
CAG रिपोर्ट पेश करने में चलता रहा लुका छिपी का खेल, सामने नहीं आ पाया ‘आप’ के खर्चों का सच
क्या आप संयोजक अरविंद केजरीवाल सिर्फ जबान से ईमानदार हैं। यह सवाल इस वजह से है कि आखिर विपक्ष की मांग और LG के कहने के बाद CAG रिपोर्ट विधानसभा में क्यों नहीं पेश की गई।
CAG Report Delhi Assembly: भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) सरकारी खर्चों की जांच करके वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनावों के संदर्भ में, सीएजी रिपोर्ट्स को लेकर राजनीतिक बहस तेज हो गई है, क्योंकि इन रिपोर्टों के निष्कर्ष चुनावी माहौल और मतदाताओं की धारणा को प्रभावित कर सकते हैं।
आप के संयोजक, दिल्ली के पूर्व सीएम रहे अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) खुद को कट्टर ईमानदार कहते हैं। उन्हें दूसरे दल और उनके नेता कट्टर भ्रष्ट नजर आते हैं। लेकिन यहीं से कुछ सवाल भी उठ खड़े होते हैं। मसलन अगर कोई शख्स ईमानदार हो तो उसे छिपाने की क्या जरूरत है। बात यहां उस रिपोर्ट की करेंगे जो किसी सरकार के वित्तीय कामकाज की झलक पेश करती है। वो रिपोर्ट जो सरकारी खर्च के एक एक पाई का हिसाब रखती है, जेस महानियंत्रक लेखा परीक्षक की रिपोर्ट यानी कैग रिपोर्ट (CAG Report) कहते हैं।
कैग रिपोर्ट के मुद्दे पर दिल्ली में विपक्ष हमलावर था और आज भी है। खुद दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर वी के सक्सेना (Delhi LG VK Saxena) आम आदमी पार्टी की सरकार से कहते कहते थक गए कि दिल्ली विधानसभा में रिपोर्ट रखने में क्या परेशानी है। आप की सरकार तमाम पैंतरों का इस्तेमाल कर रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर रखने से मुकरती रही।
ऐसे में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता (Leader of Opposition Vijender Gupta) को दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) का दरवाजा खटखटाना पड़ा लेकिन सरकार की कान पर जूं नहीं रेंगी। सवाल यह है कि उस रिपोर्ट को पेश करने से क्या आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल बेनकाब होते। इस सवाल का जवाब कुछ यूं है। दरअसल जिस वित्तीय वर्ष की रिपोर्ट विधानसभा में पेश की जानी है उस समय दिल्ली की कमान अरविंद केजरीवाल के हाथ में थी।
लेकिन पहले उन रिपोर्ट के बारे में बताएंगे जिसे विधानसभा में पेश किए जाने के लिए एलजी वी के सक्सेना बार बार कह रहे थे। एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली सरकार से संबंधित जो रिपोर्टें विधानसभा में नहीं रखी गईं।
- मार्च 2021 को समाप्त वर्ष के लिए राज्य वित्त लेखा परीक्षा रिपोर्ट
- 31 मार्च 2020 और 2021 को समाप्त वर्षों के लिए राजस्व, आर्थिक, सामाजिक और सामान्य क्षेत्र और सार्वजनिक उपक्रम
- 31 मार्च 2021 को समाप्त वर्ष के लिए दिल्ली में वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण की रोकथाम और शमन का निष्पादन लेखा परीक्षा
- 31 मार्च 2021 को समाप्त वर्ष के लिए देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों का निष्पादन लेखा परीक्षा
- मार्च 2022 को समाप्त वर्ष के लिए राज्य वित्त लेखा परीक्षा रिपोर्ट
- दिल्ली में शराब की आपूर्ति पर निष्पादन लेखा परीक्षा
- मार्च 2023 दिल्ली परिवहन निगम का कामकाज
- सार्वजनिक स्वास्थ्य अवसंरचना और स्वास्थ्य सेवाओं के प्रबंधन पर लेखा परीक्षा
- दिल्ली परिवहन निगम के कामकाज पर भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की निष्पादन लेखा परीक्षा रिपोर्ट
- भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की 31 मार्च 2022 के लिए निष्पादन लेखा परीक्षा रिपोर्ट।
दिसंबर 2024 में एलजी ने फिर दिलाई याद
दिसंबर 2024 में दिल्ली के उपराज्यपाल ने विधानसभा में सीएजी रिपोर्ट पेश करने में नाकाम रहने पर सीएम आतिशी की आलोचना की थी। उपराज्यपाल वीके सक्सेना (LG VK Saxena) ने दिल्ली सरकार द्वारा कैग रिपोर्ट (CAG) रिपोर्ट पेश करने में विफलता पर चिंता व्यक्त की और विधानसभा से 19-20 दिसंबर को एक विशेष सत्र बुलाने का अनुरोध किया था। सीएम आतिशी को लिखे पत्र में, सक्सेना ने विधायिका के समक्ष वैधानिक लेखा परीक्षा रिपोर्ट पेश करने के सरकार के संवैधानिक कर्तव्य पर जोर दिया। उन्हें याद दिलाया कि ये रिपोर्ट सरकारी कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
