
मध्यम वर्ग- मुस्लिम वोटर्स BJP की जीत के लिए अहम क्यों, जानें- समीकरण
Delhi Election 2025: दिल्ली की सभी 70 सीटों पर 5 फरवरी को मत डाले जाएंगे। इस दफा 1.5 करोड़ मतदाता 699 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करने वाले हैं।
Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली चुनाव के लिए लाउडस्पीकर का शोर थम चुका है। राजनीतिक दल साइलेंस पीरियड में अब घर घर जाकर वोटर्स को समझाने में जुटे हैं कि उनके भविष्य के लिए वो क्यों बेहतर हैं। 3 फरवरी को चुनावी प्रचार थमने से पहले आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि 55 सीट जीत रहे हैं। इसके साथ यह भी कहा कि अगर मिडिल क्लास और महिलाओं ने थोड़ा और धक्का दिया तो 60 सीटें जीते जाएंगे। अब उनके इस दावे की कई तरह से व्याख्या हो रही है, हालांकि एक व्याख्या जिस पर करीब करीब सभी लोग सहमत हैं कि आम आदमी पार्टी के लिए 60 से अधिक सीट पाना आसान नहीं है। लेकिन यहां पर हम बात करेंगे कि बीजेपी की जीत में मिडिल क्लास और मुस्लिम वोटर्स क्यों महत्वपूर्ण है।
मुस्लिम वोटर्स बंटे तो..
दिल्ली में मुस्लिम वोटर्स की संख्या 13 फीसद के करीब है। मध्य वर्ग करीब करीब सभी 70 विधानसभाओं में बराबर बिखरा हुआ है वहीं मुस्लिम मतदाताओं की आबादी आठ विधानसभाओं में निर्णायक भूमिका में हैं। अगर बात मुस्लिम मतदाताओं की करें तो इस वर्ग की इतिहास बीजेपी के खिलाफ टैक्टिकल वोटिंग का रहा है। यानी कि जो दल बीजेपी को हराने की क्षमता रखता है उसके साथ यह वर्ग जाता है।
अगर 2015 और 20120 के दिल्ली चुनाव के नतीजों को देखें तो आम आदमी पार्टी के साथ मुस्लिम वर्ग एकतरफा गया और उसका असर कांग्रेस के प्रदर्शन पर पड़ा। लेकिन दिल्ली नगर निगम के चुनाव में तस्वीर बदली। नगर निगम के चुनाव में मुस्लिम बहुल वार्ड में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहा और उसकी वजह से कांग्रेस पार्टी इस चुनाव में दमखम के साथ उन सीटों पर अधिक ध्यान दे रही है जहां मुस्लिम आबादी है। जानकार इलसे बीजेपी के पक्ष में इसलिए बेहतर बता रहे हैं क्योंकि अगर मुस्लिम मतों में बिखराव होता है तो आप और कांग्रेस के जीतने की संभावना नगण्य होगी।
अगर मिडिल क्लास सधा...
दिल्ली में मिडिल क्लास वोटर्स की संख्या 60 फीसद से अधिक है यदि इस क्लास की बात करें तो यह बीजेपी का वोटबैंक हुआ करता था। लेकिन 2015 और 2020 के नतीजों से साफ है कि आम आदमी पार्टी इस वोटबैंक में सेंध लगाने में कामयाब रही। यदि आप 2013, 2015 और 2020 के चुनावी नतीजों को देखें तो बीजेपी का वोट शेयर 32 फीसद से 38 फीसद के बीच रहा है। लेकिन 2015 और 2020 में आप का वोट शेयर 50 फीसद से ऊपर है।
ऐसा माना जाता है कि आप ने सबसे अधिक सेंधमारी कांग्रेस के वोटबैंक में की थी और उसके बाद बीजेपी का नंबर रहा है, खासतौर से बीजेपी के मध्यमवर्ग के वोटर ज्यादा प्रभावित हुए। उसके पीछे महंगाई को लेकर मिडिल क्लास में नाराजगी के साथ इनकम टैक्स के मुद्दे पर नौकरीपेशा वर्ग में असंतोष। लेकिन जिस तरह से बजट 2025 में आयकर के मुद्दे सुलझाने की कोशिश की गई है वो बीजेपी के लिए फायदा दे सकती है।
जानकार कहते हैं कि इन दो एम यानी मिडिल क्लास और मुस्लिम वोटर्स में अगर पहला एम बीजेपी के साथ आता है और दूसरे एम में बिखराव होता है तो बीजेपी 27 साल के हार के सूखे को खत्म कर सकती है।