पिछले 3 चुनाव से AAP के कब्जे में सीट, फिर भी विकास की बाट जोहता संगम विहार
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पिछले 3 चुनाव से AAP के कब्जे में सीट, फिर भी विकास की बाट जोहता संगम विहार

Delhi election: द फेडरल राजधानी के अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों से रूबरू करा रहा है. इसी कड़ी में आज संगम विहार विधानसभा सीट को जानने की कोशिश करते हैं.


Sangam Vihar Assembly Constituency: दिल्ली विधानसभा चुनाव का आगाज होते ही राजनीतिक पार्टियां राजनीतिक लड़ाई के लिए तैयार हो चुकी हैं. फिर चाहे वह आम आदमी पार्टी (AAP) हो या फिर बीजेपी (BJP) और कांग्रेस, सबका एक ही मकसद है, दिल्ली की सत्ता पर काबिज होना. पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों की सूची लगातार जारी करनी शुरू कर दी है. 70 विधानसभा सीटों के लिए दिल्ली में 5 फरवरी वोट डाले जाने हैं. ऐसे में द फेडरल आपको राजधानी के अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों से रूबरू करा रहा है. इसी कड़ी में आज संगम विहार विधानसभा सीट (Sangam Vihar) को जानने की कोशिश करते हैं.

संगम विहार (Sangam Vihar) का नाम जेहन में आते ही टूटी सड़कें, पीने के पानी को तरसते लोग, गंदगी का अंबार जेहन में आने लगता है. घनी आबादी वाला यह इलाका पिछले कई सालों से विकास की बाट जोह रहा है. हालांकि, अनधिकृत कॉलोनी होने के चलते यहां पर विकास कार्यों को गति देना आसान नहीं है. हालांकि, फिर भी उम्मीदवार चुनाव के समय ऐसे वायदे कर जाते हैं, जिनको वह पूरा नहीं कर पाते. संगम विहार (Sangam Vihar) सीट साल 2008 में अस्तित्व में आई थी. इस पर पिछले तीन बार से आप का कब्जा है.

संगम विहार (Sangam Vihar) विधानसभा क्षेत्र में विकास का हमेशा से ही अभाव रहा है. यह इलाका काफी बड़ा है और कई ब्लॉक में बंटा हुआ है. इसके अलावा इस सीट के अंतर्गत हमदर्द नगर, तुग़लकाबाद एक्सटेंशन जैसे इलाके भी आते हैं. यहां रजिस्टर्ड वोटरों की कुल तादाद 2,05,972 हैं. इनमें से पुरुषों की संख्या 1,16,877 है. जबकि, 89,079 महिला मतदाता यहां पंजीकृत हैं.

स्थानीय मुद्दे

संगम विहार (Sangam Vihar) में लोग पानी खरीद कर पीने के लिए मजबूर हैं. यहां टैंकर माफिया बड़ी परेशानी हैं. कई लोगों का कहना है कि उन्हें हफ्ते में दो ही दिन पानी मिलता है. दूसरा यहां कई इलाकों में सीवेज सिस्टम खस्ता हाल है. सड़कों पर गंदा पानी बहते रहता है. वहीं, कई सड़क जगह-जगह टूटी हुई हैं. जल भराव और टूटी सड़कों की वजह से यहां आए दिन ट्रैफिक जाम लगे रहता है. यहां के कई कोने तो कूड़े दान में तब्दील हो चुके हैं.

किस पार्टी की पकड़ मजबूत

साल 2008 में बनी इस सीट में पहली बार बीजेपी (BJP) का कब्जा रहा. उस समय बीजेपी(BJP) के शिवचरण लाल गुप्ता ने कांग्रेस के आमोद कंठ को हराया था. वहीं, साल 2013 से इस सीट पर आप (AAP) कब्जा रहा. साल 2013 में आप (AAP) नेता दिनेश मोहनिया ने शिवचरण लाल गुप्ता को हराया. वहीं, साल 2015 में दिनेश मोहनिया 60.595 प्रतिशत के अंतर से शिवचरण लाल गुप्ता को मात दी. वहीं, साल 2020 में भी लगातार तीसरी बार दिनेश मोहनिया इस सीट पर कब्जा जमाने में कामयाब रहे.

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