क्या है 29 सीटों की उलझी गणित, AAP, कांग्रेस- BJP के लिए लिए बनी चुनौती
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क्या है 29 सीटों की उलझी गणित, AAP, कांग्रेस- BJP के लिए लिए बनी चुनौती

Delhi Election 2025 के लिए एक एक सीट पर बीजेपी, आप और कांग्रेस सियासी समीकरण साधने में जुटे हैं। लेकिन 70 में से 29 सीटें तीनों दलों को परेशान करती रही हैं।


Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली की गद्दी पर वही दल काबिज होगा जिसके खाते में 36 सीटें होंगी। 36 सीट इस वजह से क्योंकि दिल्ली विधानसभा में कुल 70 सीटें हैं और संवैधानिक व्यवस्था के तहत आधे से एक सीट अधिक होना चाहिए। अगर 2015 और 2020 के नतीजों को देखें तो आप के खाते में 67 और 62 सीटें थीं। यानी कि 36 के जादुई आंकड़े से उनकी संख्या बहुत अधिक थी। लेकिन दिल्ली की 29 सीटें ऐसी हैं जो आम पार्टी, कांग्रेस और बीजेपी तीनों के लिए चुनौती पेश करती रही हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि ये 29 सीटें किसी भी दल को सत्ता तक पहुंचने में मदद और हार दोनों वजह बन सकती हैं।

29 सीटों की दिलचस्प कहानी
अब इन 29 सीटों पर फतह के लिए तीनों दलों (Delhi Election 2025) ने कमर कस ली है। चाहे उम्मीदवारों का चयन हो या इलाके के हिसाब से वादे हों किसी तरह की कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही है। इन 29 सीटों पर कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है, 17 सीटों पर खाता तक नहीं खोल सकी। अगर बात बीजेपी की करें तो 12 सीट पर कमल नहीं खिल सका। यानी बीजेपी जीत से दूर रह गई है। अब इन 29 सीटों पर फतह के लिए तीनों दलों ने कमर कस ली है। चाहे उम्मीदवारों का चयन हो या इलाके के हिसाब से वादे हों किसी तरह की कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही है।

इन 29 सीटों पर कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है, 17 सीटों पर खाता तक नहीं खोल सकी। अगर बात बीजेपी की करें तो 12 सीट पर कमल नहीं खिल सका। यानी बीजेपी (BJP) जीत से दूर रह गई है। वहीं बीजेपी एक सीट नहीं जीत पाई थी.मटिया महल एक ऐसी सीट है जिसे बीजेपी और कांग्रेस को जीत नहीं मिली है। इस सीट पर आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) को दो बार जीत मिली है।मटिया महल से 6 दफा विधायक रहे शोएब इकबाल बार अलग अलग दलों और एक दफा आप के टिकट पर विजयी रहे हैं। इकबाल ने एक दफा कांग्रेस के टिकट पर किस्मत आजमायी थी। लेकिन वो हार गए थे। इसी तरह बदरपुर सीट पर रामवीर सिंह विधुड़ी और राम सिंह ने जीत दर्ज की। लेकिन कांग्रेस के टिकट पर हास का सामना करना पड़ा। ये दोनों दूसरे दल या निर्दलीय चुनाव जीतने में कामयाब रहे।

इन सीटों पर कांग्रेस का खराब प्रदर्शन
अगर कांग्रेस की बात करें तो दिल्ली में इस दल को तीन बार सरकार बनाने का मौका मिला। लेकिन किराड़ी, बुराड़ी, रिठाला, मुंडका, शालीमार बाग, मटिया महल, मोती नगर, संगम विहार, हरि नगर, कृष्णा नगर, बदरपुर, बिजवासन, जनकपुरी, ग्रेटर कैलाश, गोकलपुर और करावाल नगर जैसी सीटों पर जीत नहीं दर्ज कर सकी।

यहां बीजेपी खाली रही
वहीं बीजेपी (BJP) का दिल्ली में संगठन का ढांचा मजबूत है। लेकिन सुल्तानपुर माजरा, बल्लीमारान, विकासपुरी, नई दिल्ली, जंगपुरा, देवली, अंबेडकर नगर, कोंडली, सीलमपुर, ओखला, मटिया महल, मंगोलपुरी जैसी 12 सीटों पर जीत नहीं दर्ज कर सकी। यदि आप 2025 चुनाव की बात करें तो नई दिल्ली और जंगपुरा सीट चिंता की विषय बनी हुई है। नई दिल्ली सीट से अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal New Delhi Seat) के खिलाफ प्रवेश वर्मा और जंगपुरा सीट से डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia Jang Pura Seat) के खिलाफ बीजेपी में तरविंदर सिंह मारवाह को उतारा है। तरविंदर सिंह पहले कांग्रेस पार्टी के हिस्सा थे।

आप नहीं जीत सकी विश्वासनगर

अगर आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) की बात करें तो भले ही इस दल ने 2013, 2015 और 2020 में बेहतर प्रदर्शन किया हो। विश्वास नगर सीट पर जीत नहीं दर्ज कर सकी। इस सीट पर अभी तक खाता तक नहीं खुला है। यह सीट बीजेपी का गढ़ है और कांग्रेस-आप दोनों के लिए चुनौती बनी हुई है।
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