
QS वर्ल्ड रैंकिंग: भारत की ऐतिहासिक एंट्री, फैकल्टी और विदेशी छात्रों की कमी बनी बड़ी बाधा
जहां एक ओर भारत की उच्च शिक्षा वैश्विक मंच पर उपस्थिति दर्ज करा रही है। वहीं, दूसरी ओर बुनियादी सुधार और संसाधनों की कमी अब रैंकिंग में बाधक बन रही है। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के तहत लागू हो रहे चौथे वर्ष की योजना से भी फैकल्टी पर दबाव बढ़ने की आशंका है। अगर भारत को रैंकिंग में ऊपर जाना है तो सरकारी संस्थानों में निवेश, अंतरराष्ट्रीयकरण और फैकल्टी भर्ती में तेजी लाना आवश्यक होगा।
भारत ने जहां QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2026 में 54 विश्वविद्यालयों को शामिल कर ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। वहीं, इस सफलता के नीचे उच्च शिक्षा प्रणाली की कुछ गंभीर संरचनात्मक कमजोरियां भी उजागर हुई हैं। खासकर फैकल्टी-स्टूडेंट रेशियो और अंतरराष्ट्रीय छात्र अनुपात जैसे मानकों पर भारतीय संस्थान काफी पीछे हैं।
IIT दिल्ली शीर्ष संस्थान
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) दिल्ली इस बार भारत की सर्वोच्च रैंकिंग वाली यूनिवर्सिटी बनी है, जिसकी रैंकिंग पिछले वर्ष 150 से सुधरकर 123 पर पहुंची है। इसके अलावा IIT बॉम्बे और IIT मद्रास को भी टॉप 200 में स्थान मिला है। इस साल भारत की ओर से 8 नई यूनिवर्सिटीज़ ने भी QS लिस्ट में एंट्री की है, जिससे भारत अमेरिका, ब्रिटेन और चीन के बाद चौथे स्थान पर रहा। QS के अनुसार, भारत ने 10 वर्षों में रैंकिंग में शामिल संस्थानों की संख्या 11 से बढ़ाकर 54 कर दी है — जो G20 देशों में सबसे तेज़ वृद्धि है।
गिरा फैकल्टी-स्टूडेंट रेशियो
QS द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 63% भारतीय विश्वविद्यालयों का फैकल्टी-स्टूडेंट रेशियो पिछली बार की तुलना में और भी गिरा है। टॉप IITs की बात करें तो IIT दिल्ली का स्कोर 21.9, IIT मद्रास का स्कोर 21.3, IIT गुवाहाटी और IIT रुड़की जैसे संस्थानों का स्कोर क्रमशः 10.2 और 9.5 ही रहा। इस पैमाने पर O.P. Jindal Global University अकेली ऐसी भारतीय यूनिवर्सिटी रही, जिसने टॉप 350 में जगह बनाई।
अंतरराष्ट्रीय छात्र अनुपात में भारी गिरावट
QS रैंकिंग के अंतरराष्ट्रीय छात्र अनुपात मापदंड में भी 78% भारतीय विश्वविद्यालयों का प्रदर्शन गिरा। IIT गुवाहाटी को छोड़ दें तो बाकी सभी टॉप IITs का स्कोर 2 से भी कम रहा।
IIT दिल्ली के रैंकिंग सेल प्रमुख और प्लानिंग डीन प्रोफेसर विवेक बुवा ने बताया कि यदि 12,000–13,000 छात्रों पर 1:10 रेशियो बनाए रखना है तो 1,200–1,300 फैकल्टी मेंबर होने चाहिए — यानी मौजूदा फैकल्टी डबल करनी पड़ेगी, जो एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए बड़ी मात्रा में वित्तीय संसाधनों, शोध सुविधा, ऑफिस स्पेस और वेतन की ज़रूरत होगी, जो सरकारी संस्थानों के लिए करना आसान नहीं।
DU का प्रदर्शन
दिल्ली विश्वविद्यालय ने भले ही 328वीं रैंक कायम रखी। लेकिन इसका फैकल्टी-स्टूडेंट रेशियो स्कोर मात्र 6.9 और अंतरराष्ट्रीय छात्र स्कोर 2.8 रहा। वीसी योगेश सिंह ने कहा कि हमारे यहां छात्रों की संख्या बहुत अधिक है। हमारा अंतरराष्ट्रीय कोटा फिक्स है। इसी वजह से प्रतिशत में गिरावट दिखाई देती है।
QS रैंकिंग कैसे तय होती है?
QS रैंकिंग 9 प्रमुख मानकों पर आधारित होती है:
अकादमिक प्रतिष्ठा (30%)
फैकल्टी प्रति शोध उद्धरण (20%)
नियोक्ता प्रतिष्ठा (15%)
फैकल्टी-स्टूडेंट रेशियो (10%)
अनुसंधान प्रभाव
अंतरराष्ट्रीय छात्र अनुपात
अंतरराष्ट्रीय फैकल्टी अनुपात
रोजगार परिणाम
सतत विकास (Sustainability)