दशकों बीत गए यही है मेरी तकदीर, 'यमुना' पर एक बार फिर सियासी शोर
Yamuna River Cleaning: दिल्ली में यमुना नदी दम तोड़ रही है। सियासी दल वादे और दावे करते हैं हालांकि तस्वीर नहीं बदली। अरविंद केजरीवाल ने भी वादा किया था।
Yamuna Action Plan: 2020 का वो साल था जब दिल्ली के नवनिर्वाचित सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने कहा था कि अगले पांच साल में यमुना नदी (Yamuna River Cleaning Campaigns) को आचमन के लायक बना दूंगा। हालांकि एक साक्षात्कार में उनसे (बता दें कि अरविंद केजरीवाल अब सीएम नहीं हैं) पूछा गया कि वो कौन से वादे हैं जिसे आप पूरा नहीं कर सके। उनका जवाब था कि यमुना को साफ नहीं कर पाया। लेकिन विपक्षी दलों का सवाल है कि 2020 में जो कहा था कि उससे भाग क्यों रहे हैं। क्या केजरीवाल सिर्फ वादा करने में भरोसा करते हैं। लेकिन यहां सवाल यह भी है कि जिस यमुना को हम देख रहे हैं क्या आम आदमी पार्टी (Aam Admi Party) की सरकार से पहले बेहतर थी। इस सवाल का जवाब लोग दो तरह से देते हैं। एक धड़ा मानता है कि अगर पीछे से यानी हरियाणा (Haryana) और यूपी (Uttar Pradesh) की तरफ से गंदगी आए तो केजरीवाल क्या करेंगे। दूसरा वर्ग कहता है कि दरअसल आप के नेताओं को आदत है कि वो अपनी नाकामी छिपाने के लिए दोषारोपण करते हैं। भला अरविंद केजरीवाल अछूता कैसे रह सकते हैं। लेकिन यहां हर दिन दम तोड़ रही यमुना नदी के सफाई में क्या कुछ हुआ उसे बताएंगे।
यमुना की सफाई के लिए 1993 में यमुना एक्शन प्लान (Yamuna Action Plan)बनाया गया। लेकिन यह योजना जमीन पर कितनी कारगर हुई उसे आप यमुना नदी ( Yamuna River Quality) की हालत देखकर अंदाजा लगा सकते हैं। करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी स्थिति जस की तस। 1993 से लेकर आज की तारीख में बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की सरकार को दिल्ली ने देखा है। यमुना की साफ सफाई पर बीजेपी को थोड़ी सी राहत इस वजह से मिल सकती है उन्हें दिल्ली पर शासन करने का मौका सिर्फ पांच साल तक मिला। कांग्रेस का शासन 15 साल तक और आम आदमी पार्टी के शासन के 10 साल पूरे हो चुके हैं। यानी 1993 से लेकर 2024 तक सियासी दल जमीन पर भले ही कुछ ना कर सके हों। बयानों के तीर चलाने में पीछे नहीं रहे।
दिल्ली में यमुना नदी पल्ला से लेकर ओखला बैराज (Yamuna River Palla to Okhla Stretch) तक 48 किमी की दूरी तय करती है। वजीराबाद से असगरपुर गांव तक की हिस्सा 26 किमी है लेकिन यहां प्रदूषण का स्तर 75 फीसद से अधिक है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Delhi Pollution Control Board) के मुताबिक नवंबर महीने से यमुना के पानी की गुणवत्ता अधिक खराब हुई है। फेकल कोलीफॉर्म की मात्राी पिछले चार साल में सबसे अधिक है। नदी में अनट्रीटेड पानी गिर रहा है। प्रति 100 एमएल पानी में फेकल कोलीफॉर्म की संख्या 500 होनी चाहिए। लेकिन यह 2500 के स्तर पर पहुंच रही है। पल्ला के करीब जब यमुना (Yamuna River Quality) दिल्ली में दाखिल होती है तो इसकी संख्या करीब 1100 होती है। इसका अर्थ यह है कि प्रदूषित पानी आता है। लेकिन प्रदूषण का स्तर दिल्ली में और बढ़ जाता है।
प्रदूषण की वजह
- यमुना में प्रदूषण के लिए कुछ हद तक हरियाणा यूपी जिम्मेदार
- नदी में नालों का गिरना और गाद की निकासी ना होना
- यमुना में छोटे बड़े 112 नाले गिरते हैं। 22 में से 12 नालों को पानी शोधित नहीं होता।
- नजफगढ़ ड्रेन से 70 फीसद और गुरुग्राम के तीन नालों से 30 फीसद प्रदूषण
- हरियाणा से इंडस्ट्रियल वेस्ट का नजफगढ़ नाले में गिरना
- यमुना के डूब क्षेत्र में 10 किमी तक अतिक्रमण
- नालों के मुंह पर जाल लगाने में देरी, अनधिकृत कॉलोनियों में सीवरेज ना होना
- 37 एसटीपी प्लांट मानक के हिसाब से नहीं
प्रदूषण की समस्या से निजात पाने के लिए यमुना एक्शन प्लान (Yamuna Action Plan) को लाया गया। इस प्लान के तहत तीसरा चरण में नदी को साफ किया जा रहा है। पहले चरण में दिल्ली, हरियाणा और यूपी के 21 छोटे बड़े शहरों को शामिल किया गया। कुल 682 करोड़ खर्च किए गए। 2012 में दूसरे चरण का आगाज और कुल व्यय 1514 करोड़ रुपए। तीसरे चरण में अनुमानित खर्च 1656 करोड़ रुपए हैं। यानी कि हजारों करोड़ों के खर्च के बाद भी हालात वैसे ही बने हुए हैं। 2015 से 2023 के दौरान क्लीन गंगा मिशन (Clean Ganga mission) के तहत हजार करोड़ दिल्ली सरकार ने 700 करोड़ की व्यवस्था की। दिल्ली सरकार का कहना है कि ओखला में एशिया के सबसे बड़े एसटीपी प्लांट का काम पूरा हो चुका है और 124 एमजीडी दूषित जल का शोधन हो सकेगा। बीओडी 3 मिलीग्राम प्रति हजार लीटर करने का लक्ष्य है। लेकिन अभी इसे जमीन पर नहीं उतारा जा सका।