करावल नगर: भाजपा ने मोहन सिंह बिष्ट की नाराजगी को किनारा कर क्यों चुना कपिल मिश्रा को
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करावल नगर: भाजपा ने मोहन सिंह बिष्ट की नाराजगी को किनारा कर क्यों चुना कपिल मिश्रा को

भाजपा ने करावल नगर सीट से मोहन सिंह बिष्ट को टिकट न देकर कपिल मिश्रा को टिकट दी है, जो चर्चा का विषय बन गयी है।


Delhi Election 2025 : दिल्ली विधानसभा चुनावों में करावल नगर सीट एक बार फिर चर्चा का केंद्र बन गई है। भाजपा ने अपनी दूसरी सूची में इस सीट से कपिल मिश्रा को टिकट देकर सियासी माहौल गरमा दिया है। इससे पहले यहां से निवर्तमान विधायक और भाजपा के वरिष्ठ नेता मोहन सिंह बिष्ट को उम्मीदवार बनाए जाने की संभावना जताई जा रही थी। लेकिन उनके टिकट काटने के फैसले ने पार्टी के भीतर और बाहर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।


करावल नगर की राजनीतिक समीकरण और उत्तराखंडी वोट बैंक

करावल नगर विधानसभा क्षेत्र में उत्तराखंडी समुदाय का 35 प्रतिशत वोट बैंक है। मोहन सिंह बिष्ट, जो इस समुदाय के कद्दावर नेता माने जाते हैं, इस वोट बैंक पर लंबे समय से अपनी पकड़ बनाए हुए थे। बिष्ट ने 1998 से लेकर 2015 तक इस सीट पर पांच बार जीत दर्ज की और यहां भाजपा के वर्चस्व को कायम रखा। हालांकि, 2015 में आम आदमी पार्टी के कपिल मिश्रा ने इस सीट पर उन्हें हराकर उनकी विजय रथ को रोक दिया था।

पार्टी के निर्णय ने राजनीतिक विश्लेषकों को हैरान कर दिया है, क्योंकि उत्तराखंडी वोट बैंक पर बिष्ट की मजबूत पकड़ के बावजूद उनका टिकट काटना एक बड़ा सियासी जोखिम माना जा रहा है।

कपिल मिश्रा का बढ़ता कद और हिंदुत्व का एजेंडा

भाजपा सूत्रों का कहना है कि कपिल मिश्रा को टिकट देने के पीछे प्रमुख कारण उनकी हिंदुत्व की छवि और 2020 के दंगों के दौरान उनकी सक्रियता है। कपिल मिश्रा ने उस समय अपने बयानों से हिंदू वोट बैंक को संगठित करने में बड़ी भूमिका निभाई थी। पार्टी ने यह रणनीति बनाई है कि मिश्रा की हिंदुत्व की छवि करावल नगर ही नहीं, बल्कि आसपास की अन्य सीटों जैसे मुस्तफाबाद, गोकलपुरी, बाबरपुर और घोंडा में भी असर डाल सके।

इसके अलावा, कपिल मिश्रा का राजनीतिक इतिहास भी उनके पक्ष में गया है। 2015 में करावल नगर सीट से आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतने के बाद वह दिल्ली सरकार में मंत्री बने। बाद में उन्होंने आम आदमी पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। भाजपा का मानना है कि मिश्रा के पास अभी भी क्षेत्र में जनाधार है, जो चुनावी समीकरणों को भाजपा के पक्ष में कर सकता है।

मोहन सिंह बिष्ट का टिकट कटना: बगावत की संभावना?

मोहन सिंह बिष्ट न केवल उत्तराखंडी समुदाय में लोकप्रिय हैं, बल्कि भाजपा के एक वरिष्ठ और भरोसेमंद नेता भी माने जाते हैं। ऐसा माना जा रहा था कि उनका टिकट कटने से पार्टी के भीतर असंतोष की स्थिति पैदा हो सकती है, लेकिन रविवार को ही ऐसी जानकारी सामने आई है कि मोहन सिंह बिष्ट से भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मुलाकात की और दोनों के बीच हुई बातचीत के बाद बिष्ट ने नड्डा को आश्वस्त किया कि वो पार्टी के लिए काम करते रहेंगे। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यदि बिष्ट बगावत करते हैं, तो इसका फायदा सीधे आम आदमी पार्टी को होगा, जो पहले से ही इस सीट पर मजबूत स्थिति में है।

भाजपा की रणनीति: लाभ या नुकसान?

भाजपा के इस फैसले को एक जोखिम भरा दांव माना जा रहा है। कपिल मिश्रा की हिंदुत्व की छवि और उनकी आक्रामक शैली भाजपा को शहरी हिंदू मतदाताओं में लाभ पहुंचा सकती है, लेकिन उत्तराखंडी समुदाय की नाराजगी पार्टी के लिए परेशानी खड़ी कर सकती है। अब जब मोहन सिंह बिष्ट ने पार्टी को भरोसा दिलाया है तो माना जा रहा है कि बिष्ट पहाड़ी वोटरों को मना लेंगे।

आने वाले चुनावों का असर

करावल नगर की सीट केवल एक चुनावी क्षेत्र नहीं है, बल्कि यह दिल्ली की राजनीति का एक महत्वपूर्ण बैरोमीटर है। भाजपा के लिए यह सीट जीतना न केवल प्रतिष्ठा का सवाल है, बल्कि दिल्ली में अपनी पकड़ मजबूत करने का भी मौका है।
भाजपा की यह नई रणनीति कितनी कारगर होगी, यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन इतना तय है कि करावल नगर सीट पर इस बार मुकाबला बेहद दिलचस्प और सियासी दांव-पेंच से भरपूर होगा।


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