
आख़िर IIT मद्रास के बजाय IIT बॉम्बे को क्यों चुनते हैं ज़्यादातर JEE टॉपर्स ?
हालाँकि NIRF रैंकिंग में IIT मद्रास शीर्ष पर है, फिर भी वह टॉप टैलेंट को आकर्षित करने में पिछड़ रहा है। ऐसा क्या है जो IIT बॉम्बे को बनाता है छात्रों की पहली पसंद?
NIRF (नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क) में शीर्ष स्थान पर होने के बावजूद, IIT मद्रास शीर्ष JEE रैंकर्स को आकर्षित करने में असफल रहा है। इस वर्ष टॉप 500 में से केवल 80 छात्रों ने IIT मद्रास को चुना, जबकि IIT बॉम्बे ने 10 में से 9 और टॉप 100 में से 73 छात्रों को अपनी ओर खींचा।
इस बढ़ते अंतर को कम करने के लिए IIT मद्रास ने कैम्पस टूर और सिटी आउटरीच जैसे प्रयास शुरू किए हैं, लेकिनIIT बॉम्बे का आकर्षण अब भी सबसे ऊपर बना हुआ है।
बदलती छात्र प्राथमिकताएं
IIT मद्रास छह दशकों से इंजीनियरिंग और तकनीकी शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र रहा है, लेकिन आज की शिक्षा प्रणाली में छात्र केवल अकादमिक रैंकिंग के आधार पर निर्णय नहीं लेते।
करियर कंसल्टेंट जय प्रकाश गांधी कहते हैं, “भले ही NIRF में IIT मद्रास पहले स्थान पर है, लेकिन छात्रों को IIT बॉम्बे में कई फायदे दिखते हैं — जैसे टॉप संस्थानों से जुड़ाव, मजबूत एलुमनी नेटवर्क, पाठ्यक्रम से परे सीखने के अवसर, और अपडेटेड कंटेंट।”
उन्होंने आगे कहा, “तुलनात्मक रूप से देखा जाए तो बढ़त स्पष्ट रूप से बॉम्बे की है।”
क्यों आगे है बॉम्बे?
IIT बॉम्बे को मुंबई जैसे महानगर में स्थित होने का बड़ा फायदा मिलता है, यह भारत की आर्थिक राजधानी और एक बहुसांस्कृतिक केंद्र है। इस शहर की जीवंतता, उद्योगों की उपस्थिति और वैश्विक कनेक्शन ऐसा माहौल बनाते हैं जो छात्रों को आकर्षित करता है।
गांधी ने कहा, “IIT बॉम्बे में एक बहुत ही फ्रेंडली कल्चर है। यहां तक कि कानपुर भी छात्रों के लिए बहुत सहयोगात्मक है, जहां फैकल्टी हर मदद के लिए तैयार रहती है। लेकिन चेन्नई में छात्रों के लिए ऐसा अनुकूल वातावरण नहीं है।”
एक और अहम कारण है एलुमनी सपोर्ट। गांधी के अनुसार, “IIT बॉम्बे ने हाल ही में अपने एलुमनी से 16.4 अरब डॉलर वेंचर कैपिटल फंडिंग हासिल की है। इस मामले में मद्रास दिल्ली और कानपुर से भी पीछे है।”
दक्षिण में बनी दूरी
हालाँकि दक्षिण भारत के छात्र अभी भी निकटता और संस्कृति के कारण IIT मद्रास को चुनते हैं, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर प्राथमिकताएं बदल रही हैं। अंतरराष्ट्रीय अवसर, स्टार्टअप और वेंचर कैपिटल तक पहुंच, और करियर में विविधता का माहौल IIT बॉम्बे को विजेता बना रहा है।
गांधी कहते हैं, “चेन्नई की तुलना में बॉम्बे का कल्चर और इकोसिस्टम बिल्कुल अलग और ज्यादा समावेशी है।”
IIT मद्रास क्या कर रहा है?
IIT मद्रास ने इस ट्रेंड को पलटने के लिए कुछ प्रयास किए हैं जैसे वर्चुअल एलुमनी इंटरेक्शन, आउटरीच बढ़ाना, और समावेशी कैंपस कल्चर विकसित करना। हालांकि, इन प्रयासों पर संस्थान ने The Federal के सवालों का जवाब नहीं दिया।
विशेषज्ञों का मानना है कि IIT-M फिर से प्रतिस्पर्धा में लौट सकता है, बशर्ते वह उद्योग से भागीदारी, इंटर्नशिप के अवसरों, और अपनी उपलब्धियों को उजागर करने पर ध्यान दे।
संस्थान के पास क्रिस गोपालकृष्णन, श्रीधर बेम्बु, और विनीता सिंह जैसे प्रेरणादायक एलुमनी मौजूद हैं, जिनके उदाहरणों का बेहतर उपयोग किया जा सकता है।
अब जब छात्र नेटवर्किंग, वैश्विक अनुभव, और कैंपस लाइफ को महज रैंकिंग से ज़्यादा महत्व दे रहे हैं, तो IIT मद्रास को भी खुद को नए सिरे से ढालना होगा।
क्या IIT मद्रास बॉम्बे को टक्कर दे पाएगा? इसका जवाब समय ही देगा।