बदली। आम आदमी पार्टी के सत्येंद्र जैन (Satyendra Jain) ने यह सीट बीजेपी से छिनी और अपना कब्जा बनाए रखा। अगर राजनीतिक मिजाज की बात करें तो वैश्य, पंजाबी और पूर्वांचली वोटर्स की अच्छी खासी संख्या है जो नतीजों को प्रभावित करते हैं।

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