DUSU चुनाव 2025: नई पहचान के साथ AAP के छात्र इकाई की राजनीति में वापसी
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AAP की छात्र इकाई

DUSU चुनाव 2025: नई पहचान के साथ AAP के छात्र इकाई की राजनीति में वापसी

Delhi University Students Union: लगातार दो बार हार मिलने के बाद आम आदमी पार्टी ने CYSS को भंग कर दिया और छात्र राजनीति से दूरी बना ली थी. अब नए नाम और संगठनात्मक ढांचे के साथ वापसी की तैयारी कर रही है.


DUSU Elections 2025: इस बार दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (DUSU) का चुनाव काफी दिलचस्प होने जा रहा है. क्योंकि पहली बार आम आदमी पार्टी की नई छात्र इकाई ASAP (Academic and Students’ Association for Progress) भी मैदान में उतरने जा रही है. ASAP को लेकर कहा जा रहा है कि यह संगठन पहली बार चुनाव लड़ने जा रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि यह AAP की छात्र राजनीति में पहली कोशिश नहीं है। पहले भी आम आदमी पार्टी ने साल 2015 में CYSS (छात्र युवा संघर्ष समिति) नामक छात्र इकाई के ज़रिए DUSU चुनावों में कदम रखा था। हालांकि, दो बार इस संगठन को हार का सामना करना पड़ा था और बाद में इस इकाई को भंग कर दिया गया था.

गठजोड़ के बावजूद हार

फरवरी 2015 में दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद CYSS ने DUSU चुनावों में उतरने की शुरुआत की थी। हालांकि, उसे जीत नहीं मिल सकी थी. साल 2015 में CYSS को लगभग 12,000 वोट मिले थे। इसके बाद साल 2018 में CYSS ने AISA के साथ मिलकर गठबंधन किया और एक साथ चुनावी दंगल में उतरे. लेकिन तब भी डीयू के छात्रों को यह गठबंधन रास नहीं आया और फिर से हार का सामना करना पड़ा था.

नये बैज के साथ शुरुआत

लगातार दो बार हार मिलने के बाद आम आदमी पार्टी ने CYSS को भंग कर दिया और छात्र राजनीति से दूरी बना ली थी. अब करीब सात साल बाद पार्टी एक नए नाम और नए संगठनात्मक ढांचे के साथ वापसी की तैयारी कर रही है. ASAP नामक यह नया छात्र संगठन खुद को 'प्रगतिशील छात्रों की आवाज' बताकर मैदान में उतरेगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि AAP की यह रणनीति CYSS की असफल छवि से बाहर निकलने और छात्रों के बीच खुद को एक नए विकल्प के रूप में पेश करने की कोशिश है।

मुद्दों पर नहीं किया फोकस

वहीं, ASAP ने चुनाव लड़ने का एलान करते हुए कहा है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी की छात्र राजनीति पर लंबे समय से कुछ प्रभावशाली संगठनों और राजनैतिक ताकतों का कब्जा रहा है. टिकट अब योग्यता या मुद्दों पर नहीं, बल्कि पैसे, जाति और ताकत के आधार पर बंटते हैं. ASAP ने ABVP और NSUI पर आरोप लगाते हुए कहा कि इन दोनों संगठनों ने छात्र राजनीति को निजी ठेके की तरह चलाया है। छात्रों की असली समस्याएं जैसे – फीस बढ़ोतरी, हॉस्टल और लैब की कमी, महिला सुरक्षा और भेदभाव पर कभी गंभीरता नहीं दिखाई गई.

राजनीति बदलने का वक्त

ASAP का कहना है कि अब छात्र राजनीति को बदलने का वक्त आ गया है. यह राजनीति सिर्फ पोस्टर, पैसा और धमकी तक सीमित नहीं रहनी चाहिए. ASAP अब इन पुरानी ताकतों को सीधी चुनौती देगा. ASAP का मानना है कि छात्र राजनीति किसी पार्टी के नेताओं की जागीर नहीं है. असली नेतृत्व उस छात्र के पास होना चाहिए जो ईमानदार हो, मेहनती हो और यूनिवर्सिटी को बेहतर बनाने का सपना देखता हो।

ASAP का दावा है कि यह सिर्फ एक छात्र संगठन नहीं, बल्कि एक आंदोलन है जो छात्र राजनीति को फिर से छात्रों के हाथ में देना चाहता है. ASAP ऐसे नेताओं को सामने लाना चाहता है जो जनता की आवाज बनें, भ्रष्टाचार से लड़ें और लोकतंत्र को मजबूत करें. अब देखना यह होगा कि दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र इस बार आम आदमी पार्टी के इस नए छात्र संगठन को कितना समर्थन देते हैं और क्या ASAP, ABVP और NSUI जैसे स्थापित संगठनों को टक्कर दे पाएगा या नहीं।

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