नीट एग्जाम के खलनायक सॉल्वर गैंग, आखिर ये लोग कैसे करते हैं काम
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नीट एग्जाम के खलनायक 'सॉल्वर गैंग', आखिर ये लोग कैसे करते हैं काम

नीट यूजी एग्जाम को लेकर अब छन छन कर जानकारियां सामने आ रही हैं. आप सॉल्वर गैंग के बारे में भी सुन रहे होंगे. यहां हम बताएंगे कि ये लोग कौन होते हैं.


NEET UG Exam 2024: इस साल 5 मई को NEET-UG परीक्षा के दिन, दिल्ली के भारतीय विद्या भवन मेहता विद्यालय में परीक्षा दे रहे दो छात्रों का बायोमेट्रिक डेटा मेल नहीं खा पाया। जब अधिकारियों को संदेह हुआ तो उन्होंने पाया कि उम्मीदवार वास्तव में दो दूसरे और पहले साल के MBBS छात्र थे, जो असली उम्मीदवारों के लिए प्रॉक्सी के रूप में काम कर रहे थे।पश्चिम बंगाल और उत्तराखंड के मेडिकल कॉलेजों में पढ़ने वाले इन दो छात्रों की गिरफ्तारी से पुलिस को उनके संचालकों, प्रभात कुमार और किशोर लाल तक पहुंचने में मदद मिली, जिन्हें बाद में नोएडा के एक होटल से गिरफ्तार किया गया। कुमार और लाल, जो क्रमशः राजस्थान और बिहार के रहने वाले हैं, कथित तौर पर मेडिकल स्कूल एडमिशन कंसल्टेंट के रूप में काम करते थे, वे 'सॉल्वर गैंग' के नाम से जाने जाने वाले गिरोह का हिस्सा हैं।

इस बीच, 23 जून को बिहार आर्थिक अपराध इकाई ने 'सॉल्वर गैंग' द्वारा संचालित एक अन्य NEET प्रश्नपत्र लीक रैकेट का भी भंडाफोड़ किया।पुलिस सूत्रों के अनुसार, यह सॉल्वर गिरोह झारखंड, बिहार और गुजरात जैसे राज्यों में एक अंतर-राज्यीय परिष्कृत नेटवर्क चलाता था, जो इच्छुक उम्मीदवारों को लीक हुए NEET परीक्षा के प्रश्नपत्र उपलब्ध कराता था और छात्रों के लिए प्रॉक्सी परीक्षा उम्मीदवार उपलब्ध कराता था।तो फिर ये सॉल्वर गैंग कौन हैं?

सॉल्वर गैंग कौन हैं?

'सॉल्वर गैंग' एक संदिग्ध नेटवर्क प्रतीत होता है, जो विभिन्न माध्यमों से हल किए गए प्रश्न-पत्र प्राप्त कर लेता है और उचित मूल्य चुकाने के इच्छुक छात्रों तक पहुंचाता है।

वे कैसे काम करते हैं ?

बिहार पुलिस द्वारा उजागर किये गए गिरोहों द्वारा अपनाई गई एक कार्यप्रणाली इस प्रकार है।झारखंड में हाल ही में की गई गिरफ्तारी में पुलिस ने पाया कि 'सॉल्वर गैंग' के सदस्य को परीक्षा से एक दिन पहले 4 मई को उसके फोन पर NEET-UG परीक्षा के हल किए गए प्रश्नपत्र की पीडीएफ मिली थी। गिरोह के सदस्य, जिसकी पहचान बलदेव कुमार उर्फ चिंटू के रूप में हुई है, कथित तौर पर इस साल NEET परीक्षा के पेपर लीक के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक है। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि उसे प्रश्नपत्र किसने भेजा था।हल प्रश्नपत्र प्राप्त करने के बाद बलदेव और उसके साथियों ने लर्न ब्वॉयज हॉस्टल एंड प्ले स्कूल नामक स्कूल में वाई-फाई प्रिंटर से उसकी प्रतियां लीं।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अभ्यर्थियों को गुप्त तरीके से टैक्सियों द्वारा स्कूल पहुंचाया गया और उन्हें समूहों में बांटा गया तथा पाठ याद करने को कहा गया। इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि अभ्यर्थियों को लर्न बॉयज हॉस्टल और प्ले स्कूल ले जाने के लिए गिरोह ने इस स्कूल से करीब 2 किलोमीटर दूर एक ड्रॉप-ऑफ पॉइंट तय किया था। इस ड्रॉप-ऑफ पॉइंट पर गिरोह के सदस्य मौजूद थे।गिरोह के सदस्यों द्वारा अभ्यर्थियों को इस ड्रॉप-ऑफ स्थान से लर्न बॉयज हॉस्टल एवं प्ले स्कूल तक ले जाने और वापस लाने के लिए एक टैक्सी का इस्तेमाल किया जाता था।