दिसंबर 2024 से करीब 11 महीने पहले एजी वी के सक्सेना ने फरवरी के महीने में दिल्ली के सीएम रहे अरविंद केजरीवाल को चिट्ठी लिख कर कैग की पांच महत्वपूर्ण रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर रखने के लिए कहा था।
एलजी वी के सक्सेना कहते हैं कि लगातार याद दिलाने के बावजूद CAG रिपोर्ट दो साल तक यानी 2022-2024 रोक कर रखी गई थी। उन्होंने इन रिपोर्टों को पेश करने में सरकार की विफलता नहीं बल्कि जानबूझकर की गई चूक है।
फरवरी 2025 में मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने के साथ, सक्सेना ने आतिशी से अध्यक्ष से परामर्श करने और CAG रिपोर्ट पेश करने के लिए एक विशेष सत्र बुलाने का आग्रह किया था।
पहले भी रिपोर्ट पेश करने में आनाकानी
दिल्ली विधानसभा में कैग रिपोर्ट पेश करने को लेकर आनाकानी का यह पहला मामला नहीं है। 2017-18 से लेकर 2020-2021 की अवधि में भी कैग रिपोर्ट पेश करने के मुद्दे पर हंगामा हुआ। सबसे पहले यह जानिए कि वो कौन सी रिपोर्ट थीं।
- 31 मार्च, 2018 को समाप्त वर्ष के लिए सामाजिक, सामान्य और आर्थिक क्षेत्रों (गैर-सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम) पर।
- 31 मार्च, 2019 को समाप्त वर्ष के लिए राज्य वित्त लेखा परीक्षा रिपोर्ट।
- 31 मार्च, 2019 को समाप्त वर्ष के लिए राजस्व, आर्थिक, सामाजिक और सामान्य क्षेत्रों और सार्वजनिक उपक्रमों पर।
- 31 मार्च, 2020 को समाप्त वर्ष के लिए राज्य वित्त लेखा परीक्षा रिपोर्ट।
विपक्ष के दबाव और एलजी दफ्तर के कहे जाने के बाद पांच जुलाई 2022 को रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर रखी गई लेकिन उस पर बहस से आप की सरकार बचती रही। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आप सरकार उसके संयोजक अरविंद केजरीवाल की बातें सिर्फ दिखावे के लिए है। क्या वो 2010 से भ्रष्टाचार की संस्कृति के खिलाफ अपने आपको सबसे बड़ा लड़ाका करार देते थे वो सब झूठ था। क्या उन्होंने पब्लिक की भावना के साथ खेला। सवाल बार बार यही उठता है कि आप की सरकार कैग रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर पेश करने से क्यों बच रही है।
क्या कोई शख्स खुद को ईमानदारी का तमगा देगा। ऐसे में अगर दूसरे राजनीतिक दलों के नेता खुद को ईमानदार कहते हैं तो उनमें आप के नेताओं को खामी क्यों नजर आनी चाहिए। अगर कैग रिपोर्ट किसी सरकार की पारदर्शिता और जवाबदेही की पहचान है तो उसे सियासी सवालों के घेरे में खड़ा करना कहां तक उचित है। आप के नेता उसी कैग की रिपोर्ट के आधार पर कांग्रेस के बड़े नेताओं की घेराबंदी किया करते थे। लेकिन अब जब खुद वो सवालों के घेरे में हैं तो कैग रिपोर्ट को विपक्षी दल यानी बीजेपी की साजिश करार दे बचते नजर आ रहे हैं।
सीएजी रिपोर्ट को पेश करने की प्रक्रिया
संविधान के अनुसार, सीएजी रिपोर्ट को पेश करने की प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों में पूरी होती है। पहले ऑडिट पूरा किया जाता है, सीएजी विभिन्न सरकारी विभागों की ऑडिट करता है और वित्तीय गतिविधियों की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करता है। रिपोर्ट तैयार होने के बाद, सीएजी इसे संबंधित राज्य सरकार को सौंपता है। फिर रिपोर्ट को विधानसभा में पेश किया जाता है। राज्य सरकार संवैधानिक रूप से बाध्य होती है कि वह इन रिपोर्टों को विधानसभा में पेश करे ताकि जनप्रतिनिधि इनका मूल्यांकन कर सकें।
लोक लेखा समिति (PAC) द्वारा जांच रिपोर्ट पेश होने के बाद इसे लोक लेखा समिति (PAC) के पास भेजा जाता है, जो निष्कर्षों की समीक्षा करती है और संबंधित सरकारी अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांग सकती है या सुधारात्मक कदम उठाने की सिफारिश कर सकती है।
संविधान के अनुच्छेद 151 के अनुसार, केंद्र और राज्य सरकारों को सीएजी रिपोर्ट को विधानसभा या संसद में प्रस्तुत करना अनिवार्य है। संविधान के अनुच्छेद 151(1) में कहा गया है कि संघ के लेखाओं से संबंधित CAG की रिपोर्टें राष्ट्रपति को प्रस्तुत की जाएंगी, जो उन्हें संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवाएंगे। इसी तरह अनुच्छेद 151(2) के अनुसार, किसी राज्य के लेखाओं से संबंधित CAG की रिपोर्टें उस राज्य के राज्यपाल को प्रस्तुत की जाएंगी, जो उन्हें राज्य के विधानमंडल के समक्ष रखवाएंगे।