
Hyundai का बड़ा कदम, IIT दिल्ली में खुला फ्यूचर मोबिलिटी रिसर्च सेंटर
Hyundai ने भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल और बैटरी तकनीक को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने के लिए IIT दिल्ली के साथ मिलकर रिसर्च सेंटर की शुरुआत की है।
दक्षिण कोरियाई ऑटोमोबाइल दिग्गज Hyundai Motor Group ने भारत में भविष्य की मोबिलिटी तकनीकों को नया आकार देने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। कंपनी ने IIT Delhi में ‘Hyundai Center of Excellence’ (Hyundai CoE) की स्थापना की है, जो विशेष रूप से इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EVs), बैटरी सिस्टम्स और इलेक्ट्रिफिकेशन से जुड़ी रिसर्च को गति देगा। इस सेंटर के माध्यम से ह्यूंदै भारत के इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी टैलेंट से जुड़कर न सिर्फ इनोवेशन को बढ़ावा देना चाहता है, बल्कि भारतीय बाजार के लिए उपयुक्त टिकाऊ समाधानों का निर्माण भी करना चाहता है।
शोध की दिशा: बैटरी इनोवेशन और इलेक्ट्रिक टेक्नोलॉजी
Hyundai CoE की स्थापना का मुख्य उद्देश्य भारत जैसे उभरते बाजार में इलेक्ट्रिक व्हीकल टेक्नोलॉजी को मजबूती देना है। इसके तहत कंपनी ने आईआईटी के साथ मिलकर नौ संयुक्त अनुसंधान परियोजनाएं शुरू की हैं। ये परियोजनाएं बैटरी सेल डेवलपमेंट, बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम (BMS), एनर्जी डेंसिटी में सुधार, बैटरी की सुरक्षा और दीर्घकालिक उपयोगिता जैसी विशेष तकनीकी चुनौतियों पर केंद्रित हैं।
यह पहल केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि इन प्रोजेक्ट्स का उद्देश्य है ऐसे प्रोटोटाइप और समाधान तैयार करना जिन्हें बाद में व्यावसायिक तौर पर भी अपनाया जा सके।
लीडरशिप और विज़न
Hyundai CoE की संचालन समिति का नेतृत्व ह्यूंदै मोटर ग्रुप के कार्यकारी उपाध्यक्ष चांग ह्वान किम और IIT दिल्ली के प्रोफेसर बिजया केतन पाणिग्रही मिलकर कर रहे हैं। यह भागीदारी केवल एक कॉरपोरेट निवेश नहीं है, बल्कि यह भारत की तकनीकी शिक्षा और उद्योग जगत के बीच दीर्घकालिक सहयोग का उदाहरण बन रही है।
ह्यूंदै का कहना है कि वह भारत के बेहतरीन दिमागों के साथ काम कर भविष्य की मोबिलिटी को न केवल टिकाऊ बनाना चाहता है, बल्कि यह सुनिश्चित करना चाहता है कि इन तकनीकों का विकास भारत की ज़मीनी ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए हो।
शिक्षा और उद्योग के बीच नया पुल
Hyundai ने इस पहल के तहत अपने ‘Future Technology Research Program’ को भी विस्तार दिया है, जिसे 2021 में शुरू किया गया था। खास बात यह है कि इस प्रोग्राम के अंतर्गत फैकल्टी मेंबर्स को स्वतंत्र रूप से अपने शोध विषय प्रस्तावित करने की अनुमति होती है। इसके बाद Hyundai की टेक्निकल कमेटी उन विषयों की समीक्षा कर उन्हें मंजूरी देती है।
पहले यह प्रोग्राम केवल कोरियन विश्वविद्यालयों या कोरियाई प्रोफेसरों तक सीमित था, लेकिन अब इसके तहत IITs के फैकल्टी मेंबर्स को भी शामिल किया गया है। इससे यह सहयोग ग्लोबल स्केल पर भारत की भागीदारी को मजबूत कर रहा है।
देशभर में रिसर्च नेटवर्क का विस्तार
Hyundai फिलहाल IIT दिल्ली, बॉम्बे और मद्रास के साथ मिलकर लगभग 30 प्रोफेसरों के साथ कार्य कर रही है। लेकिन कंपनी का लक्ष्य है कि 2025 के अंत तक यह साझेदारी 10 भारतीय विश्वविद्यालयों तक फैले, जिनमें गैर-IIT संस्थान भी शामिल होंगे। तब तक ह्यूंदै की योजना है कि लगभग 100 प्रोफेसर इस पहल से जुड़े हों।
Hyundai का यह कदम न सिर्फ EV टेक्नोलॉजी को लेकर उसकी गंभीरता को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि वह भारत को केवल एक बाज़ार नहीं, बल्कि एक साझेदार के रूप में देख रही है। IITs जैसे संस्थानों के साथ जुड़कर वह भारत के युवाओं को ग्लोबल इनोवेशन की धारा में अग्रणी बना रही है।