ये सॉल्वर गैंग के सदस्य क्या चार्ज करते हैं?

इस रैकेट में शामिल सदस्य पेपर के लिए 32 लाख से 40 लाख रुपये तक लेते हैं। अगर मेडिकल के इच्छुक उम्मीदवारों को प्रॉक्सी की जरूरत है तो उन्हें 20 लाख से 25 लाख रुपये तक देने पड़ते हैं, जैसा कि इस साल दिल्ली में NEET परीक्षा में पकड़े गए मेडिकल छात्रों ने खुलासा किया है।

इन सॉल्वर गिरोहों का हिस्सा कौन हैं?

बिहार ईओयू, जो केंद्र द्वारा सीबीआई जांच के आदेश दिए जाने तक जांच का काम संभाल रहा था उसने इस मामले के सिलसिले में अब तक 18 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है।बलदेव कुमार उर्फ चिंटू, जिसे हाल ही में झारखंड के देवघर जिले से ईओयू द्वारा गिरफ्तार किया गया था इसे तालाब की बड़ी मछली माना जा रहा है। हालांकि मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, पुलिस ने दावा किया है कि संजीव मुखिया नामक व्यक्ति इस NEET परीक्षा के पेपर लीक का सरगना है। इसकी पुष्टि मुखिया के बेटे शिव कुमार ने की, जो बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित शिक्षक भर्ती प्रश्नपत्र लीक मामले में आरोपी है और वर्तमान में पटना के बेउर सेंट्रल जेल में बंद है।फरार चल रहे संजीव मुखिया उर्फ लूटन को इस अंतरराज्यीय 'सॉल्वर गैंग' का सरगना बताया जा रहा है।हालांकि, पुलिस को पेपर लीक घोटाले में शामिल कुख्यात रवि अत्री पर भी संदेह है।रवि अत्री जो अभी जेल में है, उसने 2012 में प्री-मेडिकल टेस्ट और 2015 में एम्स पीजी परीक्षा का पेपर लीक किया था। हाल ही में उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स ने कांस्टेबल भर्ती घोटाले में अत्री और 18 अन्य आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। हालांकि, नीट-यूजी परीक्षा में उसकी संलिप्तता की पुष्टि अभी नहीं हुई है।

इन गिरोह के सदस्यों को प्रश्नपत्र कहां से मिलते हैं?

बिहार ईओयू के अधिकारी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि लीक कहां से हुआ। वे उन कूरियर की भूमिका की जांच कर रहे हैं जो प्रश्नपत्रों को एक शहर से दूसरे शहर तक पहुंचाते हैं और उन बैंकों की भी, जहां प्रश्नपत्र रखे गए थे। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि प्रश्नपत्रों को ब्लू डार्ट के जरिए अहमदाबाद से रांची होते हुए हजारीबाग पहुंचाया गया।स्थानीय एसबीआई शाखा में संग्रहीत करने के बाद उन्हें हजारीबाग शहर के ओएसिस स्कूल ले जाया गया।

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