कालका जी सीट : मुख्यमंत्री आतिशी के सामने कांग्रेस ने अलका लाम्बा को उतारा मैदान में
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कालका जी सीट : मुख्यमंत्री आतिशी के सामने कांग्रेस ने अलका लाम्बा को उतारा मैदान में

कांग्रेस ने कालका जी सीट से अलका लाम्बा को उम्मीदवार बनाया है, वहीँ आप की तरफ से मुख्यमंत्री आतिशी उम्मीदवार है। अलका लाम्बा को दिल्ली की राजनीती का काफी अनुभव है।


Kalka Jee Assembly Seat : दिल्ली विधानसभा चुनाव में कालकाजी सीट पर मुकाबला अब दिलचस्प हो चला है। वजह है कांग्रेस की ओर से अलका लांबा को इस सीट से उम्मीदवार बनाना। यानी अब इस सीट पर अलका लाम्बा का मुकाबला दिल्ली की मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी आतिशी से होगा। मामला दिलचस्प इसलिए माना जा रहा है कि अलका लांबा को न केवल दिल्ली की राजनीती का लम्बा अनुभव है बल्कि वो 2015 में चांदनी चौक सीट से आप की विधायक भी रह चुकी हैं। आप से पहले वो कांग्रेस में थीं और आप छोड़ कर वापस कांग्रेस में लौट गयी।


राजनीतिक सफर
अलका लाम्बा का राजनितिक सफर छात्र रहते हुए ही शुरू हो गया था। अलका लांबा ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्र राजनीति से की। वो दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। उस समय वो कांग्रेस की छात्र इकाई NSUI की सदस्य थीं।

कांग्रेस से शुरुआत: उन्होंने 2002 में अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की महासचिव के रूप में कार्य किया और 2006 में राष्ट्रिय कांग्रेस में शामिल हुईं।

आम आदमी पार्टी: 2013 में कांग्रेस छोड़कर आप में शामिल हुईं और 2015 में चांदनी चौक से विधायक बनीं।

कांग्रेस में वापसी: 2019 में आप छोड़कर कांग्रेस में वापस लौट आईं और 2020 में चांदनी चौक सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन हार गईं। आप छोड़ने के पीछे का कारण सम्मान न मिलना बताया गया।

व्यक्तिगत परिचय
अलका लांबा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से विज्ञान और शिक्षा में उच्च डिग्रियां हासिल की हैं। उनकी स्कूली शिक्षा दिल्ली के गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल से हुई।

राजनीतिक चुनौतियां
अलका लांबा के लिए कालकाजी सीट पर चुनाव लड़ना एक बड़ी चुनौती होगी क्योंकि आम आदमी पार्टी की आतिशी पहले से मजबूत स्थिति में हैं। इसके साथ ही कांग्रेस की स्थिति दिल्ली में अपेक्षाकृत कमजोर रही है। हालांकि, अलका लांबा का राजनीतिक अनुभव और उनकी सार्वजनिक छवि उन्हें एक मजबूत उम्मीदवार बनाती है।

पार्टी के कहने पर इस सीट से लड़ रही हैं चुनाव
पार्टी सूत्रों का कहना है कि अलका लाम्बा चुनाव नहीं लड़ना चाह रहीं थीं और कालका जी सीट से बिलकुल नहीं। लेकिन पार्टी आलाकमान ने उन्हें कालका जी सीट से लड़ने के लिए कहा और इस बात के लिए काफी जोर भी दिया। सूत्रों का कहना है कि यही वजह है कि कालका जी सीट पर उम्मीदवार के नाम का एलान करने में कांग्रेस का इतना समय लगा।

कालकाजी विधानसभा सीट: इतिहास और वर्तमान परिदृश्य

1993 में अस्तित्व में आई कालकाजी सीट

कालकाजी विधानसभा सीट का गठन 1993 में हुआ। पहले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस सीट पर जीत दर्ज कर कांग्रेस को हराया। हालांकि, इसके बाद भाजपा इस सीट पर दोबारा जीत हासिल नहीं कर पाई।

आम आदमी पार्टी (आप) का वर्तमान प्रभुत्व

वर्ष 2015 से यह सीट आम आदमी पार्टी के कब्जे में है। 2015 में आप के उम्मीदवार अवतार सिंह ने भाजपा के हरमीत सिंह कालका को हराकर पहली बार जीत हासिल की। अवतार सिंह ने 55,104 वोट पाकर भाजपा उम्मीदवार को 20,000 से अधिक वोटों से हराया।

2020 में, आम आदमी पार्टी ने आतिशी को अपना उम्मीदवार बनाया। आतिशी ने भाजपा के धर्मबीर को 11,393 वोटों से हराया। आतिशी को 55,897 और धर्मबीर को 44,504 वोट मिले। इस बार भी आप ने आतिशी को ही प्रत्याशी घोषित किया है, जो अब दिल्ली की मुख्यमंत्री हैं।

कांग्रेस का प्रभाव

कालकाजी सीट पर कांग्रेस का भी प्रभावशाली इतिहास है। कांग्रेस ने 1998 से 2008 तक लगातार तीन बार जीत दर्ज की।

अन्य प्रमुख जीत

2013 में इस सीट पर शिरोमणि अकाली दल ने भी जीत हासिल की थी। अकाली दल के हरमीत सिंह कालका विजयी रहे।

भाजपा की स्थिति

भाजपा ने 1993 में जीत के बाद से यहां दूसरा स्थान ही पाया है। पार्टी पांच बार उपविजेता रही है लेकिन सीट पर जीत दर्ज करने में असफल रही है। कालकाजी सीट पर ऐतिहासिक रूप से कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का दबदबा रहा है। वर्तमान में आप की आतिशी दूसरी बार मैदान में हैं। फिलहाल भाजपा की तरफ से उम्मीदवार के नाम का एलान होना बाकी है।


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