आप के तारे जमीं पर, दिल्ली की जनता ने रेवड़ी को नकार दिया
x

'आप' के 'तारे जमीं पर', दिल्ली की जनता ने रेवड़ी को नकार दिया

2025 का चुनाव आम आदमी पार्टी के बड़े नेताओं के लिए वाटरलू साबित हुआ है। आप के संस्थापक और पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल चुनाव हार चुके हैं, वहीं मनीष सिसोदिया को भी हार का सामना करना पड़ा है।


Delhi Election Result 2025: दिल्ली में 27 साल बाद बीजेपी हार का सूखा खत्म करने में कामयाब होती नजर आ रही है। रुझानों में बीजेपी को स्पष्ट बहुमत हासिल हो चुका है। लेकिन उससे बड़ा नतीजा यह रहा कि आप के संस्थापक पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल चुनाव हार चुके हैं। वहीं दूसरे संस्थापक सदस्य और दिल्ली सरकार में डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) जंगपुरा सीट हार गए हैं। राजेंद्र नगर से दुर्गेश पाठक चुनाव हार चुके हैं। सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि 2015, 2020 में कमाल करने वाली आम आदमी पार्टी ने खुद पर झाड़ू चला दिया है।

आप को जनता ने नकारा

क्या अरविंद केजरीवाल और उनके नेताओं के बड़बोलेपन को नकार दिया है। क्या बीजेरी की रेवड़ी ज्यादा पसंद आई या दिल्ली की जनता ने रेवड़ी के साथ साथ विकास पर मुहर लगाई। इस सवाल के जवाब को द फेडरल देश की टीम ने डिकोड करने की कोशिश की। द फेडरल देश की टीम ने चुनाव प्रचार के कैंपेन में करीब करीब सभी विधानसभाओं का दौरा किया था। लोगों से दिल्ली चुनाव के मद्देनजर दो सवाल पूछे जाते थे कि किसकी रेवड़ी कितनी मीठी। क्या दिल्ली का विकास बाधित हो गया। इस सवाल के जवाब में मिली जुली प्रतिक्रिया मिलती थी। मसलन लो इनकम ग्रुप से जुड़े लोगों को आप की रेवड़ी पसंद आ रही थी। लेकिन बीजेपी का वादा कि फ्री वाली योजनाएं जारी रहेंगी। इसके साथ ही हम कुछ और सुविधा देने वाले हैं। लेकिन सामान्य तौर पर धारणा यही थी कि दिल्ली के विकास पर असर पड़ा।

रेवड़ी पर विकास भारी

दिल्ली के लोगों का कहना था कि आप सड़क का हाल देखिए। यमुना का हाल देखिए। सीवर देखिए, ड्रेन देखिए। सवाल यह है कि क्या फ्री के नाम पर इस तरह की नारकीय व्यवस्था में रहा जा सकता है। पिछले 10 सालों में कोई काम नहीं हुआ। यहां बता दें कि मध्य इनकम ग्रुप में लोगों को विकास की दरकार थी। इसके साथ ही लो इनकम ग्रुप जिसे सीधे लाभ मिला था उसमें भी कहीं ना कहीं उसे भी विकास की टीस दिखाई दे रही थी।

दिल्ली के चुनावी रुझान पर जानकार कहते हैं कि इस दफा आम आदमी पार्टी के खिलाफ माहौल बनने लगा था। अगर आप चुनावी जीत और हार को देखिए तो इसमें आरोपों- प्रत्यारोपों के साथ साथ सांगठनिक कौशल का भी प्रदर्शन होता है। इसके साथ ही सबसे बड़ी बात यह है कि अरविंद केजरीवाल जिस उच्चतम आदर्श वाली राजनीति की बात किया करते थे उससे ठीक अलग उनका व्यवहार नजर आया।

Read More
Next Story